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समीक्षा

नाटक ‘फ़रेब-ए-हस्ती’: फिक्शन, कॉमेडी और उर्दू शायरी का कोलाज

डॉक्टर सादिक़ उर्दू के जाने-माने विद्वान लेखक हैं और उन चंद उर्दूदाँ में हैं जो हिंदी में भी लिखते हैं। उनका नया नाटक आया है ‘फ़रेब-ए-हस्ती’। इस नाटक में कबीर भी हैं और ग़ालिब भी। उसी नाटक की समीक्षा पढ़िए, जिसको लिखा है वी.के. गुप्ता ने। आप भी पढ़िए- ================== …

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ताइवान में धड़कता एक भारतीय दिल

युवा कवि देवेश पथ सारिया की डायरी-यात्रा संस्मरण है ‘छोटी आँखों की पुतलियों में’। अपने ढंग के इस अनूठे गद्यकार की इस किताब पर युवा लेखक सोनू यशराज की यह टिप्पणी पढ़िए- ===================== धरती का एक-एक टुकड़ा हमारे ह्रदय की हर धड़कन का गवाह बनता है। ‘छोटी आँखों की पुतलियों …

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यात्राओं का स्मरण : पृथ्वी गंधमयी तुम

वरिष्ठ लेखक-पत्रकार अनुराग चतुर्वेदी का यात्रा-संस्मरण प्रकाशित हुआ है ‘पृथ्वी गंधमयी तुम’। राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब पर युवा शोधार्थी नीरज की यह टिप्पणी पढ़िए- ====================== अंग्रेज़ी की साहित्यिक विधा ट्रैवलॉग (travelogue) के लिए हिंदी में अनेक पदों का प्रयोग किया जाता रहा है। यात्रा-वृत्तांत, यात्रा-आख्यान, यात्रा-वृत्त, यात्रा-संस्मरण आदि। …

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किरण सिंह के कथा-संग्रह ‘यीशु की कीलें’ की समीक्षा

किरण सिंह के कहानी संग्रह ‘यीशु की कीलें’ की कहानियों को पढ़कर युवा कवि लेखक यतीश कुमार ने इतनी अच्छी काव्यात्मक समीक्षा की है कि किताब पढ़ने का मन हो आया। आप तब तक यह समीक्षा पढ़िए मैं ‘यीशु की कीलें’ ऑर्डर करने जा रहा हूँ- प्रभात रंजन ========================   …

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उजड़े हुए लोगों के उजड़ते रहने की दास्तान है ‘दातापीर’

अभी हाल में ही ‘कथाक्रम’ सम्मान की घोषणा हुई है। इस बार यह सम्मान हृषीकेश सुलभ को दिए जाने की घोषणा हुई है। उनके नए उपन्यास ‘दाता पीर’ पर यह टिप्पणी लिखी है युवा शोधार्थी महेश कुमार ने। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास की समीक्षा आप भी पढ़ सकते …

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लड़कियों के लिए लिखा गया भारत का पहला थ्रिलर ‘नायिका’

युवा लेखक अमित खान हिंदी में लोकप्रिय उपन्यास धारा की नई पहचान हैं। उनका उपन्यास ‘नायिका’ पेंगुइन से प्रकाशित हुआ है। उसी पर यह टिप्पणी पढ़िए- ===================== ‘नायिका’ अमित खान द्वारा लिखा गया एक शानदार सायको थ्रिलर है, जो महिलाओं के ऊपर हो रहे अत्याचारों को बड़ी खूबी के साथ …

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‘थोड़ी- सी ज़मीन थोड़ा आसमान’ की काव्यात्मक समीक्षा

यतीश कुमार बहुत दिनों बाद अपनी काव्यात्मक समीक्षा के साथ वापस लौटे हैं।इस बार उन्होंने जयश्री रॉय की किताब ‘थोड़ी- सी ज़मीन थोड़ा आसमान’ को पढ़ते हुए कविताएँ लिखी हैं। यह किताब वाणी प्रकाशन से प्रकाशित है- ===================       1.     साँस की हाँफ में गलफड़ों का …

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सिधपुर की भगतणें : स्त्री के स्वभाविक विद्रोह का प्रमाणिक आख्यान

लक्ष्मी शर्मा के उपन्यास ‘सिधपुर की भगतणें’ पर यह सुविचारित टिप्पणी लिखी है जितेंद्र विसारिया ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ===========================        उपन्यास भले ही बाह्य विधा के रूप में  हिंदी में प्रविष्ट हुई हों, किन्तु यह विधा आधुनिक खड़ी बोली के प्रारंभिककाल से ही हिंदी साहित्य की लोकप्रिय …

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दुःख की विचित्र आभा का उपन्यास

जयश्री रॉय के उपन्यास ‘थोड़ी-सी ज़मीन, थोड़ा आसमान’ के ऊपर यह टिप्पणी लिखी है युवा लेखक किंशुक गुप्ता ने। किंशुक मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं और हिंदी-अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में समान रूप से लिखते हैं। प्रमुखता से प्रकाशित होते हैं। फ़िलहाल यह समीक्षा पढ़िए- ======================== विस्थापन की समस्या को …

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‘अंबपाली’ पर यतीश कुमार की टिप्पणी

वरिष्ठ लेखिका गीताश्री के उपन्यास ‘अंबपाली’ पर यह टिप्पणी लिखी है कवि यतीश कुमार ने। एक पढ़ने लायक टिप्पणी- ========================== रचनाकार गीता श्री ने इस उपन्यास को लिखने के पहले अपने मन मस्तिष्क को उस काल के साँचे में ढाला है ताकि वहाँ की आवाज़ हम सुन सकें। भाषा को …

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