मुंबई में जितना ग्लैमर फ़िल्मों का है उससे कम ग्लैमर माफ़िया जगत का नहीं है। 1960-70 के दशक में कई बड़े माफ़िया सरदार ऐसे हुए जिनके क़िस्से देश भर में सुने सुनाए जाते थे। अभी ‘अंडरवर्ल्ड के चार इक्के’ किताब के बारे में सुना तो कई किस्से याद आ गए।
कहते हैं फ़िल्म ‘दीवार’ में अमिताभ बच्चन का किरदार तमिलनाडु से सुल्तान मिर्ज़ा के रूप में मुंबई आकर हाजी मस्तान के नाम से मशहूर डॉन बन जाने वाले किरदार से प्रेरित था। दिलीप कुमार की तरह हमेशा सफ़ेद कपड़े पहनने वाले मस्तान का सोना मुंबई के बंदरगाहों पर उतरता था। वह फ़िल्मी सितारों की तरह जीता था और कहते हैं एक ज़माने में वह मशहूर फ़िल्म अभिनेत्री उसकी प्रेमिका थी जो बॉम्बे ड़ाइंग वाले सेठ की प्रेमिका थी। ना जाने कितनी फ़िल्में उसके किरदार से प्रेरित होकर बनी। आज तक बनती रहती हैं। जीवन के आख़िरी दौर में हाजी मस्तान ने राजनीति में भी हाथ आज़माया लेकिन सफल नहीं हुआ। जब सोने की तस्करी के बाद मुंबई में ड्रग्स की तस्करी शुरू हुई तो हाजी मस्तान ने उसके ख़िलाफ़ मुंबई में मुहिम भी चलाई। वह इसके सख़्त ख़िलाफ़ था कि नौजवानों को मादक द्रव्यों का आदी बनाया जाए। 1990 के दशक में उसकी मृत्यु गुमनामी में हुई।
कहते हैं फ़िल्म ‘ज़ंजीर’ में प्राण का किरदार करीम लाला के जीवन से प्रेरित था। मूलतः अफ़ग़ानिस्तान का पठान करीम लाला हाजी मस्तान की तरह तस्करी नहीं करता था बल्कि मुंबई में जुए, अवैध शराब से लेकर तमाम तरह के अवैध धंधों का बेताज बादशाह था। करीम लाला ने मुंबई में पठानों का गैंग बनाया और अपने ग़ुस्सैल स्वभाव के लिए जाना जाता था। ग्लैमर-औरतों से दूर रहता था लेकिन अपने घर ईद बक़रीद की पार्टियों में बड़े बड़े फ़िल्मी सितारों को बुलाता था। हर हफ़्ते दरबार लगाता और लोगों की मदद करता। सभी माफ़िया सरदारों में उसकी आयु सबसे अधिक रही। क़रीब 90 साल की उम्र में सत्रह साल पहले उसकी मृत्यु हुई।
वरदराजन मुदलियार का नाम उस समय ख़ूब चर्चा में आया था जब अमिताभ बच्चन फ़िल्म ‘कुली’ की शूटिंग करते हुए घायल हो गए थे। कहा जाता था कि वरदा भाई के नाम से मशहूर इस डॉन के घर में विशेष पूजा कक्ष में अमिताभ की ज़िंदगी की दुआएँ माँगी जाती थीं और वहाँ ख़ुद जया बच्चन भी दुआ माँगने जाती थीं। वरदा भाई भी हाजी मस्तान की तरह तमिल मूल का था लेकिन वह करीम लाला की तरह अवैध धंधे से मुंबई का माफ़िया सरदार बना। कहते हैं फ़िल्म ‘दयावान’ में विनोद खन्ना का किरदार उसी के जीवन से प्रेरित था। यही नहीं अमिताभ बच्चन द्वारा फ़िल्म ‘अग्निपथ’ का किरदार भी उसके जीवन से ही प्रेरित था। कहते हैं फ़िल्म अर्धसत्य का रामा शेट्टी भी उसी के जीवन से प्रेरित था या मणिरत्नम की फ़िल्म ‘नायकन’ का नायक भी वरदा भाई ही था। उसका राज बहुत कम दिनों का रहा लेकिन मुंबई की दक्षिण भारतीय आबादी पर उसकी पकड़ अद्भुत थी। 80 के दशक में पाटिल नामक एक पुलिस अफ़सर ने जब उसका गैंग का ख़ात्मा कर दिया तो वह वापस तमिलनाडु में अपने गाँव में जाकर रहने लगा। जब उसकी मृत्यु हुई तो हाजी मस्तान उसके मृत शरीर को लेकर मुंबई आया जहाँ उसकी अंतिम यात्रा में बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए।
यह सब याद आ गया ‘अंडरवर्ल्ड के चार इक्के’ किताब के बारे में पढ़कर। मुंबई के दो प्रसिद्ध क्राइम रिपोर्टर्स विवेक अग्रवाल और बलजीत परमार की लिखी इस किताब की प्री बुकिंग शुरू हो गई। है। ऊपर जो लिखा वह मेरा लिखा था। किताब में ज़ाहिर है इससे भी दिलचस्प कहानियाँ होंगी क्योंकि दोनों लेखकों ने उस दुनिया को बड़े क़रीब से देखा है।
किताब का प्रकाशन राधाकृष्ण के फ़ंडा उपक्रम से हो रहा है। पेपरबैक संस्करण में छपने वाली इस किताब का आवरण अनिल आहूजा ने तैयार किया है। प्री-बुकिंग amazon.in पर शुरू हो चुकी है। किताब की डिलीवरी जून के अंतिम हफ्ते में शुरू हो जाएगी। क़ीमत केवल 125 रुपए है।
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