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Prabhat Ranjan

ये दिये रात की जरूरत थे’ उपन्यास का एक अंश

सुपरिचित कथाशिल्पी कविता का दूसरा उपन्यास ‘ये दिये रात की जरूरत थे’बहुरूपिया कलाकारों के जीवन–संघर्ष और उनके सांस्कृतिक–ऐतिहासिक महत्व को केंद्र में रख  कर लिखा गया है। यह उपन्यास जहां एक तरफ लगभग लुप्त हो चुकी इस कला–परंपरा को इसकी सामाजिक–आर्थिक परिणतियों के साथ एक प्रभावशाली कथारूप में सहेजने का …

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प्रभात त्रिपाठी और गीतांजलि श्री को वैद सम्मान

चौथा और पाँचवाँ वैद सम्मान क्रमशः प्रभात त्रिपाठी और गीतांजलि श्री को दिये जाने की घोषणा हुई है। यह सम्मान हिन्दी के वरिष्ठ लेखक कृष्ण बलदेव वैद के नाम पर दिया जाता है। पिछले साल किन्हीं कारणों से यह सम्मान नहीं दिया जा सका था। इसलिए इस बार दो सालों …

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मंगलेश डबराल और ‘नए युग में शत्रु’

मंगलेश डबराल से आप कितनी भी दूर चले जाएँ उनकी कवितायें आपको अपने पास खींच लेती हैं।हाल में ही उनका कविता संग्रह प्रकाशित हुआ है ‘नए युग में शत्रु’। इस संग्रह की कविताओं पर प्रियदर्शन का यह लेख पढ़िये। हमारे दौर के एक प्रमुख कवि को उनके समकाल में ‘लोकेट’ …

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भारतीय समाज फ़ासीवाद के मुहाने पर खड़ा है

जब-जब कट्टरतावादी ताक़तें ज़ोर पकड़ती हैं सबसे पहले अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला होता है। अभी हाल में ही पुस्तक मेले के दौरान मैनेजर पाण्डेय के एक वक्तव्य पर फासीवादी ताकतों ने हंगामा किया उससे यह संकेत मिलता है कि आने वाले समय में हालात किस तरह के होने वाले …

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लेखक को बेस्टसेलर की अभिलाषा से मुक्त होना चाहिये

हमारी कोशिश है कि हिन्दी में बेस्टसेलर को लेकर हर तरह के विचार सामने आएं। पहले के दो लेखों में यथार्थवादी बातें आई आज कुछ आदर्श की बातें कर लें। हिन्दी में नए ढंग के लेखन की शुरुआत करने वाले प्रचण्ड प्रवीर ने बेस्टसेलर को लेकर दो-टूक बातें की हैं, …

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क्या हिंदी में बेस्टसेलर हैं ही नहीं?

हिन्दी में बेस्टसेलर को लेकर ‘हिन्दी युग्म’ की तरफ से पुस्तक मेले में 20 फरवरी को परिचर्चा का आयोजन किया गया था। उसमें लेखिका अनु सिंह चौधरी भी वक्ता थी। आज उन्होने परिचर्चा के दौरान बहस में आए मुखी बिन्दुओं की चर्चा करते हुए लोकप्रिय-बेस्टसेलर को लेकर एक सुचिंतित लेख लिखा …

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बच्चों के लिए लिखना रचनात्मक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण कार्य है।

इस बार विश्व पुस्तक मेला का थीम बाल साहित्य है। लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि हम हिन्दी वाले बाल साहित्य को गंभीरता से नहीं लेते। अभी कल जब मैंने शिक्षाविद मनोज कुमार का बाल साहित्य लेखन पर यह लेख पढ़ा तो मन में यह संकल्प लिया कि बाल साहित्य लिखने …

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बुलेट की अराजकता में एक लय है

बचपन से बुलेट मोटरसाइकिल की ऐसी छवि दिमाग में बनी कि बुलेट का नाम आते ही सिहरन सी होने लगती थी. सीतामढ़ी के एकछत्र बादशाह नवाब सिंह की बुलेट जब शहर में दहाड़ती हुई निकलती तो लोग पीछे घूम घूम कर खड़े होने लगते थे या टाउन थाना के दरोगा …

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‘हमलोग’ उपन्यास के रूप में आ रहा है

‘हमलोग’ अब उपन्यास के रूप में सामने आ रहा है। उसके एपिसोड्स तो ऑनलाइन भी नहीं मिलते। जानकार सचमुच रोमांच हुआ। दूरदर्शन का पहला धारावाहिक, जिसकी लोकप्रियता ने 1984-85 में टीवी को घर-घर पहुंचाने में बड़ा योगदान किया। यह भी उस दौर में अलग-अलग स्कूलों के अलग-अलग क्लासों में पढ़ने …

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शिरीष कुमार मौर्य की कविताएं

हिन्दी के समकालीन कवियों में कुछ कवि ऐसे हैं जिनकी कविताओं में मैं अपनी आवाज पाता हूँ। कई बार सोचता हूँ काश ऐसी कवितायें मैंने लिखी होती। हालांकि मैं कवि नहीं हूँ, लेकिन कई बार अपने इन प्रिय कवियों की तरह कवितायें लिखने की कोशिश करता हूँ। उन कवियों में …

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