दिल्ली में नेहरु प्लेस के पास जर्मन बुक ऑफ़िस है। जर्मनी और भारतीय पुस्तक व्यवसाय से जुड़े लोगों, संस्थाओं के साथ मिलकर पुस्तकों के विस्तार के लिए काम करती है। इसका एक बहुत अच्छा कार्यक्रम है jumpstart। जिसके तहत यह संस्था बच्चों और वयस्कों के लिए किताब तैयार करवाने की दिशा में मदद देने का काम करती है। समय समय पर वर्कशॉप का आयोजन करती है। जिनमें अपने अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ सम्भावित लेखकों को टिप्स देते हैं। उदाहरण के लिए बाल साहित्य पर आयोजित वर्कशॉप के मेंटर थे जाने माने लेखक ज़ेरी पिंटो। मुझे समय पर पता चला होता तो मैं भी ज़रूर जाता। मैं भी बच्चों के लिए लिखना चाहता हूँ लेकिन यह नहीं समझ आता है कि क्या लिखूँ जो आजकल के बच्चों के अनुकूल हो। इसी तरह एक वर्कशॉप हिंदी कहानी लेखन पर अनु सिंह चौधरी ने आयोजित किया। अनु सिंह हिंदी के उन कुछ गिने चुने पेशेवरों में हैं जो अपने काम को बहुत अच्छी तरह अंजाम देती हैं। निश्चित ही सम्भावित लेखकों को इससे काफ़ी कुछ सीखने को मिला होगा। हाल में ही एक अलग तरह का वर्कशॉप jumpstart में आयोजित हुआ जो किताबों के प्रोमोशन को लेकर था। केवल किताब लिखना ही नहीं किस तरह उसको प्रकाशन के लिए संपर्क किया जाए, किस तरह प्रचार प्रसार पर ध्यान दिया जाए। इसमें मेंटर थे जाने माने अनुवादक, लेखक अरुणावा सिन्हा। ब्लूम्सबरी की मीनाक्षी और पेंगुइन बुक्स की मिली ऐश्वर्या विशेषज्ञ के रूप में मौजूद थीं। मुझे यह देखकर अच्छा लगा कि हर उम्र, हर पेशे के लोग वर्कशॉप में मौजूद थे और हर तरह से उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया जा रहा था। एक बुज़ुर्ग महिला भी थीं जिन्होंने अस्सी साल की उम्र के बाद लिखना शुरू किया था।
अगर आप लेखक हैं या लेखक बनने की तमन्ना रखते हैं तो jumpstart की वेबसाइट पर नज़र रखें। बहुत अच्छा अनुभव रहेगा।
प्रभात रंजन