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सुधा उपाध्याय की कविताएँ

आज कुछ कविताएँ सुधा उपाध्याय की। सुधा जी को हाल में ही अपनी कविताओं के लिए शीला सिद्धांतकर सम्मान मिला है। वह दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाती हैं और मुखर स्त्रीवादी कवयित्री हैं। उनको जानकी पुल परिवार की शुभकामनाएँ- मॉडरेटर
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1
वो पूछ रहे हैं,
आप ने अपनी कलम में
स्याही किससे पूछकर भरी?
हिम्मत कैसे हुई
बिना रज़ामंदी के कुछ बोलने की?
अरे !! लगातार धमकियों के बाद भी
तुम सिर उठा रहे हो?
उन्होंने बनाया एक रोड़मैप
चिन्हित किया हमारे आपके घरों को
बनाई एक भीड़ की फौज और छोड़ दिया
पनेसर, कुलबुर्गी, अख़लाक होने तक।
अब मालदा हिंसा के बाद
वो फिर से पूछ रहे हैं हमसे
अब क्यों नहीं बोल रहे हो तुम?
दरअसल वो पूछ नहीं बता रहे हैं देश को
फिर से जुटा रहे हैं अलग तरह की भीड़
कर रहे हैं मंदिर के लिए सेमिनार
धार चढ़ा रहे हैं धर्म की तलवार पर
किसी भी सूरत में अब वो
नहीं गंवाना चाहते चुनाव दंगल।
 
 
2 बड़े बड़े मॉल और शॉपिंग काम्प्लेक्स के आगे
 
साहस किया किसी ने गुमटी खोलने की
लोक को गुमटी अपनी सी लगी
 
भीड़ तो बढ़नी ही थी
गुमटी को भी वैचारिक बल मिलने लगा
 
और बढ़ने लगा मॉल का अत्याचार
गुमटी पर रोजाना हमले बढ़ने लगे
 
दीवारें थोड़ी कमज़ोर थीं सो बुल्डोज़र चला दिया गया
सबसे कमज़ोर धड़ा ढहा
 
पर उसके ढहने पर भी गुमटी ने साहस नहीं छोड़ा
अंदर से और मज़बूत हुवी
 
लोक जो साथ था गुमटी के
अब हर गली मोहल्ले में गुमटियां तैयार होने लगीं
 
सांसत में थी जान मॉल हाउस की
अब लोक को भी समझ में आने लगी अपनी ताक़त और सत्ता का आभास
मॉल संस्कृति और शॉपिंग काम्प्लेक्स से गुमटी के ”अराजक” हो जाने की संज्ञा मिली
सूना है गुमटी गिराने के लिए हेलीकाप्टर बुलवाये जा रहे हैं
हाँ ठीक है। …
 
अराजक होना लोकतंत्र नहीं। …
 
पर अलोकतांत्रिक होना कहाँ का लोकतंत्र है
लोक ता तंत्र तोड़ कर मॉल ग्लोबल होना चाहते हैं। ……
 
कहिये आप में से कौन कौन गुमटी के साथ है ??
 
 
3. महागाथाएं जन्म देती हैं औरतें
 
मूसल’, जांत, चक्की और सिलबट्टे में
अपनी उम्र पीस पीस कर महीन करती औरतें
स्वयं लय ताल और सुर पैदा करती हैं
इनका श्रमशील जीवन
 
देश प्रांत राज्य से परे है
राष्ट्र के दायरों में भी नहीं बंधता है लोकसंगीत
हर उम्मीद को सजा देती हैं रसोई से कुएं तक
कोई भी मौसम महीना तीज त्यौहार भूलने नहीं देती हैं
कुदरती चमत्कार से नदियाँ पहाड़ जमीन जंगल
 
बसाने की कूबत रखती हैं औरतें
पीपल तुलसी मैया का चौरा
सजाती संवारती है समभाव से
उन्हें ही करनी है कई व्रत कई उपवास
 
सभी संकल्प इन्हीं के ठीकरे है
आसुओं से तैयार करती हैं पोखर तलैया
भीतर धीरज का पहाड़ ढोती हैं
गुणा भाग ना जानती हो भले
जोड़ घटा जानती हैं हिसाब भर
पनघट हो या मरघट चूड़ियाँ दरकाती चटकाती
पूरे कसबे को सजाती है औरतें
उबहन बन लटकती हैं कभी
पगहा बन बंधती है खूंटे से
व्यथा की अल्पना से रंगती हैं खेत खलिहान
लीपती है आसुओं से आँगन दुआर
स्वयं लय ताल और सुर पैदा करती हैं औरतें
 
 
4. मौन धर्मिता
 
ढूंढ रहा है वह इस वाचाल समय में
 
एक विनय शील विकल्प
भीतर कि छटपटाहट ज़िंदा रखता है कि
 
एकबारगी सबकुछ उगल देने कि
 
नहीं कोई जल्दी उसमें
एक वही सुनने में विश्वास रखता है
 
जबकि सब सुनाने पर तुले हैं
उसकी आंच की परख इसी धैर्य से होती है
 
सुनकर पचा जाता है बड़ी साधना से
उसकी मौनधर्मिता को अराजक, भ्रष्ट।
 
वाचाल समय का संरक्षक कतई ना माने
सुनने कि प्रक्रिया में कई अनकही बातों को
 
वह भीतर तक उतार लेता है
वह शब्द भर नहीं
 
उसके पीछे कि मंशा यहाँ तक कि
 
बहुत बोलने वालों कि पूरी रणनीति जानता है
सावधान हो जाईये
 
जब वह गौर से सुनता है
तो जान लीजिये भविष्य में वह
बहुत कुछ सुनाने कि ताक़त रखता है
 
 
 
5  वंचितों के सपने
 
विद्रोह की छाती पर अंकुरित होने लगे
अन्याय की धरती भी नहीं रोक सकी
नहीं रोक सकती पैदा होने से
इन सुलगते सपनों को
वादी खामोश है प्रतिवादी ताकतवर
कुंठित चुनौतियां फहरा रही हैं
विजय पताका बनकर
क्यों नहीं मान लेते
जब-जब होगा समर
मनुष्य ही हारेगा।
लड़ाई जारी रहेगी, मरेगी मानवता
भरपेट और भूखे की भेदक खाई और बढ़ेगी।
 
 
6 बोनसाई
 
तुमने आँगन से खोदकर
मुझे लगा दिया सुंदर गमले में
फिर सजा लिया घर के ड्राइंग रूम में
हर आने जाने वाला बड़ी हसरत से देखता है
और धीरे-धीरे मैं बोनसाई में तब्दील हो गई
 
मौसम ने करवट ली
मुझमें लगे फल फूल ने तुम्हें फिर डराया
अबकी तुमने उखाड़ फेंका घूरे पर
आओ देखकर जाओ
यहां मेरी जड़ें और फैल गईं हैं
 
      

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9 comments

  1. #जानकीपुल पर अपनी रचनाओं को पाकर जो हौंसला और सराहना संवर्धन हुआ है उसके लिये मॉडरेटर का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ। ऐसे सशक्त मंच की सदैव उपस्थिति बनी रहे जहाँ पर हाशिये को भी प्रतिबद्ध मुखरता प्रदान की जाती है। आपका भी बहुत बहुत आभार प्रभात सर Prabhat Ranjan

  2. बहुत सुन्दर रचना चयन

  3. whoah this blog is magnificent i love reading your articles. Keep up the great work! You know, many people are looking around for this info, you could aid them greatly.

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