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कविताएं

पसीने की कविता जो दरकते खेत में उगती है

आज प्रस्तुत हैं विवेक चतुर्वेदी की कविताएँ – संपादक ===================================================== पसीने से भीगी कविता एक पसीने की कविता है जो दरकते खेत में उगती है वहीं बड़ी होती है जिसमें बहुत कम हो गया है पानी उस पहाड़ी नाले में नहाती है अगर लहलहाती है धान तब कजरी गाती है …

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सदैव की कविताएँ

आज प्रस्तुत हैं सदैव की कविताएँ – संपादक ======================================================== हम इस पेड़ को याद रखेंगे ———– तंग पगडंडियों से बियाबान जंगलों के बीच होकर दलदली जमीन में कमर तक धंसा घुप अंधेरे या भरी दोपहर खाली सवेरों-शामों से जब मैं चलता जाता था निर्जन पठारों पर कभी कभी बर्फीली हवाओं …

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प्रकृति करगेती की कुछ कहाविताएं

युवा लेखिका प्रकृति करगेती लेखन में नए नए प्रयोग करती हैं। कहाविता ऐसा ही एक प्रयोग है। आज उनकी कुछ कहाविताएं पढ़िये- मौडरेटर ==============       चेकमेट लड़का और लड़की, शतरंज के खेल में मिले। लड़का, दिलोदिमाग हारता गया। लड़की खेलती गयी। खेलते खेलते लड़का मारा गया। लड़की ने आंखिरी …

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सौम्या बैजल की कविताएं

सौम्या बैजल की कवितायें-कहानियाँ जानकी पुल पर कुछ वर्षों से समय समय पर आती रही हैं। अच्छा यह लगता है कि उन्होने लगातार अपने लेखन-कौशल को परिष्कृत किया है। इन दो कविताओं को पढ़ते हुए ऐसा महसूस हुआ- ========================================= चोट  देखो छिली खाल, दर्द हुआ? यह लाल पानी, जिसका एक …

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राजेश प्रधान की कविता ‘कुछ ऐसी भी बातें होती हैं’

मुझे सबसे सच्चे कवि वे लगते हैं जो अपने मन की भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कवितायें लिखते हैं। जैसे राजेश प्रधान जी। अमेरिका के बोस्टन में रहते हैं। वास्तुकार हैं, राजनीति विज्ञानी हैं। लता मंगेशकर के गीत ‘कुछ ऐसी बातें होती हैं’ को सुनते हुए एक बड़ी प्यारी कविता …

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प्रकृति करगेती की कविता ‘बादलों की बन्दूक’

समकालीन राजनीति और समाज के सोच को लेकर प्रकृति करगेती की एक अच्छी कविता मिली- मौडरेटर ====================================================   संध्याकाल को बादलों की बन्दूक ताने एक आदमी दिखा उसे गौर से देखा गया ऐसा लगता था की क्लाशनिकोव तानी हो उसने वो विद्रोह की फ़िराक में था क्यूंकि वो अक़्ली खड़ा …

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‘माधुरी’ में प्रकाशित एक फ़िल्मी चालीसा

फिल्म पत्रिका माधुरी के सन 1972 के अंक में छपी हनुमान चालीसा की तर्ज़ पर वीरेंद्र सिंह गोधरा की फिल्मी चालीसा. एक से एक रचनाओं की खोज करने वाले प्रकाश के रे के सौजन्य से पढ़िए- मॉडरेटर  ======================================== दोहारू सहगल चरण स्पर्श कर, नित्य करूँ मधुपान। सुमिरौ प्रतिपल बिमल दा, …

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राजेश प्रधान की कविता ‘बेवक्त राजनीति’

राजेश प्रधान मूलतः पटना के हैं. अमेरिका के प्रतिष्ठित संस्थान एमआईटी से राजनीति शास्त्र में पीएचडी करने के साथ साथ उन्होंने वहीं से आर्किटेक्चर की पढ़ाई की और जाने माने वास्तुकार हैं. राजनीतिशास्त्र पर किताब भी लिख चुके हैं. वे कविताएँ भी लिखते हैं. कविताओं के शब्दों, भावों में प्रयोग …

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प्रत्युष पुष्कर की कुछ संगीत कविताएँ

हिंदी के पाठकों को चाहते-न चाहते बहुत सारी कविताएँ पढनी पड़ती हैं. कुछ दिल में उतर जाती हैं, कुछ दिमाग को झकझोर देती हैं. अधिकतर केवल दुहराव भर होती हैं. लेकिन कुछ ऐसी होती हैं जो आपको चमत्कृत कर जाती हैं. प्रत्युष पुष्कर की इन संगीत-कविताओं जैसी कविता हिंदी में …

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रविदत्त मोहता की कविताएँ

आज प्रस्तुत हैं रविदत्त मोहता की कविताएँ – संपादक ========================================================= यादें कभी अस्त नहीं होती मैं यादों के आसमान का पक्षी हूँ सदियां हो गयीं मैं सो नहीं पाया यादों के आसमानों का सूर्यास्त हो नहीं पाया कोई कहता है मैं किताब हूं कोई कहता हिसाब हूं पर मैं तो …

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