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दो मूर्धन्य चित्रकारों का पत्राचार

दो मूर्धन्य चित्रकारों सैयद हैदर रज़ा और किशन खन्ना के बीच पत्र व्यवहार की एक बड़ी अच्छी पुस्तक है ‘माई डियर’, जिसका अनुवाद मैंने दो साल पहले किया था। रज़ा न्यास के सम्पादक जी को वह अनुवाद बहुत पसंद भी आया जिसकी वे बार बार तस्कीद करते रहे लेकिन पुस्तक दो साल में प्रकाशित नहीं हो पाई। रज़ा न्यास को कोई समस्या रही होगी। लेकिन जानकी पुल एक अव्यवसायिक मंच है इसलिए मैं एक एक करके उसके पत्रों को आपके पढ़ने के लिए प्रस्तुत करता रहूँगा – मॉडरेटर

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पेरिस 27 अगस्त 1956

मेरे प्रिय खन्ना,

मैं कोशिश करूँगा कि आज रात मैं यह छोटी सी चिट्ठी लिखकर बिना किसी देरी के तुमको भेज दूँ, हालांकि मैं तुमको बहुत विस्तार से लिखना चाहता था। परियोजना में एक साल से अधिक समय लग गया। करीब एक पखवाड़े पहले जब तुम्हारा पत्र मिला तो मुझे बहुत ख़ुशी हुई। उम्मीद करता हूँ कि अपनी चुप्पी के लिए शायद कुछ कम ग्लानि भाव से लिख पाऊं।

हाँ, अब हालात बेहतर हो गए हैं। मैं संकल्प के साथ डटा रहा और कुछ तो हालात ने भी मेरी मदद की। अब सब ठीक है। मेरी कलाकृतियाँ बिक रही हैं। बिक्री के अलावा, उनमें वृद्धि हो रही है। कलाकृति में तनाव है, उस तरह का रुग्ण तनाव नहीं जो अल्प सामग्री या भावनात्मक स्थितियों के कारण बना हो, हालाँकि अब मैं उनकी भी अवहेलना नहीं करता; लेकिन मेरी कलाकृतियों को हर कहीं नकार दिया गया। क्यों? वे चीजों को समझने में मदद करती हैं, हालाँकि उनकी वजह से सामान्य रूप से असहायता का भाव भी आया।

याद है मैं जो क्रिसमस कार्ड्स बना रहा था? कुछ भी काम नहीं आया। करीब दो साल से भी अधिक समय तक मेरी पेंटिंग्स को हर जगह नकारा गया। क्यों? मुझे अभी नहीं पता, खासकर तब जब 1952 और 53 में शुरुआत इतनी अच्छी हुई थी। मुझे जीने के लिए दूसरे साधन अपनाने पड़े। मैंने कई तरह के काम करने की कोशिश की। आखिरकार, ऐसा लगा कि किताबों के लिए चित्रांकन बनाने का काम चल पड़ा। वह बहुत मेहनत का काम था और महीने में उससे सिर्फ 15 पाउंड की ही आय होती थी। यह करीब एक साल तक चला। मैंने कम पेंटिंग बनाई लेकिन मैं खुद को सम्मानित आदमी के रूप में महसूस करता था। धीरे धीरे मैंने सब चीजों का प्रबंध इस तरीके से कर लिया कि मैं पेंटिंग को अधिक समय देने लगा। पहली समूह प्रदर्शनी अक्टूबर 55 में रुइ डे सेन की एक नई कला वीथिका लारा विंसी लारा विंसी में प्रदर्शित हुई। उसकी काफी सराहना हुई। उसके बाद एक के बाद एक होती ही गई। मैं बिना थके पेंटिंग करता रहा, मैंने बाकी सभी तरह के असंगत काम छोड़ दिए। यहाँ कई समूह प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया, और उसके बाद बियेनाल्ल डे वेनिस बायनेल द वेनिस में, और आखिर में चयन हुआ और उसके बाद प्रिक्स डे ला क्रिटिक प्री द ल क्रिटिक पुरस्कार मिला।

मुझे तुम्हें कुछ विस्तार बताना चाहिए। यह सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है और करीब दस साल पहले पेरिस के चौदह कला समीक्षकों के एक निर्णायक मंडल ने इसकी शुरुआत की थी और इसकी प्रतिष्ठा बहुत अधिक बढ़ चुकी है। बुफे बफ़े ,लोर यू लोर यू, मीनास मायन्यो उन कुछ लोगों में हैं जिनको यह पहले मिल चुका था। पहली बार यह किसी विदेशी कलाकार को दिया गया है और जिसके कारण मेरी कलाकृतियों के पक्ष-विपक्ष में खूब आलोचना हुई है। जुलाई में उन सभी दस कलाकारों की सामूहिक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था जिनका चयन साल भर के दौरान निर्णायक मंडल द्वारा किया गया था। साल के आखिर में यह समस्त प्रदर्शनी जापान जाने वाली है। मुझे गैलेरी सेंट प्लेसाइड गैलेरी सेंट प्लासाईड द्वारा यह प्रस्ताव दिया गया है कि प्रदर्शनी से पूर्व मैं 15 से 28 सितम्बर के दौरान वहां प्रदर्शनी आयोजित कर सकता हूँ। यह मेरे लिए कुछ जल्दी है, लेकिन तिथियों में बदलाव नहीं किया जा सकता। चूँकि यह पेरिस में मेरी पहली एकल प्रदर्शनी है इसलिए मैं यह चाहता था कि मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ कृतियों का प्रदर्शन करूं, लेकिन वे या तो वेनिस में हैं या बिक चुकी हैं। इसके अलावा, अब मेरे कई कटु शत्रु हैं जो लगातार मेरे खिलाफ लिख रहे हैं और मेरे कुछ अन्य हैं जो मेरे बारे में विस्तार और प्रमुखता से लिख रहे हैं। मैं काम कर रहा हूँ। ममेय ममर्ट में मेरे पास एक बड़ा सा कमरा है और जिसे मैंने दो महीने के लिए किराए पर लिया है। मेरे ख्याल से यह उतना बुरा नहीं है, लेकिन मुझे और समय मिला होता तो बेहतर होता। पिछले साल जिस तरह से सब कुछ हुआ था, उसे देखते हुए यह अविश्वसनीय सा लगता है, मुझे यह लगता है कि अब उससे पूरी तरह उदासीन हो चुका हूँ और अब उनके ऊपर मुस्करा सकता हूँ। लेकिन मैं यह स्वीकार करता हूँ कि मैं उपहासपूर्ण ढंग से मुस्कुराता हूँ और थोड़ी कड़वाहट के साथ भी।

