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Prabhat Ranjan

अणुशक्ति सिंह की कहानी ‘आखिरी बार’

हिंदी कहानियां बदल रही हैं. समकालीन जीवन की भागमभाग, उसकी जद्दोजहद सब कुछ बदल रही है. रिश्तों में भी वह ठहराव नहीं रह गया है. एक ऐसी कहानी है अणुशक्ति सिंह की, जिसमें किसी चीज का किसी तरह का लोड नहीं है. बदलते समाज की एक छोटी-सी कहानी-मॉडरेटर  ========================================================= “ये …

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अखिलेश का लेख ऐतिहासिक है

कल स्कूल में पढ़ाई जाने वाली हिंदी पाठ्यपुस्तकों को लेकर वरिष्ठ चित्रकार अखिलेश का एक शोधपरक लेख पोस्ट किया था. उसके ऊपर टिप्पणी के बहाने वरिष्ठ कवि, विद्वान विष्णु खरे का यह लेख है. विष्णु जी ने कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना शैली में यह लेख लिखा है. लेकिन …

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हम अपने बच्चों को कैसी हिंदी पढ़ा रहे हैं?

अखिलेश देश के जाने-माने चित्रकार हैं. हिंदी साहित्य की गहरी समझ रखते हैं, लिखते भी हैं. उन्होंने बच्चों को पढ़ाई जाने वाली हिंदी की पाठ्यपुस्तकों का विश्लेषण किया है. यह विश्लेषण हमें गहरे सोचने को विवश करता है कि आखिर हम अपने बच्चों को कैसी हिंदी पढ़ा रहे हैं? एक …

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जयश्री रॉय के उपन्यास ‘दर्दजा’ का अंश

कल से शुरू हो रहे विश्व पुस्तक मेले में जानी-मानी लेखिका जयश्री रॉय का उपन्यास ‘दर्दजा’ जारी हो रहा है. वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हो रहे इस उपन्यास का एक अंश- मॉडरेटर  ============================================= वह एक सांवला सा दिन था. बारिश के आखिरी दिन जब बादल खुद को समेटने लगे थे …

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क्या है ‘बकर पुराण’?

इस महीने अजीत भारती की किताब आ रही है ‘बकर पुराण’. एक नई विधा, नया लेखक. जानते हैं कि है क्या इसमें- मॉडरेटर  ================= ‘बकर पुराण’ के बारे में यह एक साहित्य है जिसमें एलीट या सजावटी होने का कोई दवाब नहीं है। न ही हमने कभी नैतिकता की चादर …

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तेरे मेरे इश्क़ की वही पुरानी कहानी नहीं है ‘बाजीराव मस्तानी’ और ‘तमाशा’

ज्योति नंदा ने पिछले साल के आखिर में आई दो फिल्मों पर एक पठनीय लेख लिखा है- मॉडरेटर  ============================================================== “बाजीराव मस्तानी” दर्शन से पहले “तमाशा” देखी थी। “तमाशा” देखने के बाद इतना कुछ कहने को मन हुआ कि शब्दों की तरतीब ही न बन सकी, सो कुछ नहीं कहा। कभी किसी फिल्म; किसी …

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पंकज चतुर्वेदी की 15 कविताएं

अपनी पीढ़ी के जिन कवियों के मैं खुद को निकट पाता रहा हूँ पंकज चतुर्वेदी उनमें सबसे प्रमुख हैं. शोर-शराबे से दूर उनकी कविता में हमारे समय की बहुत सारी अनुगूंजें सुनाई देती है. स्पष्ट वैचारिकता के साथ सघन कविताई का ऐसा ताना-बाना आजकल की कविताओं में वायरल होता जा …

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वे भाषा की भूलों को कभी नहीं भूलते थे

पंकज सिंह- पहली बार मदन मोहन झा सर ने उनका नाम लिया था. कहा था कि बहुत बड़े कवि हैं. वे राजनीति शास्त्र पढ़ाते थे. सीतामढ़ी के गोयनका कॉलेज में. मिलना बहुत बाद में हुआ जड़ दिल्ली विश्वविद्यालय में पढता था तब. उनके बारे में किस्से सुनता रहता था. 90 …

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प्रेम बिना हिंदी सूना

कल प्रभात खबर में मेरी एक छोटी-सी टिप्पणी आई थी. पढ़कर बताइयेगा- प्रभात रंजन  ======================================================= आज ही एक अखबार के लिए साल भर की किताबों का लेखा-जोखा लिख रहे मित्र ने फोन पर पूछा कि इस साल कोई बढ़िया प्रेम-उपन्यास आया है? ‘हाँ, ओरहान पामुक का उपन्यास ‘ए स्ट्रेंजनेस इन …

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जिनको दुनिया की सबसे सुन्दर अभिनेत्री माना गया था

आज गुजरे जमाने की महान अदाकारा नलिनी जयवंत की पुण्यतिथि है. उनके अभिनय, उनके मकाम को बड़े प्यार से याद किया है सैयद. एस. तौहीद ने- मॉडरेटर  =============================================== गुजरे जमाने की बहुत सी बेहतरीन फिल्मों का स्मरण दरअसल अभिनेत्री नलिनी जयवंत का स्मरण भी है। राज खोसला की ‘कालापानी’ के …

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