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Tag Archives: प्रभात रंजन

नया लेखन तो ठीक है लेकिन नया पाठक कहाँ है?

  कभी-कभी ऐसा होता है कि अचानक आपको कोई मिल जाता है, अचानक किसी से फोन पर ही सही बात हो जाती है और आप कभी पुराने दिनों में लौट जाते हैं या किसी नई सोच में पड़ जाते हैं. सीतामढ़ी के मास्साब शास्त्री जी ने न जाने कहाँ से …

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याक और बच्चे की दोस्ती की कहानी ‘हिमस्खलन’

चीनी बाल एवं किशोर कथाओं में प्रकृति, मिथकों के साथ इंसान के आदिम संबंधों की कथा होती है. ‘हिमस्खलन’ ऐसी ही किताब है, जिसमें एक बच्चे और एक याक की दोस्ती की कहानी है. जांग पिंचेंग की इस किताब का अंग्रेजी से अनुवाद मैंने किया था. जिसका प्रकाशन रॉयल कॉलिन्स …

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बज्जिका मेरा देस है हिंदी परदेस!

आज मातृभाषा दिवस है. समझ में नहीं आ रहा है कि किस भाषा को मातृभाषा कहूं- बज्जिका को, जिसमें आज भी मैं अपनी माँ से बात करता हूँ. नेपाली को, नेपाल के सीमावर्ती इलाके में रहने के कारण जो भाषा हम जैसों की जुबान परअपने आप चढ़ गई. भोजपुरी को, बचपन …

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उन्होंने ‘लुगदी’ परम्परा को ग्लैमर की ‘वर्दी’ पहनाई

मुझे याद है जब आमिर खान ने अपनी फिल्म ‘तलाश’ का प्रोमोशन शुरू किया था तो वे मेरठ में सबसे पहले वेद प्रकाश शर्मा के घर गए थे. यह हिंदी की लोकप्रिय धारा के लेखन को मिलने वाला विरल सम्मान था. 80 और 90 के दशक में उनके उपन्यासों ने …

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नाटक क्या सिनेमा का फाटक होता है?

  आज ‘प्रभात खबर’ अखबार में भारंगम के बहाने मैंने नाटक-नाटककारों पर लिखा है. आप यहाँ भी पढ़ सकते हैं- प्रभात रंजन  ================ ‘अपने यहाँ, विशेष रूप से हिन्दी में, उस तरह का संगठित रंगमंच है ही नहीं जिसमें नाटककार के एक निश्चित अवयव होने की कल्पना की जा सके’- …

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ऋषि कपूर की आत्मकथा कपूर परिवार की ‘खुल्लमखुल्ला’ है

कल किन्डल पर ऋषि कपूर की आत्मकथा ‘खुल्लमखुल्ला’ 39 रुपये में मिल गई. पढना शुरू किया तो पढता ही चला गया. हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े सबसे सफल घराने कपूर परिवार के पहले कपूर की आत्मकथा के किस्सों से पीछा छुड़ाना मुश्किल था. सबसे पहले अफ़सोस इस बात का हुआ …

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‘मुक्तांगन’ में ‘राम’ से शाम तक

वसंत के मौसम के लिहाज से वह एक ठंढा दिन था लेकिन ‘मुक्तांगन’ में बहसों, चर्चाओं, कहानियों, शायरी और सबसे बढ़कर वहां मौजूद लोगों की आत्मीयता ने 29 जनवरी के उस दिन को यादगार बना दिया. सुबह शुरू हुई राम के नाम से और शाम होते होते दो ऐसे शायरों …

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देशभक्ति के दौर में ‘देश’ से जुड़ा ‘देस’ का किस्सा

आजकल अजब माहौल है. लोग बात बात में ‘देश’ की बात करने लगते हैं. कहने लगते हैं देश से बड़ा कुछ नहीं होता. एक बार ऐसे ही मेरे अपने ‘देस’ के नंदन ठाकुर के ऊपर यह धुन सवार हो गई थी कि वे दिल्ली जायेंगे देश को देखेंगे.  अपनी ही …

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शशि कपूर की ‘असीम’ जीवनी

 इससे पहले राजेश खन्ना की जीवनी पढ़ी थी. यासिर उस्मान की लिखी हुई. आजकल फ़िल्मी कलाकारों की जीवनियों का ऐसा दौर चला हुआ है कि पढ़ते हुए डर लगता है- पता नहीं किताब कैसी निकले? लेकिन शशि कपूर की जीवनी ‘द हाउसहोल्डर, द स्टार’ पढ़कर सुकून मिला. ऐसा नहीं है …

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हेमिंग्वे की कहानी ‘आज शुक्रवार है’

जुलाई का महीना अर्नेस्ट हेमिंग्वे का महीना है. उस लेखक जो दुनिया के सबसे महान कथा-लेखकों में एक थे. आज उनकी यह कहानी ‘आज शुक्रवार है’, जो नाटकीय शैली में लिखी गई है और इसमें तीन रोमन सिपाहियों की बातचीत है जो ईसा मसीह को सूली पर लटकाकर लौटे हैं. …

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