श्रीलालजी खुद को जनवाने के ‘अतिरिक्त अवसर’ नहीं देते

श्रीलाल शुक्ल को श्रद्धांजलि स्वरुप प्रस्तुत है सुशील सिद्धार्थ का यह लेख. सुशील जी उनके आत्मीय थे और इस लेख में उन्होंने श्रीलाल जी के व्यक्तित्व के कई पहलुओं को छुने की कोशिश की है- जानकी पुल. उन्नीस सौ बयासी-तिरासी की बात है. यशस्वी कथाकार अमृतलाल नागर के घर पर …

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आस-उम्मीद या तुमसे मुक्ति नहीं मांगूंगा

आज युवा कवि प्रशांत की कविता. एक उम्मीद, विश्वास की तरह ये कविताएँ अपने खिच्चेपन में हमारा ध्यान बड़ी सहजता से खींचती हैं. वैचारिक आग्रहों का दबाव इनमें नहीं दिखता है बल्कि जीवन के पड़ाव दिखते हैं. कवि कुछ देर ठहरकर सोचता है, आगे बढ़ जाता है.   उम्र की संकरी …

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‘लोकप्रिय’ लेखक को महत्वपूर्ण सम्मान

बड़े साहित्यिक पुरस्कार ‘महत्वपूर्ण’ साहित्य को मिलना चाहिए या ‘लोकप्रिय’ साहित्य को. वर्ष २०११ का प्रतिष्ठित मैन बुकर प्राइज़ जूलियन बर्न्स के उपन्यास ‘द सेन्स ऑफ एंडिंग’ को मिलने से यह बहस छिड़ गई है. कोई भी पुरस्कार सभी साहित्यिकों की अपेक्षाओं पर पूरी तरह खरा नहीं उतर सकता है. …

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जो ‘कूल’ होते हैं वे हिंदी के नॉवेल नहीं पढ़ते

चेतन भगत इस समय भारत में अंग्रेजी के निस्संदेह सबसे ‘लोकप्रिय’ लेखक हैं. सबसे बिकाऊ भी. जो बोल देते हैं वही चर्चा का सबब बन जाता है. पिछले दिनों उनका एक बयान मुझे भी अच्छा लगा था. उन्होंने इन्फोसिस के नारायणमूर्ति को ‘बॉडीशॉपिंग’ करने वाला करार दिया था. नारायणमूर्ति ने …

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विनम्र कवि को नोबेल

कवि-संपादक गिरिराज किराडू ने यह लेख टोमास ट्रांसट्रोमर की कविता और उनको मिले नोबेल सम्मान पर लिखा है. यह छोटा-सा लेख न केवल ट्रांसट्रोमर की कविता को समझने में हमारी मदद  करती है बल्कि नोबेल की पोलिटिक्स की ओर भी संकेत करती है. बेहद पठनीय लेकिन विद्वत्तापूर्ण लेख- जानकी पुल.  …

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नारी का मन और उसकी कलम

कवयित्री, संगीतविद वंदना शुक्ला ने स्त्री-लेखन को एक अलग ही नज़रिए से देखा है. मन और कलम के द्वंद्व के रूप में. स्त्री-लेखन के इतिहास पर एक विहंगम दृष्टि. कई महत्वपूर्ण सवाल उठाने वाला एक महत्वपूर्ण लेख- जानकी पुल. नैतिक शिक्षा या नागरिक शास्त्र (सिविक्स) विषय में कुछ वाक्य पढाए …

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नीला घर का महाकवि टोमस ट्रांस्टोमर

जून २००१ में हिंदी कवयित्री तेजी ग्रोवर स्वीडन गई थी तो वहाँ टोमस ट्रांसटोमर से मिलने गई थीं, उनके ऐतिहासिक नीले घर में. उसके बाद उनके ऊपर, उस् मुलाकात के ऊपर उन्होंने एक संस्मरण लिखा था, जो ‘बहुवचन’ में प्रकाशित हुआ था. स्वीडिश कविता के उस् महान हस्ताक्षर को नोबेल …

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प्रेम का आसरा अटारी पर बैठे कबूतर थे

अभी हाल में ही युवा कवयित्री विपिन चौधरी को डॉ अंजना सहजवाला कविता सम्मान मिला है. जानकी पुल की ओर से उनको बधाई और प्रस्तुत हैं उनकी कुछ नई कविताएँ- जानकी पुल. खोज अर्थात वास्कोडिगामा   महज़ काली मिर्च की खुश्बु ही किसी लम्बी भटकन का कारण नहीं हो सकती …

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किन्नर कौन होते हैं?

प्रसिद्ध लेखक एस. आर. हरनोट की कहानियां अक्सर हमें कुछ सोचने के लिए विवश करती हैं. उनकी अनेक कहानियों में हिमाचली संस्कृति, वहां की परम्पराओं के प्रति गहरी चिंता दिखाई देती है. आज उनकी एक कहानी ‘किन्नर’. किस तरह किन्नौर के लोगों के लिए प्रयुक्त होने वाला यह शब्द कालांतर …

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सब ठीक-ठाक ही दीखता है इस अल्लसुबह…

अपर्णा मनोज की कविताओं का मुहावरा एकदम अलग से पहचान में आता है. दुःख और उद्दाम भावनाओं के साथ एक गहरी बौद्धिकता उनकी कविताओं का एक अलग ही मुकाम बनाती हैं.  कई-कई सवाल उठाने वाली ये कविताएँ मन में एक गहरी टीस छोड़ जाती हैं. आज प्रस्तुत हैं उनकी पांच …

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