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Prabhat Ranjan

सभी प्रतिमाओं को तोड़ दो: स्वामी विवेकानंद की कविताएँ

आज स्वामी विवेकानंद की जयंती है. प्रस्तुत है उनकी कुछ कविताएँ- ================================== समाधि सूर्य भी नहीं है, ज्योति-सुन्दर शशांक नहीं, छाया सा व्योम में यह विश्व नज़र आता है. मनोआकाश अस्फुट, भासमान विश्व वहां अहंकार-स्रोत ही में तिरता डूब जाता है. धीरे-धीरे छायादल लय में समाया जब धारा निज अहंकार …

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यह अघोषित आपातकाल का समय है

कुछ लेखक ऐसे होते हैं जिनके पुरस्कृत होने से पुरस्कारों की विश्वसनीयता बनी रहती है. ऐसे ही  लेखक उदय प्रकाश से दिनेश कुमार की बातचीत आप हिन्दी के साहित्यिक सत्ता केन्द्रों के प्रति आक्रामक रहे हैं। साहित्यिक पुरस्कारों में इनकी अहम भूमिका होती है। बावजूद इसके आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार …

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मीडिया से राडिया तक

प्रसिद्ध पत्रकार-मीडिया विश्लेषक दिलीप मंडलजी का यह लेख ‘पाखी’ के मीडिया विशेषांक में प्रकाशित हुआ है. लेख इतना अच्छा और ज़रूरी लगा कि सोचा आपसे साझा किया जाए. हम दिलीपजी के आभारी हैं कि उन्होंने लेख के शीर्षक में किंचित बदलाव के साथ हमें प्रकाशित करने की अनुमति दी- जानकी …

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जीवन को छलता हुआ, जीवन से छला गया

आज मोहन राकेश का जन्मदिन है. हिंदी को कुछ बेजोड़ नाटक और अनेक यादगार कहानियां देने वाले मोहन राकेश ने यदा-कदा कुछ कविताएं भी लिखी थीं. उनको स्मरण करने के बहाने उन कविताओं का आज वाचन करते हैं- जानकी पुल. १. कुछ भी नहीं  भाषा नहीं, शब्द नहीं, भाव नहीं, कुछ …

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दाढ़ी वाला आदमी जो मरना या जीना चाहता है ?

बेल्जियम के युवा कवि स्टीवेन वान नेस्ट की कविताओं से मेरा परिचय करवाया हिंदी के युवा कवि त्रिपुरारि कुमार शर्मा ने. कविताएँ अच्छी लगीं तो मैंने सोचा क्यों न इस कवि से आपका परिचय करवाया जाए.  हिंदी अनुवाद त्रिपुरारि ने ही किया है- जानकी पुल. 1. दिल का दौरादुनिया रोती …

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फैज़ को मैंने भी देखा था

यह फैज़ अहमद फैज़ की जन्मशताब्दी का साल है. इस अवसर पर हिंदी के मशहूर लेखक असगर वजाहत ने यह लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने फैज़ की शायरी और उनकी उस छवि को याद किया है जिसके कारण फैज़ को इस उप-महाद्वीप का सबसे बड़ा शायर माना जाता था. ‘नया …

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शताब्दी का लेखक भुवनेश्वर

अभिशप्त होकर जीनेवाले और विक्षिप्त होकर मरनेवाले लेखक भुवनेश्वर की यह जन्मशताब्दी का साल है. ‘ताम्बे के कीड़े’ जैसे एकांकी और ‘भेडिये’ जैसी कहानी के इस लेखक के बारे में उसे पढ़नेवालों का कहना है कि हिंदी में एक तरह से उस आधुनिक संवेदना का विकास भुवनेश्वर की रचनाओं से …

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ये लोकतंत्र के महामठ की चंद सीढियां हैं

तुषार धवल की कविताओं में वह विराग है जो गहरे राग से पैदा होता है. लगाव का अ-लगाव है, सब कुछ का कुछ भी नहीं होने की तरह. कविता गहरे अर्थों में राजनीतिक है, उसकी विफलता के अर्थों में, समकालीनता के सन्दर्भों में. सैना-बैना में बहुत कुछ कह जाना और …

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एक राष्ट्र के रूप में हम संकट में हैं

सीएनएन-आईबीएन की पत्रकार रूपाश्री नंदा से बातचीत करते हुए लेखिका अरुंधती राय ने कहा कि उनको इस बात की कभी उम्मीद नहीं थी कि विनायक सेन के मामले में फैसला न्यायपूर्ण होगा. लेकिन वह इस कदर अन्यायपूर्ण होगा ऐसा भी उन्होंने नहीं सोचा था. बातचीत में उन्होंने आतंक और हिंसा …

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तुम अकेले नहीं हो विनायक सेन

कवि और वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र राजन ने अभी-अभी एक कविता भेजी है. विनायक सेन को अदालती सजा ने हम-आप जैसे लोगों के मन में अनेक सवाल पैदा कर दिए हैं. कविता उनको वाणी देती है और उनके संघर्ष को सलाम करती है-जानकी पुल.  जब तुम एक बच्चे को दवा पिला …

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