पटना से प्रकाशित दोआबा का ताजा अंक (जनवरी-मार्च, 2022) लगभग 600 पन्नों का है। इनमें से 533 पन्नों में नीलम नील की दो ‘कथा-डायरी’ प्रकाशित हैं, जिनके शीर्षक क्रमश: ‘आंगन में आग’ और ‘अहिल्या आख्यान’ हैं। शेष पृष्ठों पर उन्हीं पर केंद्रित संपादकीय, संस्मरण आदि हैं। साहित्य की पहचान यह …
Read More »माधव हाड़ा का लेख ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भारतीय संस्कृति और परंपरा’
प्रसिद्ध आलोचक माधव हाड़ा के आलेखों का संकलन सेतु प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है ‘देहरी पर दीपक’। उसी संग्रह से एक लेख पढ़ते हैं- =============================== अभिव्यक्ति मनुष्य अस्तित्व की नैसर्गिक ज़रूरत है। मनुष्य अस्तित्व की संभावनाओं के पल्लवन और संपूर्ण विकास के लिए अभिव्यक्ति की निर्बाध और अकुंठ आज़ादी बहुत …
Read More »लड़की के भीतर का ‘एकलव्य’ पाठक: प्रियंका दुबे
प्रियंका दुबे के लेखन से हम सब अच्छी तरह परिचित हैं। गद्य हो या पद्य उनके लेखन में एक शब्द भी अतिरिक्त नहीं होता। आज उनका एक बहुत ही सुंदर पीस लिखा है, पढ़ने को लेकर, लिखने के जुनून को लेकर। साल बीतते बीतते एक अच्छा लेख पढ़ा सो आप …
Read More »‘ये फूल उन पे चढ़ाते हो किस लिए लोगो/ शहीद ज़िंदा हैं उन का अज़ा नहीं करते’
अमर शहीद ब्रिगेडियर लिद्दड़ की बेटी आशना लिद्दड़ के दर्द से आहत मेरे जैसे नागरिकों को आवाज़ दी है सुहैब अहमद फ़ारूक़ी ने। वे पेशे से पेशे से पुलिस अधिकारी हैं, शायर हैं- ========================== “I am going to be 17. So, he was with me for 17 years, we will …
Read More »जूठन : अनुभव और अनुभूतियाँ
युवा आलोचक सुरेश कुमार के लेख हम सब पढ़ते रहे हैं। उनकी आलोचना दृष्टि के हम सब क़ायल रहे हैं। यह उनका नया लेख है जो ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा ‘जूठन’ पर है- ==================== ओमप्रकाश वाल्मीकि,मोहनदास नैमिशराय, श्यौराज सिंह बेचैन, सूरजपाल चौहान और तुलसीरम की आत्मकथाएं इस बात की …
Read More »कश्मीर के बदन पर कोहरा घना है
प्रसिद्ध लेखिका गीताश्री आजकल कश्मीर में हैं। वहाँ कला शिविर, वहाँ के हालात पर उनकी एक प्रासंगिक टिप्पणी पढ़िए- ============================== श्रीनगर के युवा चित्रकार नौशाद गयूर कला शिविर में अपने शहर के तात्कालिक हालात से अनजान पेंटिंग बना रहे थे. डल गेट और डल लेक पर छोटा आइलैंड चार चीनार …
Read More »जाँ निसार अख़्तर और उनके ख़ानदान के मुताल्लिक चंद बातें
पंकज पराशर संगीत-शायरी पर जब लिखते हैं तो बहुत अलग लिखते हैं। भाषा और विषय दोनों में महारत के साथ। यह लेख प्रसिद्ध उर्दू शायर जाँ निसार अख़्तर और उनके शायराना परिवार को लेकर है। एक पढ़ने और सहेजने लायक़ लेख- ============================= हम ने सारी उम्र ही यारो दिल का …
Read More »ज़ौक़ जा पाया नहीं दिल्ली की गलियाँ छोड़कर
आज उस शायर की पुण्यतिथि है जिसने लिखा था ‘कौन जाए ज़ौक़ अब दिल्ली की गलियाँ छोड़कर’। उनके ऊपर यह लेख लिखा है शायर और पुलिस अधिकारी सुहैब अहमद फ़ारूक़ी ने। आप भी पढ़िए- ============================== हमारे महकमे में एक देहाती कहावत चलन में है। वह यह कि ‘ख़ूबसूरत ज़नानी …
Read More »एफ आर लीविस का नैतिक बोध और ‘हम दो हमारे दो’ फिल्म
विकास कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय में एमए के छात्र हैं। उन्होंने प्रसिद्ध ब्रिटिश साहित्य चिंतक एफ आर लीविस के विचारों तथा अभिषेक जैन निर्देशित फ़िल्म ‘हम दो हमारे दो’ पर बहुत विचारपूर्वक लिखा है। आप भी पढ़ सकते हैं- ============== फ्रैंक रेमण्ड लीविस ( 1895-1978) एक श्रेष्ठ पश्चिमी साहित्यशास्त्रीय चिंतक के …
Read More »हिंदी बाल साहित्य का इतिहास: प्रकाश मनु
आज बाल दिवस है। इस मौक़े पर पढ़िए वरिष्ठ लेखक प्रकाश मनु का यह लेख। प्रकाश जी ने हिंदी बाल साहित्य का इतिहास भी लिखा है- हिंदी बाल साहित्य का इतिहास लिखना मेरे लिए किसी तपस्या से कम न था प्रकाश मनु ………………………………………………………………………………………. हिंदी बाल साहित्य का इतिहास लिखना मेरे …
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