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लेख

बिना मेकअप की सेल्फ़ियाँ: एक ज़रूरी हस्तक्षेप

सुबह सुबह उठा तो एक जबर्दस्ती की लेखिका का फेसबुक स्टेटस पढ़ा जिसमें उन्होने निंदा की थी कि नेचुरल सेलफ़ी जैसे अभियान सोशल मीडिया के चोंचले होते हैं। हालांकि पढ़ते हुए समझ में आ गया कि भीड़ का हिस्सा न बनकर उससे अलग दिखना भी सोशल मीडिया का ही एक …

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खुशी हमारा अंदरूनी भाव होता है- उसे पहचानें

आज ‘दैनिक भास्कर’ के सभी संस्करणों में मेरा यह लेख आया है- प्रभात रंजन ========================================= खुशी का मतलब बड़ी-बड़ी भौतिक उपलब्धियां पाना नहीं होता है। हालांकि हमारे समाज की यह कड़वी सच्चाई है कि हम इंसान का आकलन उसकी उपलब्धियों के आधार पर करते हैं। इससे समाज में हमारी पहचान …

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आदमी की निगाह औरत को क्या बनाती है?

युवा आलोचक वैभव सिह का यह लेख पढ़ने और चर्चा करने के योग्य है। उनके लगभग हर लेख की तरह सुचिन्तित और गहरी वैचारिकता से परिपूर्ण- मॉडरेटर ===================== भारतीय उपमहाद्वीप में स्त्री-पुरुष के संबंधों के बारे में खुलकर बात करने की मनाही नहीं है, पर आज भी इसे एक ‘संदिग्ध …

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एजाज अहमद को क्यों पढना चाहिए?

वैभव सिंह मेरी पीढ़ी के उन कुछ बुद्धिजीवियों में बचे हैं जो मेरी तरह लोकप्रियता की आंधी में बह गए बल्कि अध्ययन-लेखन की मजबूत ज़मीन को पुख्ता बनाने में लगे हुए हैं. उनका यह लेख वामपंथी चिन्तक और साहित्यालोचक एजाज अहमद पर है. इसे पढ़ा जाना चाहिए- मॉडरेटर ======================= पश्चिम …

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भोगे हुए यथार्थ द्वारा सम्बन्धो से मोहभंग

हिंदी में छठे दशक के बाद लिखी गई कहानियों को केंद्र में रखकर, विजय मोहन सिंह और मधुकर सिंह द्वारा सम्पादित एक समीक्षात्मक किताब आई है. अब उस समीक्षात्मक किताब की समीक्षा कर रहे हैं माधव राठौर. आप भी पढ़िए- संपादक =======================================================   “60 के बाद की कहानियां” किताब विजय …

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सूखै न प्रेम के सोतः जाता हुआ आषाढ़-आता हुआ सावन

आषाढ़ जाने वाला है और सावन आने वाला है. प्रसिद्ध लोकगायिका चंदन तिवारी ने इन महीनों के लोक जीवन से सम्बन्ध को लेकर एक छोटा-सा रोचक लेख लिखा है. पढियेगा- मॉडरेटर ============================== आषाढ़ जानेवाला है और सावन आनेवाला है. यह जो आषाढ़ जानेवाला है या कि जो सावन आनेवाला है, …

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भारत-चीन: कभी हमसे तुमसे भी राह थी ! 

भारत-चीन  के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. ऐसे में विमलेन्दु ने इस लेख में भारत-चीन के परंपरागत रिश्तों को लेकर अच्छा पठनीय लेख लिखा है- मॉडरेटर =========================== हममें से अधिकांश लोगों के लिए, चीन से हमारा प्रथम परिचय चाय की चुस्कियों के साथ शुरू होता था एक ज़माने में, …

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‘मेघे ढाका तारा’ के लेखक शक्तिपाद राजगुरु के बारे में आप जानते हैं?

ऋत्विक घटक की फिल्म ‘मेघे ढाका तारा’ देखते हुए यह ध्यान ही नहीं आया था कि इतनी अच्छी कहानी लिखी किसने थी. प्रकाश के. रे का यह लेख नहीं पढ़ा होता तो शक्तिपाद राजगुरु नामक लेखक के बारे में जाना ही नहीं होता, अभी 12 जून को इस लेखक की …

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सच, प्यार और थोड़ी-सी शरारत

खुशवंत सिंह की आत्मकथा ‘सच, प्यार और थोड़ी-सी शरारत’ पर युवा लेखक माधव राठौड़ की टिप्पणी – संपादक =================================================== अंग्रेजी के प्रसिद्ध पत्रकार, स्तम्भकार और विवादित कथाकार खुशवंत सिंह की आत्मकथा अपनी शैली में लिखा गया अपने समय का वह  कच्चा चिटठा है, जिसका दायरा रेगिस्तानी गाँव की गर्मी भरे …

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हैप्पी वाला बर्थ डे राहुल गांधी!

आज 19 जून है. याद आया राहुल गाँधी का जन्मदिन है. बारिश हो रही है. दिल्ली का मौसम किसी पहाड़ी कस्बे सा रूमानी हो गया है. सोचा कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता की तरह उनके बंगले पर माला लेकर जाऊं और हैप्पी बर्थ डे बोल आऊँ. फिर याद आया कि वे …

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