धीरेन्द्र अस्थाना हिंदी के जाने-माने कथाकार-उपन्यासकार हैं। कहानी लिखने की प्रक्रिया को लेकर उनका यह लेख हर युवा लेखक-पाठक को पढ़ना चाहिए- ================ कथ्य कैसे आता है? कोई एक घटना,अनेक घटनाओं के टुकड़े, कोई विचार,बार बार देखा जा रहा कोई स्वप्न,किसी और या अपने साथ घटी दुर्घटना/दुर्घटनाएं, सार्वजनिक संहार या …
Read More »पहले दलित क्रिकेटर पी. बालू, जिन्होंने भद्रजनों के बीच साबित की अपनी प्रतिभा
युवा शोधकर्ता सुरेश कुमार ने माधुरी पत्रिका में 1928 में प्रकाशित एक लेख के हवाले से पहले दलित क्रिकेटर पी बालू पर यह लेख लिखा है। आप भी पढ़िए उस महान खिलाड़ी के बारे में जो तब का खिलाड़ी था जब भारतीय क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली थी- ============== इसमें …
Read More »प्रिंट बनाम/सह डिजिटल: ‘पहल’ के बंद होने के संदर्भ में
पिछले दिनों ज्ञानरंजन जी की पत्रिका ‘पहल’ के बंद होने की खबार आई तो फ़ेसबुक पर काफ़ी लोगों ने लिखा। युवा कवि-लेखक देवेश पथ सारिया ने इस बहाने प्रिंट बनाम डिजिटल की बहस पर लिखा है। एक ऐसा लेख जिसके ऊपर बहस होनी चाहिए- ========================= वरिष्ठ कथाकार ज्ञान रंजन जी …
Read More »पहले लेखक अमर होने को लिखते थे, अब लेखक शेयर होने को लिखते हैं!
लेखन में उभरते नए सौन्दर्यशास्त्र पर पर यह छोटा सा लेख युवा कवि-लेखक अविनाश ने लिखा है। नए लेखन को लेकर, उसकी पसंद-नापसंद को लेकर उन्होंने कई नए बिंदु इस लेख में उठाए हैं- ================ किसी भी दौर का लेखन अपने शिल्प में, अपने समसामयिक परिवेश के अंतर्द्वंदों को समेटे …
Read More »मीना कुमारी:बॉलीवुड की सिंड्रेला
पेशे से पुलिस अधिकारी सुहैब अहमद फ़ारूक़ी उम्दा शायर हैं और निराला गद्य लिखते हैं। आज अभिनेत्री मीना कुमारी की पुण्यतिथि पर उनका लिखा पढ़िए- ========== जाने वालों से राबिता रखना दोस्तो रस्मे फ़ातिहा रखना निदा फ़ाज़ली… एक शायर होने के नाते मेरी अदबी ज़िम्मेदारी है कि मैं …
Read More »होरी खेलूंगी कहकर बिस्मिल्लाह
होली पर यह विशेष लेख जनाब सुहैब अहमद फ़ारूक़ी ने लिखा है। होली कल बीत ज़रूर गई लेकिन इस लेख को पढ़ने का आनंद हमेशा रहेगा- =================================================== होरी खेलूंगी कहकर बिस्मिल्लाह, नाम नबी की रतन चढ़ी, बूंद पड़ी इल्लल्लाह, रंग-रंगीली उही खिलावे, जो सखी होवे फ़ना फ़ी अल्लाह, होरी खेलूंगी …
Read More »सतीनाथ भादुड़ी बनाम रेणु
सुलोचना वर्मा कविताएँ लिखती हैं, बांग्ला से हिंदी अनुवाद करती हैं और दोनों भाषाओं पर उनक समान अधिकार है। उनका यह लेख सतीनाथ भादुड़ी बनाम रेणु विवाद पर है। यह सुचिंतित लेख ‘माटी’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। साभार प्रस्तुत है- ================= हम किसी किताब का पढने के लिए …
Read More »नो टू फ्री का आंदोलन अर्थात अनमोल बनाम बेमोल
नो टू फ़्री अभियान को लेकर कुछ बातें युवा लेखक रवींद्र आरोही ने की है। हिंदी समाज को लेकर कुछ विचारणीय बातें हैं। आप भी पढ़िए- ============================ यह बात गलत नहीं है और यह नया भी नहीं कि हिंदी का लेखक सिर्फ लिखकर अपनी आजीविका क्यों नहीं चला सकता। समय-समय …
Read More »वर्तनी: कितनी लचीली, कितनी तनी
हिंदी वर्तनी पर यह एक ज़रूरी और बार बार पढ़ा जाने वाला लेख है जिसे कवि-पत्रकार अनुराग अन्वेषी ने लिखा है। यह लेख पहले इंद्रप्रस्थ भारती नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। साभार आप लोगों के लिए- ============================ अमेरिकन इंग्लिश में कलर की स्पेलिंग (वर्तनी/हिज्जा) color है जबकि ब्रिटिश इंग्लिश …
Read More »दलित लेखकों के मारक सवाल: सुरेश कुमार
युवा आलोचक सुरेश कुमार के लेख हम सब पढ़ते रहे हैं और उनकी दृष्टि के क़ायल भी रहे हैं। उनका यह लेख पाखी पत्रिका के जनवरी-फ़रवरी 2021 के अंक में प्रकाशित हुआ था। इस लेख को पत्रिका की तरफ़ से देश विशेषांक प्रतियोगिता में पुरस्कृत भी किया गया है। जिन …
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