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समीक्षा

दीवानावार प्रेम की तलाश का नॉवेल ‘राजा गिद्ध’

उर्दू लेखिका बानो क़ुदसिया के उपन्यास ‘राजा गिद्ध’ पर यह टिप्पणी लिखी है वरिष्ठ लेखिका जया जादवानी ने। सेतु प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास की समीक्ष पढ़िए- =====================    जंगल में भांति-भांति के परिंदे जमा हो रहे थे… हिन्द-सिंध से, पामेर की चोटियों से, अलास्का से भी कुछ परिंदे आए …

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‘आकाश में अर्द्धचंद्र’ की कविताओं से पाठकीय आत्मालाप

युवा लेखक आलोक कुमार मिश्रा ने कवि पंकज चतुर्वेदी के कविता संग्रह पर यह टिप्पणी लिखी है। पंकज चतुर्वेदी का कविता संग्रह ‘आकाश में अर्धचंद्र’ का प्रकाशन रुख़ प्रकाशन ने किया है। आप इस टिप्पणी को पढ़ें- ============================ जैसे कविताएं शब्दों का जामा पहन अनगिन रूपों में शाया होती हैं, …

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सूक्ष्म व तरल संवेदना की रचनात्मकता अभिव्यक्ति – प्रकृति

——————————————  1 जुलाई से दस जुलाई के बीच श्रीधरणी आर्ट गैलरी में राजा न्यास द्वारा आयोजित कला-प्रदर्शनी ‘प्रकृति’ पर यह टिप्पणी लिखी है युवा कवयित्री स्मिता सिन्हा ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ========================   त्रिवेणी कला संगम, मंडी हाउस की श्रीधरणी आर्ट गैलरी पिछले दिनों राजधानी के दर्शकों व …

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प्रत्यक्षा की किताब ‘ग्लोब के बाहर लड़की’ की समीक्षा

प्रत्यक्षा की किताब ‘ग्लोब के बाहर लड़की’ पर यह विस्तृत लेख लिखा है अदिति भारद्वाज ने। यह किताब राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित है। अदिति दिल्ली विश्वविद्यालय से विभाजन-साहित्य और उत्तर-औपनिवेशिकता पर शोध कर रही हैं। पत्र-पत्रिकाओं, वेबसाइट्स पर नियमित लेखन करती हैं। आप उनका लिखा यह लेख पढ़िए- ========================================== जिस …

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देश छूटकर भी कहाँ छूट पाता है

वरिष्ठ लेखिका सूर्यबाला के उपन्यास ‘कौन देस को वासी: वेणु की डायरी’ की यह समीक्षा समीक्षा लिखी है मधु गुप्ता ने। मधु गुप्ता इंदिरा गांधी महिला महाविद्यालय में लगभग पैंतीस वर्ष तक अध्यापन के बाद स्वतंत्र लेखन कर रही हैं। आप राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास की समीक्षा पढ़िए- …

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प्रेम और मृत्यु और शोक की तरफ गईं कविता

वरिष्ठ कवयित्री सविता सिंह के कविता संग्रह ‘खोई हुई चीजों का शोक’ पर यह टिप्पणी लिखी है वरिष्ठ लेखिका जया जादवानी ने। राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित सविता सिंह के कविता संग्रह पर यह टिप्पणी आप भी पढ़ सकते हैं- ========================== ‘खोई हुई चीजों का शोक’ सविता सिंह का नया कविता …

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दृश्य को अनुभूत करते यात्रा संस्मरण : आँख भर उमंग

राजेश कुमार व्यास के यात्रा-संस्मरण पुस्तक ‘आँख भर उमंग’ पर यह टिप्पणी लिखी है युवा लेखक-कवि चन्द्रकुमार ने- =================== जीवन-यापन के लिए रोटी-कपड़ा-मकान का समुच्चय निस्संदेह सर्वाधिक ज़रूरी है लेकिन जीवन ‘जीने’ के लिए इससे कुछ अलग की अभिलाषा भी होती है। कुछ ऐसी वृत्ति या वृत्तियाँ जो हमारे अन्तर्मन …

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‘बोलो न दरवेश’ कविता संग्रह की समीक्षा

कवयित्री स्मिता सिन्हा के कविता संग्रह ‘बोलो न दरवेश’ पर एक टिप्पणी पढ़िए। सेतु प्रकाशन से प्रकाशित इस संग्रह की समीक्षा लिखी है युवा लेखक जगन्नाथ दुबे ने। आप भी पढ़िए- ===================      हिन्दी कविता के परिसर को अगर एक वृत्त के रूप में कल्पित करें तो पाएंगे कि जैसे-जैसे …

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‘कुछ पाने की ज़िद’ है मनोज बाजपेयी की संघर्ष गाथा

वरिष्ठ पत्रकार पीयूष पांडे ने प्रसिद्ध अभिनेता मनोज बाजपेयी की जीवनी लिखी है। पेंगुइन रैंडम हाउस से प्रकाशित इस जीवनी में मनोज बाजपेयी के प्रेरक जीवन के बारे में पीयूष पांडे ने काफ़ी प्रामाणिक लिखा है। इस जीवनी की समीक्षा लिखी है वरिष्ठ पत्रकार राठौर बिचित्र मणि सिंह ने। आप …

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कोरोना-काल में मातृ-साया की कहानी बयां करती ‘आंधारी’

प्रसिद्ध लेखिका नमिता गोखले के उपन्यास ‘द ब्लाइंड मैट्रीआर्क’ के हिंदी अनुवाद ‘आंधारी’ पर यह टिप्पणी लिखी है युवा लेखक-पत्रकार ने। आप भी पढ़िए- ========================   आंधारी; अस्सी साल की एक बुर्जुग महिला मातंगी के जीवन पर आधारित उपन्यास है, जो महानगर के सी-100 चौमंजिला इमारत के अंदर संभ्रांत उत्तर भारतीय …

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