Home / Uncategorized / ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ की काव्यात्मक समीक्षा

‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ की काव्यात्मक समीक्षा

लेखक-कवि यतीश कुमार ने काव्यात्मक समीक्षा की अपनी शैली विकसित की और हिंदी की अनेक श्रेष्ठ कृतियों की काव्यात्मक समीक्षा अब तक कर चुके हैं। इस बार उन्होंने विनोद कुमार शुक्ल के उपन्यास ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ की समीक्षा की है। आप भी पढ़ सकते हैं-

========================

1.
एक खिड़की आँखों की
एक मन की !
खिड़की के बाहर की दुनिया
अनन्त आसमानी
मन के भीतर की सिमटी हुई
पलकों में  या अधरों पर
दुनिया कितनी जल्दी सिमट आती है !
एक-एक पल के पकने की आवाज़  होती है
किसी को  सुनाई आती है, किसी को नहीं
देखा  नन्हीं गुड़िया को
आकाश से झाँकती,खिड़की की ओर
उसकी मुट्ठी में है बंद
आराम करती एक ख़ुशनुमा दुनिया
उस पल पृथ्वी
लंबी सांस ले रही होती है
उसकी नन्हीं नज़रों से निहारता हूँ
जिसमें दुनिया घूमती हुई
ब्रह्मांड के चक्कर लगा रही है
2.
मंदिर की प्राचीनता बतलाती है
तालाब की उम्र
जिस तालाब पर मंदिर  न हो
उसकी उम्र  मिट्टी बतलायेगी
पानी नहीं
मिट्टी का रंग भी बदलता है
जमीन के समतल के नीचे
तालाब का समतल होता है
जमीन के समतल के बराबर
पानी का समतल
तालाब चुप रहा
फिर छपाक से बोला
जो नहर पोखर को छूती हुई बहती है
कमल उसमें भी  तैर आता है
तालाब के ऊपर पंख फड़फड़ाया
पर बादल  बिना आवाज
रेंगते गुजर गया!
मछली को तो बादल को छूना था
सो,फिर आवाज आई छपाक !
3.
देखना भी पलट कर देखता है
बोलना भी पलट कर बोलता है,
किताब हो या ज़िंदगी
पलटना शाश्वत है
लकड़ी की अलमारी के पटरे टेढ़े हैं
और किताबें सीधी
जिंदगी की शक्ल आलमीरे से कितनी मिलती है
चूड़ियां ज़्यादातर दाएं हाथ की ही टूटती हैं
मन हर ओर से दरकता है
बिना देखे
उसके मन को  देखा
जैसे जामुन को देखा
उसके फूल को नहीं
दोबारा देखने में चेहरा बदल जाता है
अंतर आ जाता है
जैसे दोनो ओर से
किसी मूर्ति को देखते हैं -वैसा ही  अंतर …….
4.
प्रेमी ने प्रेमिका से पूछा, कहाँ चलें
उसने पलट कर कहा,
जहाँ रात महीनों तक ठहरती है…
उसने कहा जितने समय आँखें मूने रहोगी
रात तुम्हारी होगी
दिल सीने में नहीं पीठ में भी धड़कता है
पीठ में इसकी धड़कन सीने से धीमी होती है
दोनों के बीच गुस्से की झीनी चादर होती है
साँस का सिरा सीने से ही नही
पेट से भी जुड़ा होता है
दोनों के तारतम्य के बीच
अभाव की उष्मा का अंतर होता  है
अनकहे प्रेम को
कहने की जरूरत महसूस किए बगैर
जीवन आगे बढ़ जाता  है
5.
जब उसे देखा मुझे वो नहीं दिखी
दिखी तो स्वस्तिक,शंख, चक्र,मछली
फिर दिखी भोर,दोपहरी नहीं दिखी
दिखी छांव,साँझ और फिर ज्यादा रात दिखी
उनके अवतरण होते ही
दोरंगे कमलों ने
चाँद की शक्ल इख़्तियार कर ली
उसके देखने को देखता रहा
उसकी दृष्टि पानी में दिखी तिरती
पानी में नाभि में उभरता कमल दिखा
कमल चाँद की बराबरी करता दिखा
