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मुझे लघु पत्रिकाएं और लेखक संगठन जरूरी लगते हैं- पल्लव

आज लघु पत्रिका दिवस है। लघु पत्रिका से ‘बनास जन’ की याद आती है। ‘बनास जन’ से पल्लव की याद आती है। युवा आलोचक पल्लव ने अपने कुशल संपादन और जुनून से ‘बनास जन’ को श्रेष्ठ लघु पत्रिकाओं में एक बना दिया है। पल्लव से उनकी साहित्यिक यात्रा, बनास जन …

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अनुपम त्रिपाठी की तीन कविताएँ

आज पढ़िए युवा कवि अनुपम त्रिपाठी की कविताएँ। बहुत साधारण प्रसंगों में गहरे संकेत छोड़ने वाली इन कविताओं को पढ़िए। एक अलग तरह की आत्मीयता दिखाई देगी- ========== 1 लकड़ी के तिपहिए को डगराने से पहले की स्मृति में जो हाथ याद आता है मिट्टी की जमीन पर पड़ी हथेलियां …

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कला की शमशीर पर विशुद्ध चेतना की धार

आज वरिष्ठ पेंटर-लेखक अखिलेश का जन्मदिन है। अभी हाल में ही सेतु प्रकाशन से किताब आई है ‘इस प्रकार: चित्रकार अखिलेश से संवाद’। इसी पुस्तक के बहाने पढ़िए वरिष्ठ लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ की यह टिप्पणी- ============= वैसे मैं अच्छी किताबों और अच्छी चॉकलेट्स को लेकर अधीर बच्चे सी हूँ जो …

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समवाय : कलात्मक एवं वैचारिक प्रतिबद्धताओं का कोलाज 

21-22 जुलाई को मण्डला में रजा न्यास की ओर से ‘समवाय’ का आयोजन किया गया था। उसकी विस्तृत रपट लिखी है कवयित्री स्मिता सिन्हा ने- =================== मम्मी, आपको देर हो गई ना आने में। हमारे परफॉर्मेंस पर लोगों ने खूब तालियां बजाईं। बहुत सराहा गया हमें।’ बारिश के बूंदा-बांदी में …

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एक देशभक्त की कथा: हरिशंकर परसाई

आज महान व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की जयंती है। आज से उनकी जन्मशताब्दी की भी शुरुआत हो रही है। इस अवसर पर पढ़िए उनका एक व्यंग्य जो ‘विकलांग श्रद्धा का दौर’ से लिया है। यह किताब राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित है- ======================= चीनी डॉक्टर भागा [एक देशभक्त की कथा] शहर के …

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   पुरानी देह से नया परिचय कराती ‘एवरीथिंग नोबडी टेल्स यू अबाउट योर बॉडी’

अभी हाल ही में डॉ.तनाया नगेंद्र ( डॉ. क्यूटरस के नाम से प्रसिद्ध) की किताब आई है ‘tanaya ‘। पेंग्विन से प्रकाशित इस किताब में मुख्यत: स्त्री-पुरुषों के प्रजनन संबंधी अंगों से जुड़ी नई व्याख्या प्रस्तुत की गई है। इसके साथ ही इन सब से जुड़ कई मिथों को तोड़ने …

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मेरी कथा कसौटी: रत्नेश्वर

हिंदी में साइंस फ़िक्शन की विधा को लोकप्रिय बनाने वाले लेखक रत्नेश्वर ने अपने लेखन की कसौटी, रचना प्रक्रिया के बारे में लिखा है। आप भी पढ़ सकते हैं- ======================== एक उपन्यासकार-कथाकार के रूप में मैंने स्वयं के लिए कुछ कसौटी तय कर रखी है. स्वलेखन में मैं कथा को …

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धीरेंद्र अस्थाना की आत्मकथा पर यतीश कुमार की टिप्पणी

प्रसिद्ध लेखक धीरेंद्र अस्थाना की आत्मकथा को आए कई साल हुए लेकिन अभी उसकी चर्चा मंद नहीं पड़ी है। आज कवि-समीक्षक यतीश कुमार ने राजकमल से प्रकाशित उनकी आत्मकथा ‘ज़िंदगी का क्या किया’ पर यह टिप्पणी लिखी है। और हाँ, यतीश कुमार काव्यात्मक समीक्षाएँ ही नहीं गद्य भी अच्छा लिखते …

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माधुरी की कहानी ‘लक ये है कि काफ़ी बैडलक है!’

आज पढ़िए युवा लेखिका माधुरी की कहानी। लॉकडाउन, टिक टॉक आदि संदर्भों के साथ कहानी बहुत रोचक बन पड़ी है। आप भी पढ़ सकते हैं- ====================== कानों से सुनी सुनाई बातें न होतीं तो उन्हें आँखों से देखने की इच्छा कहाँ से आती भला? कान ही हैं जो सुनने के …

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वरिष्ठ लेखक जयशंकर की डायरी के अंश

जब कोई पढ़ा लिखा लेखक डायरी लिखता है तो पढ़ने में बहुत अच्छा लगता है। जैसे वरिष्ठ लेखक जयशंकर की डायरी के ये अंश- ============================ इबारतें (जनवरी – सितम्बर 2015) -१- इन सर्दियों में ‘रूपा’ से आये  ‘महाभारत’ के रमेश मेनन के अनुवाद के दोनों खंडों को पढ़कर समाप्त किया …

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