वरिष्ठ कथाकार कृष्ण बलदेव वैद ने भी अपनी किताबें ज्ञानपीठ से वापिस लीं!

कुलपति-ज्ञानोदय विवाद में अपने विरोध को और सख़्त रूप देते हुए हिंदी के वरिष्ठतम लेखकों में एक श्री कृष्ण बलदेव ने भी भारतीय ज्ञानपीठ से अपनी किताबें वापिस ले ली हैं। श्री वैद इस समय अमेरिका में हैं और वहाँ से ज्ञानपीठ के न्यासी श्री आलोक जैन को लिखे एक …

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सच को सपने की तरह लिखने वाला लेखक

 महान लेखक मार्खेज़ के जीवन और लेखन पर मेरा यह लेख ‘अहा ज़िंदगी’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था- प्रभात रंजन  बीसवीं शताब्दी के सबसे प्रभावशाली लेखकों में माने जाने वाले लेखक गाब्रिएल गार्सिया मार्केज़ ने अपने बारे में लिखा है कि मेरा आरंभिक जीवन कठिन लेकिन जादुई था लेकिन …

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शताब्दी-कवि गोपाल सिंह नेपाली

वर्ष २०११ अज्ञेय, शमशेर बहादुर सिंह और नागार्जुन जैसे हिंदी के मूर्धन्य कवियों का जन्मशताब्दी वर्ष ही नहीं है वह ११ अगस्त १९११ को जन्मे और लगभग बिसरा दिए गए गीतकार गोपाल सिंह नेपाली का भी जन्मशताब्दी वर्ष है. शोधग्रंथों में उनको उत्तर-छायावाद का कवि माना जाता है और उनकी …

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लोकप्रिय तो बहुत हैं मगर एक थे जनप्रिय लेखक

जासूसी उपन्यासों की कोई चर्चा शायद जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा के बिना पूरी नहीं हो सकती. दिल्ली क्लॉथ मिल में मजदूरी करने वाले ओम प्रकाश शर्मा लाल सलाम करके मिल में मजदूरों की लड़ाई भी लड़ते थे. जनवादी विचारों को मानने वाला यह जासूसी लेखक बड़ी शिद्दत से इस …

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एक बार सोचकर देखें

‘तहलका‘ के नए अंक में प्रकाशित प्रसिद्ध लेखिका मृदुला गर्ग का यह लेख नया ज्ञानोदय–साक्षात्कार प्रकरण में कई ज़रूरो सवालों की याद दिलाता है. संपादक की भूमिका की याद दिलाता है. एक समय था कि संपादक आगे बढ़कर अपनी ज़िम्मेदारी स्वीकार कर लेते थे, एक यह दौर है कि साक्षात्कार …

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पटाक्षेप अभी नहीं

कवि-आलोचक, प्रतिलिपि.इन के संपादक गिरिराज किराड़ू ने आज जनसत्ता में प्रकाशित अपने लेख में कुलपति-नया ज्ञानोदय प्रकरण और उसके प्रति लेखक समाज की नाराज़गी की प्रकृति, उसमें अन्तर्निहित पहलुओं को बड़े वैचारिक परिप्रेक्ष्य में देखा है. साथ ही, कुछ ऐसे ज़रूरी सवाल इस लेख में उठाये गए हैं जिनके जवाब …

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बेदिल की मुश्किल: असद ज़ैदी

इस आयोजन के तो नागरजी मैं सख़्त ख़िलाफ़ हूँ लिखित में कोई बयान पर मुझसे न लीजिये मैं जो कह रहा हूँ उसी में बस मेरी सच्ची अभिव्यक्ति है वैसे भी मौखिक परंपरा का देश है यह जीभ यहाँ कलम से ज़्यादा ताकतवर रहती आयी है नारे से ज़्यादा असर …

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असंभावित की संभावना का लेखक

पुर्तगाल के नोबेल पुरस्कार विजेता लेखक जोसे सरामागो का हाल में ही निधन हो गया. उनके जीवन और साहित्य पर यह लेख मैंने कादम्बिनी पत्रिका के लिए लिखा था. जो उसके अगस्त अंक में प्रकाशित हुआ है-प्रभात रंजन जोसे सरामागो डॉट ब्लॉस्पॉट डॉटकॉम– सतासी साल की उम्र में दिवंगत हुए …

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सरस्वती मिनरल वॉटर प्राईवेट लिमिटेड

मूलतः कवि गिरिराज किराड़ू अपने प्रयोगधर्मी गद्य के लिए भी पहचाने जाते हैं. पिछले दिनों उनकी कुछ कहानियों ने अपने शिल्प, अपनी किस्सागोई से प्रभावित किया. नॉन–फिक्शन में भी उन्होंने खासे प्रयोग किये हैं. काफी गंभीर बात खिलंदड़े अंदाज़ में कह जाना उनकी शैली की एक विशेषता है. प्रस्तुत है …

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नेमिचंद्र जैन स्मरण

आज कवि–आलोचक–नाट्य–विशेषज्ञ नेमिचंद्र जैन की ९१वीं जयन्ती है. तार सप्तक के इस कवि ने साहित्य की अनेक विधाओं में सिद्धहस्तता से लेखन किया, नाट्यालोचन की संभावनाओं का विस्तार किया. लेकिन किसी तरह की होड़ की पंक्तिबद्धता में वे नहीं पड़े, उन्होंने विनम्रता की करबद्धता को अपनाया, वे मूलतः कवि थे …

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