कमल अल्पना से बना था या कल्पना से
पर थरथराती रही परछाई पानी सी
एक बूंद गिरा,आम का बौरा सा
जिसमें सुगंध महुआ की थी
सुगंध देह की है , महुआ की या कि बौर की
पर मदहोशी उससे ज्यादा शाम की है
नदी के बीच खड़े दोनों एक दूसरे में डूबते रहे
प्यास हर डुबकी के बाद बढ़ती रही
डुबकी से निकलते समय
बालों से बनता रहा अर्द्धचक्र
बूंदों का इंद्रधनुष
क्षण भर का अव्यक्त सौंदर्य है
6.
ओझल होने से पहले उसकी आवाज़ सुनी
पीछे आओ
खुद का ओझल होना कहाँ दिखता है
ओझल से वापस आना दीखता है
कपड़े साफ थे
बस रंग फीका हो गया था
मन साफ था
मन के रंग खिले हुए थे
तोता नीलकंठ लग रहा था
हाथी मन का हाथी
और आकाश नींद का आकाश
वो कमरे के जिस ओर होती
उजाला उस ओर खिसक जाता
दोनों जागे थे
और सबकुछ नींद में झूम रहा था
खामोशी आँखों में आँखे डालकर
इतिहास से मुक्त हो जाती  है
7.
वो रात की सुबह थी
तालाब में तारों की परछाई में
उनदोनों को एक दूसरे की परछाई नहीं दिखी
तुम्हारे कंधे पर चंद्रमा बैठा है
लेटते हुए उसने कहा
चाँद अब जमीन पर बिछ रहा है
देखते-देखते चाँद तालाब में डूब गया
उसने कहा वो डूबा नहीं
अदीठ मछली ने उसे निगल लिया
पर ये उस मछली का भरम है
चंद्रमा तो रोज नहाने आता है
नहाए तो उन्हें पेड़ धुला लगा
दुनिया ज्यादा हरी दिखी
आवाज की टहनी पर
मुस्कान की चहचहाहट फुदकती दिखी
प्रेम कंपकंपाते गर्व की दीप्ति को लीलते हुए
शाश्वत समय की धारा में खुद को पिरो लेता है
जीवन के खंडहर से गुजरते हुए
समय के रेशे को उंगलियों में फांस लेता है
यह सिर्फ बहती नदी है
कालातीत जीवन शेष है
जो पृथ्वी  की साँस  है
8.
खिड़की ‛खिड़की‘ है पनाला नहीं
वहाँ थूकने से
आकाश में छींटे पड़ते  हैं
जानवर हो या मनुष्य
कुछ घाव ऐसे हैं
दाग देने से गुम हो  जाते हैं
एक समय होता है उधार लेने का
एक चुकता करने का
और एक जब दोनों के मायने नहीं होते
तो “आदत” अपने मायने बदल लेती  है
हाथी का शरीर खुरदरा होता है
और मन कोमल
पिता का भी हाथ खुरदरा ही है
हाथी की चाप सुनाई नहीं पड़ती
घोड़े की पड़ती है
मैं घोड़े पर चढ़कर
हाथी की चाप के साथ चलना चाहता हूँ
जब आगे बढ़ते हैं
तो समय की तरह कुछ पीछे छूट जाता है
आदमी हाथी और घोड़े को पीछे छोड़ रहा है
और मशीन आदमी को
इतनी  ही देर में
तीन हवाई जहाजों  ने उड़ान भर ली
9.
दोपहर को जागती याद आती है
नींद यादों को पा लेती है
याद और समय  को नींद नहीं आती
यादों में पिता एक जैसे दिखते हैं
जिम्मेदारियों का बोझा ढोते
चुपचाप सिर पर हाथ रखते
बिना रोये आँख नम करते …..
पिता खाली थैला लिए चलते हैं
खाली थैले में भी जिम्मेदारी होती है
माँ और पिता में
ज्यादा बड़ा अंतर्यामी कौन  हैं
इस प्रश्न का उत्तर अबतक नहीं मिला
घर की नाली के लिए
मुहाना उतना ही जरूरी है
जितना कि व्याकरण में कोमा!
गरीबी से गरीब दिखे अमीर
और अमीर से ज्यादा अमीर थी
वो चाय वाली बूढ़ी अम्मा
सोना और चांदी से हमेशा
महंगे साबित हुए आशीर्वचन
10.
जिंदगी कभी-कभी इतनी सुंदर लगती है
