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कविताएं

विजया सिंह की कुछ नई कविताएँ

विजया सिंह चंडीगढ़ के एक कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाती हैं. सिनेमा में गहरी रूचि रखती हैं. कविताएँ कम लिखती हैं लेकिन ऐसे जैसे भाषा में ध्यान लगा रही हों. उनकी कविताओं की संरचना भी देखने लायक होती है. उनकी कुछ कवितायेँ क्रोएशियन भाषा में हाल ही में अनूदित हुई हैं. …

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स्मिता सिन्हा की आठ नई कविताएँ

स्मिता सिन्हा की कविताएँ प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में छपती रहती हैं, सराही जाती हैं. उनका एक अपना समकालीन तेवर है, संवेदना और भाषा है. प्रस्तुत है कुछ नई कविताएँ- मॉडरेटर ============================ (1) मैंने देखे हैं उदासी से होने वाले बड़े बड़े खतरे इसीलिए डरती हूँ उदास होने से डरती हूँ …

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राजेश प्रधान की दो नई कविताएँ

बोस्टन प्रवासी राजेश प्रधान पेशे से वास्तुकार हैं, राजनीतिशास्त्री हैं. हिंदी में कविताएँ लिखते हैं. उनकी कविताओं में सतह के नीचे की दार्शनिकता, विचार, गहन चिंतन है जो उनकी कविताओं को एक अलग ही स्वर देता है. उनकी दो अलग मिजाज की कविताएँ आज पढ़िए- मॉडरेटर ======================= 1 सृष्टि और …

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पसीने की कविता जो दरकते खेत में उगती है

आज प्रस्तुत हैं विवेक चतुर्वेदी की कविताएँ – संपादक ===================================================== पसीने से भीगी कविता एक पसीने की कविता है जो दरकते खेत में उगती है वहीं बड़ी होती है जिसमें बहुत कम हो गया है पानी उस पहाड़ी नाले में नहाती है अगर लहलहाती है धान तब कजरी गाती है …

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सदैव की कविताएँ

आज प्रस्तुत हैं सदैव की कविताएँ – संपादक ======================================================== हम इस पेड़ को याद रखेंगे ———– तंग पगडंडियों से बियाबान जंगलों के बीच होकर दलदली जमीन में कमर तक धंसा घुप अंधेरे या भरी दोपहर खाली सवेरों-शामों से जब मैं चलता जाता था निर्जन पठारों पर कभी कभी बर्फीली हवाओं …

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प्रकृति करगेती की कुछ कहाविताएं

युवा लेखिका प्रकृति करगेती लेखन में नए नए प्रयोग करती हैं। कहाविता ऐसा ही एक प्रयोग है। आज उनकी कुछ कहाविताएं पढ़िये- मौडरेटर ==============       चेकमेट लड़का और लड़की, शतरंज के खेल में मिले। लड़का, दिलोदिमाग हारता गया। लड़की खेलती गयी। खेलते खेलते लड़का मारा गया। लड़की ने आंखिरी …

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सौम्या बैजल की कविताएं

सौम्या बैजल की कवितायें-कहानियाँ जानकी पुल पर कुछ वर्षों से समय समय पर आती रही हैं। अच्छा यह लगता है कि उन्होने लगातार अपने लेखन-कौशल को परिष्कृत किया है। इन दो कविताओं को पढ़ते हुए ऐसा महसूस हुआ- ========================================= चोट  देखो छिली खाल, दर्द हुआ? यह लाल पानी, जिसका एक …

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राजेश प्रधान की कविता ‘कुछ ऐसी भी बातें होती हैं’

मुझे सबसे सच्चे कवि वे लगते हैं जो अपने मन की भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कवितायें लिखते हैं। जैसे राजेश प्रधान जी। अमेरिका के बोस्टन में रहते हैं। वास्तुकार हैं, राजनीति विज्ञानी हैं। लता मंगेशकर के गीत ‘कुछ ऐसी बातें होती हैं’ को सुनते हुए एक बड़ी प्यारी कविता …

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प्रकृति करगेती की कविता ‘बादलों की बन्दूक’

समकालीन राजनीति और समाज के सोच को लेकर प्रकृति करगेती की एक अच्छी कविता मिली- मौडरेटर ====================================================   संध्याकाल को बादलों की बन्दूक ताने एक आदमी दिखा उसे गौर से देखा गया ऐसा लगता था की क्लाशनिकोव तानी हो उसने वो विद्रोह की फ़िराक में था क्यूंकि वो अक़्ली खड़ा …

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‘माधुरी’ में प्रकाशित एक फ़िल्मी चालीसा

फिल्म पत्रिका माधुरी के सन 1972 के अंक में छपी हनुमान चालीसा की तर्ज़ पर वीरेंद्र सिंह गोधरा की फिल्मी चालीसा. एक से एक रचनाओं की खोज करने वाले प्रकाश के रे के सौजन्य से पढ़िए- मॉडरेटर  ======================================== दोहारू सहगल चरण स्पर्श कर, नित्य करूँ मधुपान। सुमिरौ प्रतिपल बिमल दा, …

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