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जाति मुक्ति इसी रास्‍ते से संभव है

प्रेमपाल शर्मा संवेदनशील लेखक हैं औ अपने विचार निर्भीकता से रखने के लिए जाने जाते हैं. आज जाति व्यवस्था पर उनका यह लेख पढ़िए- जानकी पुल. ================================       आखिर गलती कहॉं हुई ? मेरा मन पिछले कुछ बरसों  से बार-बार स्‍वयं को टटोल रहा है । सरकारी दफ्तर …

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मुहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का

पहली सवाक फिल्म ‘आलम आरा’ पर एक रोचक  लेख पढ़िए दिलनवाज का- जानकी पुल.  ============================================================  सिनेमा  के सन्दर्भ  में  ‘सवाक ‘ फिल्मों का आगमन प्रस्थान बिंदु की तरह स्मरण किया जाता है .  बॉम्बे   सिनेमा में इस तकनीक का भव्य  स्वागत हुआ. स्पष्ट  हो चुका था कि फ़िल्में पोपुलर  तत्वों की और जाएंगी . स्पष्ट था …

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हंगारी कवि अतिला यूसुफ की कविताएँ

हंगारी कवि अतिला यूसुफ की कविताएँ: मेरा कोई पिता नहीं, न माँ, न ईश्‍वर, न देश, न झूला, न कफन , न चुंबन और न ही प्‍यार। तीन दिनों से मैंने खाया नहीं, कुछ भी नहीं। मेरे 20 साल एक ताकत हैं। मेरे ये बीस साल बिकाऊ हैं। यदि खरीदनेवाला कोई …

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‘मार्क्स के संस्मरण’ किताब से एक अंश

पॉल लाफार्ज और विल्हेम लीबनेख्त द्वारा लिखे गए ‘मार्क्स के संस्मरण‘ के हिंदी अनुवाद से वहीं परिचय हुआ. पॉल लाफार्ज मार्क्स के दामाद थे. इसलिए ये संस्मरण बड़े आत्मीय और विश्वसनीय लगते हैं. पुस्तक का हिंदी अनुवाद किया है हरिश्चंद्र ने और प्रकाशक हैं जन-प्रकाशन गृह, मुंबई. यह संस्मरण ‘हिंदी …

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बहन के सहारे भाई खोजते रहे जीवन की नायिकाएं

आज भाई दूज पर कुछ कविताएँ बहनों के लिए. कवि हैं प्रेमचंद गाँधी- जानकी पुल. बहन बहन मां की कोख से पैदा हुई लड़की का ही नाम नहीं है उस रिश्‍ते का भी नाम है जो पुरुष को मां के बाद पहली बार नारी का सामीप्‍य और स्‍नेह देता है …

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बैठ अकेले दुख मत जापो, मिल कर जीवन राग अलापो

आज बाल दिवस पर कुछ बाल कविताएँ. कवि हैं भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित कवि प्रेम रंजन अनिमेष– जानकी पुल.=============== 1. मोटी रोटी दादी की  यह  मोटी  रोटी छूछी  भी लगती  है  मीठी गेहूँ  मकई  चना  मिला है घर की चक्की का आटा है उपलों पर  इसको सेंका है सत …

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उनके जीवन का नमक बारिश में घुल कर बह रहा था

आज आशुतोष दूबे की कविताएँ. एक जमाने में अपने डिक्शन, अपनी किस्सागोई से उनकी कविताओं ने अलग से ध्यान आकर्षित किया था. आज भी करती हैं. उनकी कुछ चुनी हुई कविताएँ- जानकी पुल. ============== १. मनौती का पेड़ धागे की एक लच्छी उसे बांधकर हम लौट आते हैं एक झुलसती …

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फेसबुक पर विद्वानों के अपने-अपने अज्ञेय

·         बात शुरु हुई थी अनिल यादव के इंटरव्यू में आए  अज्ञेय के इस सन्दर्भ से– मुझे लगता है कि हिंदी के पास अज्ञेय के रूप में एक अपना रवींद्रनाथ टैगोर था. हमने उसे नहीं पहचाना और खो दिया- देखते-देखते यह फेसबुक पर अज्ञेय को लेकर एक गंभीर …

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हर स्थिति और हर काल में और न्यूट्रल था हर हाल में

प्रसिद्ध कवि बोधिसत्व की यह कविता हमारे समाज पर गहरा व्यंग्य करती है. आप भी पढ़िए ‘न्यूट्रल आदमी’, बनिए नहीं- जानकी पुल. ================ न्यूट्रल आदमी वह हिंद केशरी नहीं था वह भारत रत्न नहीं था वह विश्व विजेता नहीं था किंतु सदैव था सर्वत्र था वह और चाहता सब का …

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‘तुगलक’ से रंगमंच को क्या मिला?

भानु भारती के निर्देशन में गिरीश कर्नाड के नाटक ‘तुगलक’ का भव्य मंचन दिल्ली के फिरोजशाह कोटला के खंडहरों में हुआ. इस नाटक की प्रस्तुति को लेकर बहुत अच्छी समीक्षा लिखी है अमितेश कुमार ने- जानकी पुल. ================================ “निर्देशक का यह मूलभूत कर्तव्य है कि वह नाटक के अर्थ को …

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