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समीक्षा

      ऐ मेरे रहनुमा: पितृसत्ता के कितने रूप

    युवा लेखिका तसनीम खान की किताब ‘ऐ मेरे रहनुमा’ पर यह टिप्पणी लिखी है दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय गया की शोधार्थी अनु रंजनी। उनकी लिखी विस्तृत टिप्पणी पढ़िए- ==========================      ‘ऐ मेरे रहनुमा’ यह शीर्षक ऐसा भाव देता है जैसे अपने सबसे प्रिय व्यक्ति को संबोधित किया जा रहा …

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यह किताब तो अहसासों का गुलदस्ता है

देवी प्रसाद मिश्र की पुस्तक ‘मनुष्य होने के संस्मरण’ पर कवि यतीश कुमार की यह टिप्पणी पढ़िए. यह पुस्तक राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित है- जानकी पुल ================================ दोहे और मुहावरों को अमरत्व प्राप्त है और अगर कहानियाँ इस ओर मुखर होकर अमरत्व चख लें तो मुहावरों में बदल जाते हैं। …

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मौत के साये में जीवन कथा

आशुतोष भारद्वाज की पुस्तक ‘मृत्यु कथा’ पर यह टिप्पणी लिखी है दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय की शोधार्थी अनु रंजनी ने। बस्तर में चल रहे संघर्ष को लेकर यह अपने ढंग की अकेली किताब है। हम दूर बैठे लोगों को वह जीवन बहुत करीब से दिखाती है जिसको हम नक्सल समस्या …

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शब्दों के बीच दालचीनी की ख़ुशबू बिखरी है!

आज पढ़िए चर्चित युवा कवयित्री अनामिका अनु के कविता संग्रह ‘इंजीकरी’ पर यतीश कुमार की यह टिप्पणी। और हां, इस बार अर्से बाद उन्होंने पद्य में नहीं गद्य में लिखा है- =================== कुछ रचनाएँ ऐसी होती हैं जो विषय विविधता के साथ शब्दों की कोमलता व अर्थ का विराट और …

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‘जौन एलिया का जिन’ नाटक की समीक्षा

हाल में ही इरशाद खान सिकंदर का नाटक आया है ‘जौन एलिया का जिन’। राजपाल एंड संज से प्रकाशित इस नाटक की विस्तृत समीक्षा लिखी है राजशेखर त्रिपाठी ने। आप भी पढ़िए- ========================== मैं जो हूं जॉन एलिया हूं जनाब इसका बेहद लिहाज़ कीजिएगा …………………………………….. मुझसे मिलने को आप आए …

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ये दिल है कि चोर दरवाज़ा : मुख्य दरवाज़े की प्रस्तावना और उपसंहार भी

इस साल एक उल्लेखनीय कथा संकलन आया है  ‘ये दिल है कि चोर दरवाजा‘। किंशुक गुप्ता द्वारा लिखी समलैंगिक रिश्तों की ये कहानियाँ हिंदी में अपने ढंग की अनूठी है और बहस की मांग करती है। फ़िलहाल वाणी प्रकाशन से प्रकाशित इस संग्रह पर डॉक्टर भूपेन्द्र बिष्ट की यह टिप्पणी …

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‘अंतस की खुरचन’ पर वंदना गुप्ता की टिप्पणी

चर्चित युवा कवि यतीश कुमार के कविता संग्रह ‘अंतस की खुरचन’ की समीक्षा पढ़िए। यह समीक्षा लेखिका वंदना गुप्ता ने लिखी है- ================== मनुष्य एक जीवन में हजारों जीवन जीता है। उन सभी जीवन के अनुभवों को मिलाकर उसका व्यक्तित्व बनता है। जब उम्र का तक़रीबन आधा सफ़र तय कर …

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‘आउशवित्ज़: एक प्रेम कथा’ पर अवधेश प्रीत की टिप्पणी

‘देह ही देश’ जैसी चर्चित किताब की लेखिका गरिमा श्रीवास्तव का पहला उपन्यास प्रकाशित हुआ है ‘आउशवित्ज़: एक प्रेम कथा’। वाणी प्रकाशन से प्रकाशित अपने ढंग के इस अनूठे उपन्यास की समीक्षा लिखी है जाने-माने लेखक अवधेश प्रीत ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ================= गरिमा श्रीवास्तव की क्रोएशिया-प्रवास डायरी …

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नाटक ‘फ़रेब-ए-हस्ती’: फिक्शन, कॉमेडी और उर्दू शायरी का कोलाज

डॉक्टर सादिक़ उर्दू के जाने-माने विद्वान लेखक हैं और उन चंद उर्दूदाँ में हैं जो हिंदी में भी लिखते हैं। उनका नया नाटक आया है ‘फ़रेब-ए-हस्ती’। इस नाटक में कबीर भी हैं और ग़ालिब भी। उसी नाटक की समीक्षा पढ़िए, जिसको लिखा है वी.के. गुप्ता ने। आप भी पढ़िए- ================== …

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ताइवान में धड़कता एक भारतीय दिल

युवा कवि देवेश पथ सारिया की डायरी-यात्रा संस्मरण है ‘छोटी आँखों की पुतलियों में’। अपने ढंग के इस अनूठे गद्यकार की इस किताब पर युवा लेखक सोनू यशराज की यह टिप्पणी पढ़िए- ===================== धरती का एक-एक टुकड़ा हमारे ह्रदय की हर धड़कन का गवाह बनता है। ‘छोटी आँखों की पुतलियों …

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