अभी कुछ दिनों पहले लन्दन में रहने वाले एक तथाकथित लेखक ने फणीश्वरनाथ रेणु का मजाक उड़ाते हुए लिखा कि उनकी भाषा का अनुवाद होना चाहिए क्योंकि उनकी बिहार के बाहर के लोगों को समझने में मुश्किल होती है. मुझे याद आया कि निर्मल वर्मा ने रेणु जी के ऊपर …
Read More »एक अनुवाद पुस्तक जो अनुवाद के मानक की तरह है!
क्या सच में हिंदी की दुनिया बदल गयी है, बदल रही है. एक जमाने में अच्छी किताबों की चर्चा हुआ करती थी, आज उनको नजरअंदाज कर दिया जाता है. ऐसा ही एक अनुवाद जाने माने आलोचक, अनुवादक मदन सोनी द्वारा किया हुआ आया है- खाली नाम गुलाब का. अम्बर्तो इको …
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