कि मृत्यु समीप लगती  है
उसी पल ऐसा भी लगता है
कि देर का जीवन अभी  बचा है
उस पल भींच कर
वो मुझे अदृश्य कर देना चाहती थी
उस पल ही अंकुरित बीज से
पहली जड़ निकली होगी
उसी पल में पका हुआ आम
टपका होगा चूमने धरती को
एक आम और उगा होगा ….
11.
पेड़ पर चिड़िया बैठी है
आवाज़ की शाख  पर उसकी चहचहाहट
दोनों के सुर एक
उस रात चंद्रमा अपने आकर से बड़ा हो गया
तालाब चंद्रमा से भी बड़ा
उसे आगोश में ले लेता है
कभी-कभी हम सुंदर फूल
देखते हैं,तोड़ते नहीं !
जब लौटते हैं
तो फूल नहीं सुगंध साथ आती है
कभी ऐसा भी होता है
कि सुगंध भी  भूल जाती  है
कि उसे जाना भी है
12.
घर में सवेरे का अंधेरा है
घर के बाहर कम अंधेरा है
मन का मामला विपरीत है
नींद आने से उजाला कम होता जाता है
सुख का चिंता से बड़ा होना जरूरी है
समस्या खुद छोटी होती जाती है
भाषा सिर्फ अनुभव की अभिव्यक्ति नहीं
क्रिया की प्रक्रिया भी है
कभी कोई भूख में दिनों बाद खाता है
तो बहुत जल्दी में खाता है
जबकि लंबी तपस्या के बाद अन्न ग्रहण में
संतुष्टि पहले पेट भरती है
प्रेम और भूख में कुछ तो समानता है !
13.
 एक एक क्षण जमा करके एकांत
 इंतज़ार करते करते कमरे में पसर गया
अकेले का एकांत
अब साथ का एकांत है
अकेले नहीं वे साथ आये
स्मित उनके साथ आयी
कमरे के भीतर वे एक दूसरे को गुन रहे हैं
 बिना कहे वह कह रहा है
कल्पवृक्ष की तरह वो सुन रही है
फूल का आना,फल  का पकना और फिर टपकना
उनका देखना
अतिरिक्त की आशंका से मुक्त देखना है
वो देख नहीं रहें
सही दिशा ढूंढ रहे हैं
दिशाएं अब  उनको ढूंढ रही हैं
वे एक दूसरे की दिशा हैं
अब दोनों उस ढूंढ को ढूंढ रहे हैं
उस दिशा में पास आकर उसने कहा
तुम्हारे पास आने से हवन की सुगंध आती है…..
14.
पेड़ की डालियों की गलियों में
मन की गिलहरी  भागी-फिरती है
खोखल में कुछ अखरोट छुपाए
मन को टटोलती रहती  है
वो कहती है
मेरे मन की मत सुनो
मेरे मन की सुनोगे तो
अपने मन की कब सुनोगे
वो कहता है
हम एक दूजे के मन को  देख लेंगे
तो सुनने की जरूरत नहीं होगी
आँखे दोनों काम कर लेंगी
वे वर्तमान के सुख में इतना खोए
कि भविष्य की चिंता
उपेक्षित हो कैलन्डर से बाहर कूद गई
अब कैलन्डर भी हवा में फड़फड़ा रहा है
15.
आकाश एक स्लेट है
तारों की अपनी लिपि
दो कमरे की खिड़की से दिखता आकाश
एक दूसरे की चिट्ठी है
अंधेरे का भार
मन के भीतर होता है
मन के बाहर होता
तो कितनी झोपड़ियां धसक जातीं
बाहरी दुनिया में उजाला और अंधेरा
एक दूसरे के भार को रिक्त कर रहे हैं
16.
वो रास्ते पर था
रास्ता किसी के इंतजार में
वो बार-बार इंतजार से टकरा रहा था
इंतजार को उसने चूमा
तो वो उड़ गया
उसे उड़ना नहीं आता था
तो वो डूब गया
डूबना हवा के साथ था
हवा में रात रानी बसी थी
रात रानी कब महुआ में बदल गयी
पता नहीं चला …….
होश आया तो सपने का सुलझा प्रश्न (?)
हाथी की सूंड़ की तरह
अंधेरे उजाले के बीच
खिड़की से दिखी पाती के अंत में टंगा दिखा
वहाँ लिखा है
यह सरल नही
अनिवार्यतः दुरूह है !

