सुरेन्द्र मोहन पाठक का 300 वाँ उपन्यास ‘क़हर’ विमल सीरिज़ का 43 वाँ उपन्यास है। पाठक जी का विमल सीरीज़ पाठकों के दिल के बेहद क़रीब रहा है। यह बात इस उपन्यास से भी साबित हुआ है। इसने बिक्री का एक नया कीर्तिमान बनाया है। पढ़िए-
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सुरेंद्र मोहन पाठक का 300वां उपन्यास क़हर इतने कम दिनों में बिक्री के सारे कीर्तिमान तोड़ता हुआ नजर आ रहा है. विमल सीरीज़ का यह 43वां उपन्यास है और जो पाठक सरदार सुरेंद सिंह सोहल, नीलम और विमल जैसे चरित्रसे अवगत हैं उन्हें बिल्कुल समझने में दिक्कत नहीं होगी कि यह उपन्यास कितना दिलचस्प होगा.एक रॉबिनहुड सरीखे इंसान की कहानी जिस पर कई आपराधिक आरोप हैं लेकिन वो दिल का सच्चा है और कहींभी अन्याय होते देख जिसके तन-बदन में आग लग जाती है. पाठक के उपन्यास के मुख्य चरित्र कुछ ऐसे ही होतेहैं. एक सतत एंग्रीमैन पाठक का हीरो है. संभवत: सन् साठ के दशक से जब सुरेंद्र मोहन पाठक ने लोकप्रिय साहित्य के इलाके में अपना हाथ आजमाना शुरू किया तो हिंदुस्तान की तत्कालीन समाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों का असर उन पर रहा होगा. वो एंग्रीमैन राजनीति में चाहे जेपी के तौर पर उभरा हो या रूपहले पर्दे पर अमिताभ बच्चन के तौर पर, पाठक के उपन्यासों में विमल उन सभी का मिलाजुला रूप है.जिस जमाने में कहा जा रहा है कि टीवी, मोबाइल और इंटरनेट ने लोगों में पढ़ने-लिखने की रुचि खत्म कर दी है,सुरेंद्र मोहन पाठक के उपन्यासों की लगातार इतनी बिक्री ताज्जुब कर देती है.सन् अस्सी या नब्बे के दशक में जब घरों में दूरदर्शन लगभग एकमात्र समाचार और मनोरंजन का माध्यम था, उससमय उपन्यासों की ज्यादा बिक्री समझी जा सकती थी. लेकिन इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक में भी अगर पाठकबिक रहे हैं तो यह उनका कंटेंट ही है.
सुरेंद्र मोहन पाठक के लोकप्रिय उपन्यासों एक अलग ‘वैल्यू’ है. हिंदी जगत को लिखने-पढ़ने की रुचि की तरफ मोड़ने में इन उपन्यासों का खासा रोल रहा है. हजारों-लाखों नौजवान इन उपन्यासों को पढ़कर पढ़ाई के व्यसनी हुएऔर जो बाद में गंभीर साहित्य के भी श्रोता बने.
सुरेंद्र मोहन पाठक ने अपना लेखकीय करियर जेम्स हेडली चेइज और मारियो पूजो के उपन्यास के अनुवाद से शुरू किया था. यों, वह विज्ञान स्नातक थे और टेलीफोन उद्योग में काम करते थे. लेकिन बाद सन् 60 के दशक से वेनियमित लिखने लगे और उन्हें ढेर सारे पाठक भी मिले.
क़हर उनका ताज़ा उपन्यास है जिसे हिंद पॉकेट बुक्स ने प्रकाशित किया है.
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पुस्तक: क़हर
प्रकाशक: हिंद पॉकेट बुक्स
कीमत: 175 रु.
मेरी नजर मे वे एक महान लेखक हैं,मैउनकी बहुत
इज्जत करता हूं ,मै बचपन मे जब उनके उपन्यास
दस रूपये,बीस रूपये मे खरीद कर पढ़ता था। कभी
कभी तो इनसे उनसे मांग कर पढ़ता था। उनकी लेखनी
का मै इतना दिवाना था कि मै शब्दों में बयां नही कर
सकता। मगर छोटे मोटे बुक स्टाल और महगाई की मार
की वजह नें न जाने कितनें को लेखक और पाठक को
जुदा होने पर मजबुर कर दिया। फिरवो मेरे मानसपटल पर
आज भी कलम के महान नायक हैं।
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