युवा कवि विमलेश त्रिपाठी का यह स्तम्भ एक लम्बे अंतराल के बाद फिर से शुरु हो रहा है। लेखक की स्मृतियों में उसका जीवन कैसा होता है, विमलेश त्रिपाठी ने बड़ी सहजता से लिखा है- छूट गए समय की पहिलौंठी स्मृतियाँ – एक पहली घटना जो जेहन में है वह …
Read More »विमलेश त्रिपाठी का स्तम्भ एक गुमनाम लेखक की डायरी-3
युवा कवि विमलेश त्रिपाठी अपनी जीवन यात्रा को दर्ज कर रहे हैं। गाँव के छूटे हुए दिनों को बड़ी शिद्दत से याद कर रहे हैं। आज तीसरी किस्त पढ़िए- ==================== लगातार मनुष्यता की ओर यात्रा करने वाला मुसाफिर मुझे अपने जन्म का वर्ष और तारीख पता नहीं है। माँ से …
Read More »विमलेश त्रिपाठी का स्तम्भ एक गुमनाम लेखक की डायरी-2
आज पढ़िए युवा कवि विमलेश त्रिपाठी की आत्मकथा की दूसरी किस्त। वे जानकी पुल के लिए यह साप्ताहिक स्तम्भ लिख रहे हैं- ===================== शब्दों की दुनिया ही हमारा आसरा खेत-बधार और गली-गांव से अधिक की पहुंच नहीं थी हमारी। कभी-कभी छुपकर दोस्तों के साथ नदी चले जाते थे। वह …
Read More »विमलेश त्रिपाठी का स्तम्भ ‘एक गुमनाम लेखक की डायरी’-1
आज युवा कवि विमलेश त्रिपाठी का जन्मदिन है। आज के दिन वे जानकी पुल के लिए एक साप्ताहिक स्तम्भ लिखेंगे। ‘एक गुमनाम लेखक की डायरी’ नामक स्तम्भ की पहली किस्त पढ़िए- ======================= मेरा जन्म ऐसे परिवेश में हुआ जहां लिखने-पढ़ने की परम्परा दूर-दूर तक नहीं थी। कहने को हम ब्राह्मण …
Read More »विमलेश त्रिपाठी की ग्यारह कविताएँ
विमलेश त्रिपाठी समकालीन हिंदी कविता में जाना-पहचाना नाम है। उनकी तीन कविता संग्रहों का एक जिल्द में प्रकाशन हुआ है जिसका नाम है ‘लौटना है एक दिन’। प्रलेक प्रकाशन से प्रकाशित इस कविता संग्रह से चयनित 11 कविताएँ पढ़िए- ========================== 1 लोहा और आदमी वह पिघलता है और …
Read More »परिवार, प्रेम और सोशल मीडिया की व्यथा-कथा
सुपरिचित लेखक विमलेश त्रिपाठी के उपन्यास ‘हमन हैं इश्क मस्ताना’ की आजकल बहुत चर्चा है. हिन्द युग्म से प्रकाशित इस उपन्यास की समीक्षा लिखी है पीयूष द्विवेदी ने- मॉडरेटर ================================ विमलेश त्रिपाठी का उपन्यास ‘हमन हैं इश्क मस्ताना’ पारिवारिक जीवन के तनावपूर्ण यथार्थ की तरफ से आँखें मूंदे सोशल मीडिया …
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