=================

दुर्लभ किताबों के PDF के लिए जानकी पुल को telegram पर सब्सक्राइब करें

https://t.me/jankipul

 
      

About Prabhat Ranjan

Check Also

‘मंथर होती प्रार्थना’ की समीक्षा

पिछले वर्ष ही सुदीप सोहनी का काव्य-संग्रह ‘मन्थर होती प्रार्थना’ प्रकाशित हुआ है । इस …

36 comments

  1. इस समीक्षा को पढ़ना, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ को पढ़ते हुए मिले अनुभव से होकर दोबारा गुजरने जैसा है। यतीश जी को बधाई। बस, कुछ जगहों पर हिज्जे दुरुस्त नहीं लगे।

  2. दीपक कुमार ठाकुर

    बहुत ही सार्थक काव्यात्मक समीक्षा सर ! इसे पढ़ना दो विधाओं से एक साथ गुजरना है I
    मैंने ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ उपन्यास पढ़ा नहीं है पर आप की इस समीक्षा ने उसे पढ़ने की ललक जगा दी है I
    धन्यवाद !🙏

    (मुझे समीक्षा से निम्न पंक्तियाँ सर्वाधिक प्रिय लगीं)

    लकड़ी की अलमारी के पटरे टेढ़े हैं
    और किताबें सीधी
    जिंदगी की शक्ल आलमीरे से कितनी मिलती है

    चूड़ियां ज़्यादातर दाएं हाथ की ही टूटती है
    मन हर ओर से दरकता है

    खामोशी आँखों में आँखे डालकर
    इतिहास से मुक्त हो जाता है

    हाथी की चाप सुनाई नहीं पड़ती
    घोड़े की पड़ती है
    मैं घोड़े पर चढ़कर
    हाथी की चाप के साथ चलना चाहता हूँ

    पिता खाली थैला लिए चलते हैं
    खाली थैले में भी जिम्मेदारी होती है

    माँ और पिता में
    ज्यादा बड़ा अंतर्यामी कौन हैं
    इस प्रश्न का उत्तर अबतक नहीं मिला

    सुख का चिंता से बड़ा होना जरूरी है
    समस्या खुद छोटी होती जाती है

  3. शहंशाह आलम

    समीक्षा लिखने की यतीश कुमार की यह शैली अद्भुत है।

  4. दीवार में खिड़की/ कविता की खिड़की से.
    बहुत सुंदर प्रयास दोस्त!

  5. मुकेश कुमार सिन्हा

    अपने आप में सुंदर, सुकोमल, सम्पूर्ण कविता।
    जो पूरी काव्य संग्रह को समेटे हुए है। बधाई यतीश जी 💐

  6. मुकेश कुमार सिन्हा

    ब्लॉग के भी अपने नखरे होते हैं, एक बार में कमेंट लेटहि नहीं😊

    अपने आप में सम्पूर्ण, सुंदर और सुन्दर कविता जिसने एक पूरे कविता संग्रह को स्वयं में समेट लिया 😊

  7. This website was… how do you say it? Relevant!!
    Finally I’ve found something which helped me. Many thanks!

  8. Thanks a bunch for sharing this with all of us you really
    realize what you are speaking about! Bookmarked. Please also visit my site =).
    We will have a link trade arrangement between us

  9. whoah this weblog is fantastic i love studying your posts.

    Stay up the good work! You understand, lots of people are hunting round for this information, you can aid them greatly.

