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Tag Archives: surendra mohan pathak

सुरेन्द्र मोहन पाठक और उनके पाठकों की दुनिया: कुछ अनछुए पहलू

सुरेन्द्र मोहन पाठक के आत्मकथा का पहला खंड ‘न बैरी न कोई बेगाना’ बाजार में आने वाला है. उनके पाठकों में बहुत उत्साह है. यह बात शायद लोगों को उतना पता न हो कि पाठक जी अकेले ऐसे लेखक हैं जिनका फाइन क्लब है. जिनके प्रशंसक निस्वार्थ भाव से उनके …

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सुरेन्द्र मोहन पाठक और ‘न बैरी न कोई बेगाना’

हिंदी क्राइम फिक्शन के बेताज बादशाह सुरेन्द्र मोहन पाठक की आत्मकथा ‘न बैरी न कोई बेगाना’ का लोकार्पण जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में हुआ. इसका प्रकाशन वेस्टलैंड ने किया है. अब पाठक जी के पाठकों के लिए ख़ुशी की बात यह है कि 16 फ़रवरी से यह आत्मकथा पाठक जी के …

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लुगदी के जासूस और लुगदी के लेखक

कल रायपुर से प्रकाशित होने वाले अखबार ‘नवभारत’ में हिंदी जासूसी उपन्यास के इतिहास और परंपरा को लेकर मेरा यह लेख प्रकाशित हुआ था. आप पढना चाहते हैं तो यहाँ पढ़ सकते हैं- प्रभात रंजन ========================================== फ़रवरी के महीने में वेद प्रकाश शर्मा का देहांत हुआ तो जैसे हिंदी जासूसी …

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दरियागंज की 21 नम्बर गली ब्रजेश्वर मदान और सुरेन्द्र मोहन पाठक!

दरियागंज की 21 नंबर गली के सामने से जब भी गुजरता हूँ मुझे 90 के दशक के आरंभिक वर्षों के वे दिन याद आ जाते हैं जब इस गली का आकर्षण मेरे लिए बहुत अधिउक होता था. वहां दीवान पब्लिकेशन्स का दफ्तर था, जहाँ से फ़िल्मी कलियाँ नामक पत्रिका का …

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सुरेन्द्र मोहन पाठक क्यों हिंदी लोकप्रिय लेखन के शिखर हैं?

जब मैं यह कहता हूँ कि सुरेन्द्र मोहन पाठक हिंदी के सबसे लोकप्रिय लेखक हैं तो उसका मतलब यह लिखना नहीं होता है कि वे हिंदी के सबसे अच्छे लेखक हैं, सबसे बड़े लेखक हैं? लेकिन यह जरूर होता है कि हिंदी में जो लोकप्रिय लेखन की धारा है वे …

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सुरेन्द्र मोहन पाठक की ‘कलम-मसि’ यात्रा और लोकप्रिय बनाम गंभीर की बहस

23 जुलाई को पटना में हिंदी की दुनिया में बदलाव के एक नए दौर की शुरुआत का दिन था. निर्विदाद रूप से हिंदी के सबसे लोकप्रिय अपराध-कथा लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक पटना आये, यहाँ के पाठकों से संवाद किया. लेखक कम आये लेकिन पाठक जी जैसे लेखक लगभग साठ साल …

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