मैं लिखता चला जा सकता हूँ और तुमको ऐसी बहुत सी बातें बता सकता हूँ जिससे तुम हैरान रह जाओगे, लेकिन मुझे काफी कुछ करना है। हम जब बाद में मिलेंगे तो इसके बारे में बात करेंगे, और जब भी मौका मिला मैं तुमको पत्र लिखूंगा। तुम्हारे चार पत्रों के लिए शुक्रिया- वे मुझे एक के बाद एक मिले- और खासकर आखिरी चिट्ठी में जिस तरह की भावना थी। तुम जब यहाँ आए थे तो जो वाटर कलर लेकर आए थे उसके लिए भी मैं दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। उससे मदद मिली।

जब लिखना तो मुझे बताना और मैं उम्मीद करता हूँ कि वह जल्दी ही यहाँ होगा; अगर श्री मदनजीत सिंह ने तुम से बियेनाल्ल डे वेनिस बायनेल द वेनिस के लिए अपनी कलाकृतियों को भेजने के लिए कहा। मैंने भरसक कोशिश की कि तुम्हारा प्रतिनिधित्व भी हो। प्रिज्मे दे आर्ट्स, प्रिज़्मे दे आर्ट्स जो कि एक महत्वपूर्ण कला पत्रिका है, समकालीन भारतीय चित्रकारों के ऊपर एक लेख छापने जा रहा है। मैंने रूडी को लेख लिखने के लिए कहा। उसने मुझे एक बड़ा प्यारा सा पत्र भेजा, लेकिन उसने अफ़सोस जताते हुए कहा कि उसके पास लिखने के लिए समय नहीं है। फिर हमने शामलाल ‘अदीब’ से बात की, जो टाइम्स ऑफ़ इण्डिया में उप-संपादक हैं। वह मान गए और अब वह इस लेखक को लिखेंगे। मैं इस आदमी का बहुत सम्मान करता हूँ जबकि मैं उसको महज उसके लेखन के माध्यम से ही जानता हूँ। उम्मीद करता हूँ कि वह अच्छा काम करें। मेरे दिमाग में यह भी था कि तुमको लिखने के लिए कहूँ, लेकिन तुम स्वयं पेंटर हो(तुमको मैं बैंकर के रूप में गंभीरता से नहीं लेता)। अच्छा, यह लेख पहले प्रिज्मे प्रिज़्मे  में प्रकाशित होगा और उसके बाद अंतरराष्ट्रीय कला पर एक किताब में।

अब मुद्दे की बात यह है कि अगर शामलाल ने तुमसे अब तक संपर्क नहीं किया हो तो कृपया उनको अपनी तरफ से लिखो। उनको बस इतना लिखना कि मैंने तुमसे अपने चित्रों की कुछ तस्वीरें भेजने के लिए कहा है और तुम वही कर रहे हो। मैं संपादक मिस्टर वाल्देमर जॉर्ज को अच्छी तरह से जानता हूँ। वे यहाँ के बहुत महत्वपूर्ण कला समीक्षक हैं, लगभग सभी जानते हैं, और वे क्लाइव बेल, रोजर फ्राई तथा अन्य कलाकारों के भी दोस्त थे।

शेष अगले पत्र में। जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी शामलाल को तस्वीरें भेज देना। मैं सच में यही कामना करता हूँ कि जो सर्वश्रेष्ठ है उसको प्रस्तुत किया जाए। तुम जानते हो कि भारतीय चित्रकला में दिन ब दिन रूचि बढ़ती जा रही है। और मुझे लगता है कि भारतीय चित्रकला जिसका प्रतिनिधित्व करता है- अगर उसका सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुत किया गया- वह बहुत प्रासंगिक है। अब मैं समाप्त करता हूँ। काश मेरे भीतर तुम्हारी ऊर्जा होती, वही ऊर्जा जो तुमको इसमें समर्थ बनाती है कि तुम खुद को एक सुन्दर पत्नी, दो अविवाहित बेटियों, दोस्तों के साथ तमाम शामों और चित्रकला के प्रति समर्पित कर पाते हो। मैं विस्तार से फिर लिखूंगा। तुम्हारी कृतियों को देखने की प्रतीक्षा है।

जेनिन और मेरी तरफ से तुमको और रेणु को प्यार,

रज़ा

मेरा पता हमेशा रहेगा:

18, द शपतल द चैपल , पेरिस- 9इ।

 
      

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One comment

  1. Charumati Ramdas

    बहुत अच्छी पहल है…

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