  10. Stunning quest there. What occurred after?
    Take care!

  11. This page certainly has all the information and facts I wanted about this subject and didn’t know
    who to ask.

  12. I’ve been exploring for a little for any high quality articles or blog posts on this
    kind of area . Exploring in Yahoo I finally stumbled upon this website.

    Studying this info So i’m glad to show that I’ve an incredibly just right uncanny feeling
    I found out exactly what I needed. I most without a doubt will make sure to don?t put out of
    your mind this website and give it a glance on a continuing basis.

  13. Simply want to say your article is as amazing. The clearness in your post is just cool and i could
    assume you are an expert on this subject. Fine with
    your permission let me to grab your feed to keep up to date with forthcoming post.
    Thanks a million and please carry on the gratifying work.

  14. Hi there, i read your blog from time to time and i own a similar one and i was just curious
    if you get a lot of spam comments? If so how do you prevent it, any plugin or anything you can advise?
    I get so much lately it’s driving me crazy so any assistance is very much appreciated.

  15. Hello colleagues, how is the whole thing, and what you wish
    for to say regarding this piece of writing, in my view its truly amazing in favor of me.

  16. Interesting blog! Is your theme custom made or did you download it from somewhere?

    A design like yours with a few simple adjustements would really make my blog shine.
    Please let me know where you got your design. Appreciate it

  17. Hi there, I found your web site via Google whilst looking for a comparable subject, your website got here
    up, it appears good. I have bookmarked it in my google bookmarks.

    Hello there, just changed into alert to your blog thru Google, and found
    that it’s truly informative. I’m gonna be careful for brussels.
    I’ll be grateful if you proceed this in future. Lots of people will be benefited from your writing.

    Cheers!

  18. Hello my family member! I want to say that this post is awesome, great written and include approximately all vital infos.

    I would like to see more posts like this .

  19. This is very attention-grabbing, You are a very professional blogger.
    I have joined your rss feed and stay up for looking for
    extra of your fantastic post. Additionally, I’ve shared your website in my social networks

  20. Fascinating blog! Is your theme custom made or did you download it from somewhere?
    A theme like yours with a few simple adjustements would really
    make my blog stand out. Please let me know where you got your theme.

    Many thanks

  21. I am not sure where you are getting your info, but good topic.
    I needs to spend some time learning more or understanding more.
    Thanks for great information I was looking for this information for my mission.

  22. Good way of explaining, and good paragraph to get data on the topic of my
    presentation subject matter, which i am going to present in school.

  23. I’m really enjoying the design and layout of your blog.
    It’s a very easy on the eyes which makes it much more pleasant for
    me to come here and visit more often. Did you hire out a developer to create your
    theme? Excellent work!

  24. Today, while I was at work, my sister stole my apple ipad and tested to see if it can survive a thirty
    foot drop, just so she can be a youtube sensation. My iPad is now destroyed and she has 83 views.
    I know this is entirely off topic but I had to share it
    with someone!

  25. Whoa! This blog looks just like my old one! It’s on a entirely different
    subject but it has pretty much the same page layout and design. Wonderful choice of colors!

  26. Greetings! This is my 1st comment here so I just wanted
    to give a quick shout out and tell you I truly enjoy reading through your articles.

    Can you suggest any other blogs/websites/forums that deal with the same subjects?
    Thank you!

  27. My brother suggested I may like this blog.

    He was totally right. This publish truly made my day.
    You can not consider just how so much time
    I had spent for this info! Thank you!

  28. Have you ever thought about writing an e-book or guest authoring on other websites?
    I have a blog based on the same ideas you discuss and would really like to have you share some stories/information. I know
    my viewers would appreciate your work. If you’re even remotely interested,
    feel free to send me an email.

  29. Right now it appears like Drupal is the preferred blogging platform out there right now.
    (from what I’ve read) Is that what you are using
    on your blog?

  30. Wonderful beat ! I would like to apprentice while you amend your web site, how could i
    subscribe for a blog web site? The account aided me a acceptable deal.
    I had been a little bit acquainted of this your broadcast provided bright clear concept

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *