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कविताएं

मनीषा पांडे की नई कविताएं

समकालीन हिंदी कविता पर समसामयिकता का दबाव इतन अधिक हो गया है, विराट का बोझ इतना बढ़ गया है कि उसमें निजता का स्पेस विरल होता गया है. मनीषा पांडे की इस नई कविता श्रृंखला को पढ़ते हुए लगा कि और कहीं हो न हो कविता में इस उष्मा को बचाए …

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शैलजा पाठक की कविताएं

आज शैलजा पाठक की कविताएं. शैलजा पाठक  की कविताओं में विस्थापन की अन्तर्निहित पीड़ा है. छूटे हुए गाँव, सिवान, अपने-पराये, बोली-ठोली. एक ख़ास तरह की करुणा. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर  =========================================================== 1    1.   इतनी सी ख़ुशी     हमने कब कहा बो देना मुझे अपने मन की जमीन पर  हमने …

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रश्मिरेखा की कविताएं

रश्मिरेखा जी के निधन के समाचार से स्तब्ध हूँ। जिन दिनों मैं कोठागोई लिख रहा था उनसे ख़ूब बातें होती थीं। मुज़फ़्फ़रपुर की तवायफ़ परम्परा के कई क़िस्से उन्होंने सुनाए थे। मुज़फ़्फ़रपुर जाने पर उनके यहाँ ज़रूर जाता था। बहुत अच्छी कविताएँ लिखती थीं। आज उनकी कुछ कविताओं के साथ …

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बादल रोता है बिजली शरमा रही

जब सीतामढ़ी में था तो नवगीत दशक-1 को साहित्य की बहुत बड़ी पुस्तक मानता था. एक तो इस कारण से कि हमारे शहर के कवि/गीतकार रामचंद्र ‘चंद्रभूषण’ के गीत उसमें शामिल थे, दूसरे देवेन्द्र कुमार के गीतों के कारण. नवगीत के प्रतिनिधि संकलन ‘पांच जोड़ बांसुरी’ में उनका मशहूर गीत …

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मेरी उँगलियों को जुगनू पहनने पड़ते हैं: मीनाक्षी ठाकुर की कविताएँ

मीनाक्षी ठाकुर की कविताओं में जीवन के एकांत हैं, छोटे-छोटे अनुभव हैं और आकुल इच्छाएं. सार्वजनिक के निजी वृत्तान्त की तरह भी इन कविताओं को पढ़ा जा सकता है, ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ ‘ह्रदय की बात’ की तरह- जानकी पुल. =============================== इन दिनों इन दिनों इतना आसान नहीं अँधेरे में …

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भगत सिंह और रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के नाम दो कविताएँ

  शहीदी दिवस पर विपिन चौधरी की कविताएँ- जानकी पुल. ————————————————————- १.शहीद–ए-आज़म के  नाम एक कविता उस वक़्त भी होंगे तुम्हारी बेचैन करवटों के बरक्स चैन से सोने वाले आज भी बिलों में कुलबुलाते हैं तुम्हारी जुनून मिजाज़ी  को “खून की गर्मी” कहने वाले तुमने भी तो दुनिया को बिना परखे …

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नंदकिशोर आचार्य की कविताएँ

वरिष्ठ कवि नंदकिशोर आचार्य का नया कविता संग्रह आया है ‘केवल एक पत्ती ने’, ‘वाग्देवी प्रकाशन, बीकानेर से. उसी संग्रह से कुछ कविताएँ आज प्रस्तुत हैं- जानकी पुल.    अभिधा में नहीं जो कुछ कहना हो उसे –खुद से भी चाहे— व्यंजना में कहती है वह कभी लक्षणा में अभिधा …

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सभी प्रतिमाओं को तोड़ दो: स्वामी विवेकानंद की कविताएँ

आज स्वामी विवेकानंद की जयंती है. प्रस्तुत है उनकी कुछ कविताएँ- ================================== समाधि सूर्य भी नहीं है, ज्योति-सुन्दर शशांक नहीं, छाया सा व्योम में यह विश्व नज़र आता है. मनोआकाश अस्फुट, भासमान विश्व वहां अहंकार-स्रोत ही में तिरता डूब जाता है. धीरे-धीरे छायादल लय में समाया जब धारा निज अहंकार …

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