ईसा तुम्हारी संतानें वैसी ही हैं अभी भी

आज तुषार धवल की कविताएँ. तुषार की कविताओं में न विचारधारा का दबाव है, न ही विचार का आतंक. उनमें सहजता का रेटौरिक है. अपने आसपास के जीवन से, स्थितियों से कविता बुनना- वह भी इतनी सूक्ष्मता से, कोई उनसे सीखे. यहाँ उनकी कुछ नई कविताएँ हैं- जानकी पुल. 1. …

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रचनात्मकता एक अंधड़ है मेरे लिए

वरिष्ठ पत्रकार, कथाकार गीताश्री को उनकी सम्पादित पुस्तक ‘नागपाश में स्त्री’ के लिए वर्ष २०११ का सृजनगाथा सम्मान दिए जाने की घोषणा हुई है. उनको जानकी पुल की ओर से बहुत बधाई. प्रस्तुत है इस अवसर पर उनका लेख जो उनके अपने ही कहानी लेखन को लेकर है- जानकी पुल. …

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अपर्णा मनोज की ‘द अनटाईटल्ड स्टोरी’

जैसे अपर्णा मनोज की कविताओं का अपना ही मुहावरा है, उसी तरह उनकी इस कहानी का स्वर. साधा हुआ शिल्प, गहरी संवेदना. उनकी इस ‘लगभग पहली कहानी’ को प्रकाशित करते हुए जानकी पुल को गर्व महसूस हो रहा है. आप भी पढ़िए. आज फिर वह दर्पण छ : रास्ते  पर …

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सच में झूठ को मिलाता चलता हूँ

‘रॉकस्टार’ फिल्म ने एक बार फिर इम्तियाज़ अली को एक ऐसे लेखक-निर्देशक के रूप में स्थापित कर दिया है जिसने हिन्दी सिनेमा को नया मुहावरा दिया, प्रेम का एक ऐसा मुहावरा जिसमें आज की पीढ़ी की बेचैनी छिपी है, टूटते-बनते सपनों का इंद्रधनुष है, सबसे बढ़कर आत्मविष्वास है जिससे उनकी …

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नीम करौली बाबा और स्टीव जॉब्स

वाल्टर इसाकसन द्वारा लिखी गई स्टीव जॉब्स की जीवनी का एक सम्पादित अंश. अनुवाद एवं प्रस्तुति- प्रभात रंजन  ===========================   स्टीव जॉब्स के बारे में कहा जाता है कि तकनीकी के साथ रचनात्मकता के सम्मिलन से उन्होंने जो प्रयोग किए उसने २१ वीं सदी में उद्योग-जगत के कम से कम …

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खुमार और खून हमजाद़ हैं यहाँ

युवा कथाकार-पत्रकार आशुतोष भारद्वाज की ‘नक्सल डायरी’ की दूसरी किस्त.  सरगुजा, बीजापुर, बस्तर-दंतेवाड़ा के इलाके अब नक्सल-प्रभावित इलाके कहलाते हैं. इनके घने जंगलों के बीच जो जीवन धडकता है अनिश्चयता के भय और आतंक के साये में वह कितना बदल रहा है. यह आशुतोष की कलम का जादू है- वह …

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साजिश रचती हैं सांसें मेरे खिलाफ

आज प्रमोद कुमार तिवारी की कविताएँ. प्रमोद भाषा में बोली की छौंक के कवि हैं. उस गंवई संवेदना के जिसे हम आधुनिकता की होड़ में पीछे छोड़ आये हैं. शोकगीत की तरह लगती उनकी ये कविताएँ जीवन के अनेक छूटे हुए प्रसंगों की ओर ले जाती हैं, टूटे हुए सपनों …

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जनतंत्र में नायक कौन होता है?

कवि बद्रीनारायण का नाम देश के ‘सबाल्टर्न’ इतिहास-धारा में बहुत आदर से लिया जाता है. दलित समाज के किस्सों-कहानियों के आधार पर उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण स्थापनाएं की हैं. हमारे समाज में नायकत्व की अवधारणा को लेकर उनका एक दिलचस्प लेख- जानकी पुल.        बचपन में मेरी माँ एक कहानी सुनाती …

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हिंदी के पाठकों का आस्वाद बदल रहा है

हाल में ही हिंदी के वरिष्ठ कथाकार स्वयंप्रकाश को कथाक्रम सम्मान दिए जाने की घोषणा हुई है. इस अवसर पर प्रस्तुत है इलेक्ट्रोनिक मीडिया, भारतीय समाज और हिंदी कहानी के पारस्परिक संबंधों पर उनके साथ माधव हाड़ा की बातचीत. बातचीत उपलब्ध करवाने के लिए हम कल्पनाशील संपादक, युवा आलोचक पल्लव के आभारी …

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बस्तर में एक पूरी प्रजाति का स्नायु-संविधान बदल रहा है

युवा कथाकार आशुतोष भारद्वाजइन दिनों अपने अखबार के असाइनमेंट पर छत्तीसगढ़ के उन इलाकों में रह रहे हैं जिन्हें ‘नक्सल प्रभावित क्षेत्र’ कहा जाता है. खौफ, संशय, हिंसा के साये में जीता वह समाज किस तरह बदल रहा है इसकी कुछ टीपें उन्होंने अपनी डायरी में दर्ज की हैं. नाम …

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