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लेख

ग़ालिब पितरों की तरह याद आते हैं !

आज ग़ालिब जयंती है. इस मौके पर युवा लेखक विमलेन्दु का एक लेख पढ़िए. चित्र में गूगल का डूडल है, जो गूगल ने आज बनाया है- मॉडरेटर ===================================== ग़ालिब पितरों की तरह याद आते हैं. मुमकिन होता तो बताया जाता कि दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में सुल्तान जी, चौंसठ खम्भा …

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नीचता के नक्कारखाने में भाषा ज्ञान की तूती- मृणाल पाण्डे

प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे का यह लेख नीच शब्द को लेकर हुए विवाद से शुरू होकर भाषा और उनके प्रयोगों की यात्रा, शब्दों के आदान-प्रदान का विद्वतापूर्ण और दिलचस्प आकलन प्रस्तुत करता है। मौका मिले तो पढ़िएगा- मॉडरेटर इस लेखिका का दृढ विचार है कि हिंदी के पाठकों, श्रोताओं के …

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‘यूपी 65’ के बहाने हिन्दी के नए लेखन को लेकर कुछ बातें

पंकज कौरव अनेक माध्यमों में काम करते रहे हैं, अच्छे लेखक भी हैं। उन्होने हाल में आए निखिल सचान के उपन्यास ‘यूपी 65’ को पढ़ते हुए हाल में आई हिन्दी में नई तरह की किताबों पर बहसतालब टिप्पणी की है- मॉडरेटर ============================================== निखिल सचान का पहला उपन्यास यूपी-65 पढ़कर भीतर …

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‘पद्मावती’ विवादः पाठ और संदर्भ के अनेक कोण

‘पद्मावती विवाद’ पर युवा लेखक, पत्रकार, इतिहास के गहरे अध्येता प्रकाश के रे का यह लेख कुछ गंभीर बिन्दुओं को उठाता है। पढ़ने लायक है- मौडरेटर ======== संजय लीला भंसाली की ‘पद्मावती’ को लेकर सामाजिक और राजनीतिक गलियारों में विवाद चरम पर है. वर्तमान परिदृश्य में सुलह और समाधान की …

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प्रेम की ही तरह बर्फ से अधिक सम्मोहक बर्फ का ख्वाब होता है

प्रसिद्ध पत्रकार, युवा लेखक आशुतोष भारद्वाज आजकल शिमला एडवांस्ड स्टडीज में शोध कार्य कर रहे हैं. शिमला के बदलते मौसम पर उनका यह सम्मोहक गद्य देखिये- मॉडरेटर ====================== शिमले में इन दिनों कहीं भूले से भटक आयी बूंदें गिर रही हैं. हाल ही शिमले में कुछ इन्सान नीचे मैदानों से …

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बाल दिवस और बच्चों की चिंता

बाल दिवस पर युवा लेखक विमलेन्दु का यह लेख- मॉडरेटर =========================== मनुष्य का सबसे सुन्दर रूप तब तक होता है जब वह बच्चा होता है. बच्चों की उपमा जब फूलों से दी जाती है, तो यह प्रकृति की सबसे खूबसूरत कृतियों का तादात्म्य दिखाने भर की कोशिश नहीं होती, बल्कि …

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लोक की पद्मिनी से फिल्म की पद्मिनी तक

‘पद्मावती’ फिल्म पर चल रही कंट्रोवर्सी के बीच युवा लेखक विमलेन्दु का यह लेख पढने लायक है-मॉडरेटर ========= बाज़ारवाद के स्वर्णकाल में, जब सारे कला-माध्यम अपना असर लगभग खो चुके हैं, सिनेमा ने कुछ हद तक अपना असर बचाए रखा है. सिनेमा प्रत्यक्षत: किसी परिवर्तन का निमित्त भले ही न …

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छठ जरूरी है। बेहद जरूरी!

छठ अकेला ऐसा पर्व है जिसे बिहार के बाहर लोग समझ नहीं पाते. कोई अंधविश्वास कहकर लाठी भांजने लगता है, कोई बिना जाने यह कहने लगता है कि केवल महिलाएं भूखी क्यों रहती हैं, पुरुष क्यों नहीं? जबकि इस पर्व को बड़ी तादाद में पुरुष भी करते हैं. मेरे जैसे …

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 दीपावली दीये की नहीं, धन की रौशनी का त्यौहार है

युवा लेखक विमलेन्दु के इस लेख के साथ सभी को दीवाली की शुभकामनाएं- मॉडरेटर ========================================== हम जैसे मध्यमवर्गीय और जनपदीय नागरिक बोध वाले लोगों के लिए दीपावली केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि कौशल विकास का एक अवसर होता है. तरह-तरह के दिये बनाना, रंगोली से घर-आँगन सजाना, मिट्टी से लक्ष्मी-गणेश …

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जगजीत की आवाज़ एक ज़गह थी जहाँ छुपा जा सकता था

आज जेपी और अमिताभ बच्चन का जन्मदिन है लेकिन जगजीत सिंह पर विमलेन्दु के लिखे इस लेख को पढवाने का लोभ अधिक है. जगजीत सिंह की पुण्यतिथि कल थी – मॉडरेटर ======================================================== मंगलेश डबराल की कविता ‘ छुपम-छुपाई ‘ की एक पंक्ति है—“ आवाज़ भी एक ज़गह है, जहां छुपा …

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