Home / ब्लॉग (page 132)

ब्लॉग

सभ्यताओं के संघर्ष का क्लासिक उपन्यास

नाइजीरिया के लेखक चिनुआ अचीबी के मूलतः अंग्रेजी में लिखे गए उपन्यास ‘थिंग्स फाल अपार्ट’ के बारे में कहा जाता है कि उसने अफ्रीका के बारे में पश्चिमी समाज के नजरिये को सिर के बल खड़ा कर दिया. कहा जाता है कि जिस तरह से अफ्रीकी समाज की कथा इस …

Read More »

मनोहर श्याम जोशी की एक आरंभिक कहानी

 कहानी  मनोहर श्याम जोशी ने लेखन की शुरुआत कहनियों से की थी. यह उनकी आरंभिक कहानियों में है. कहानी का सन्दर्भ आत्मकथात्मक लगता है. १९५३ में दिल्ली आने के बाद जब वे आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे थे तो नई दिल्ली स्टेशन के पास बैरन रोड पर एक जाफरी …

Read More »

तुम मेरे कौन हो कान्हा

आज जन्माष्टमी है. कृष्ण को प्रणय के देवता के रूप में भी देखा जाता है. बरसों पहले धर्मवीर भारती ने राधा-कृष्ण के प्रेम का काव्य लिखा था- कनुप्रिया. प्रेम की ऐन्द्रिकता, तन्मयता की बेहतरीन कविताएँ हैं इसमें. आज कनुप्रिया की एक कविता का रसास्वादन कीजिये.  तुम मेरे कौन हो कनुमैं …

Read More »

कोश का फादर

आज फादर कामिल बुल्के का जन्मदिन है. उनका नाम ध्यान आते ही अंग्रेजी-हिंदी कोश का ध्यान आ जाता है. प्रकाशन के करीब ४२ साल बाद भी इस अंग्रेजी-हिन्दी कोश की विश्वसनीयता में कोई कमी नहीं आई है. उन्होंने इसके पहले संस्करण की भूमिका में लिखा था कि उनका उद्देश्य एक …

Read More »

बोर्खेस की कविताएँ धर्मवीर भारती के अनुवाद में

अर्जेंटीना के कवि-लेखक होर्खे लुई बोर्खेस स्पेनिश भाषा के महानतम लेखकों में गिने जाते  हैं. हिन्दी में उनकी कविताओं के अनेक अनुवाद आए हैं. लेकिन मुझे सबसे अच्छे धर्मवीर भारती द्वारा किए गए अनुवाद लगते हैं, जो ‘देशांतर’ में सम्मिलित हैं. ध्यान रखने की बात है कि भारती जी ने …

Read More »

वरिष्ठ कथाकार कृष्ण बलदेव वैद ने भी अपनी किताबें ज्ञानपीठ से वापिस लीं!

कुलपति-ज्ञानोदय विवाद में अपने विरोध को और सख़्त रूप देते हुए हिंदी के वरिष्ठतम लेखकों में एक श्री कृष्ण बलदेव ने भी भारतीय ज्ञानपीठ से अपनी किताबें वापिस ले ली हैं। श्री वैद इस समय अमेरिका में हैं और वहाँ से ज्ञानपीठ के न्यासी श्री आलोक जैन को लिखे एक …

Read More »

सच को सपने की तरह लिखने वाला लेखक

 महान लेखक मार्खेज़ के जीवन और लेखन पर मेरा यह लेख ‘अहा ज़िंदगी’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था- प्रभात रंजन  बीसवीं शताब्दी के सबसे प्रभावशाली लेखकों में माने जाने वाले लेखक गाब्रिएल गार्सिया मार्केज़ ने अपने बारे में लिखा है कि मेरा आरंभिक जीवन कठिन लेकिन जादुई था लेकिन …

Read More »

शताब्दी-कवि गोपाल सिंह नेपाली

वर्ष २०११ अज्ञेय, शमशेर बहादुर सिंह और नागार्जुन जैसे हिंदी के मूर्धन्य कवियों का जन्मशताब्दी वर्ष ही नहीं है वह ११ अगस्त १९११ को जन्मे और लगभग बिसरा दिए गए गीतकार गोपाल सिंह नेपाली का भी जन्मशताब्दी वर्ष है. शोधग्रंथों में उनको उत्तर-छायावाद का कवि माना जाता है और उनकी …

Read More »

लोकप्रिय तो बहुत हैं मगर एक थे जनप्रिय लेखक

जासूसी उपन्यासों की कोई चर्चा शायद जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा के बिना पूरी नहीं हो सकती. दिल्ली क्लॉथ मिल में मजदूरी करने वाले ओम प्रकाश शर्मा लाल सलाम करके मिल में मजदूरों की लड़ाई भी लड़ते थे. जनवादी विचारों को मानने वाला यह जासूसी लेखक बड़ी शिद्दत से इस …

Read More »

एक बार सोचकर देखें

‘तहलका‘ के नए अंक में प्रकाशित प्रसिद्ध लेखिका मृदुला गर्ग का यह लेख नया ज्ञानोदय–साक्षात्कार प्रकरण में कई ज़रूरो सवालों की याद दिलाता है. संपादक की भूमिका की याद दिलाता है. एक समय था कि संपादक आगे बढ़कर अपनी ज़िम्मेदारी स्वीकार कर लेते थे, एक यह दौर है कि साक्षात्कार …

Read More »