कल इन्डियन एक्सप्रेस में एक छोटी सी खबर ने सबका ध्यान खींचा कि 20 मई को पत्रकारिता के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईएमसी में पत्रकारिता के मौजूदा हालात पर दिन भर के सेमिनार का आयोजन किया जायेगा, जिसकी शुरुआत ढाई घंटे के यज्ञ से होगी. पत्रकारिता पर पीएचडी कर चुके, वहां के …
Read More »युवा शायर #11 विजय शर्मा की ग़ज़लें
युवा शायर सीरीज में आज पेश है विजय शर्मा की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ==================================================== ग़ज़ल-1 यमन की धुन पे ये किसका बदन बहलता है हर एक शाम ये साहिल पे कौन चलता है किसी के होंठ की गर्मी जबीं को मिलते ही बदन का ग्लेशियर आँखों से बह निकलता है …
Read More »सौम्या बैजल की कहानी ‘संग-साथ’
सौम्या बैजल युवा लेखिका हैं. बदलते वक्त को कहानियों के माध्यम से समझने-कहने की कोशिश करती हैं. भाषा में भी हिंदी रोमन मिक्स लिखती हैं लेकिन निश्चित रूप से उनके पास कहने के लिए कुछ है और कहने का एक अपना सलीका भी है. जैसे कि यही कहानी देखिये- मॉडरेटर …
Read More »‘मंडुवा की बालियां काट दो ना, मादिरा की बालियां काट दो’
आज विज्ञान कथा लेखक के रूप में मशहूर देवेन मेवाड़ी जी का जन्मदिन है. वे मूलतः साहित्यकार हैं. आज प्रस्तुत है शैलेश मटियानी पर लिखा गया उनका संस्मरण- मॉडरेटर =========================== सन् साठ के दशक के अंतिम वर्ष थे। एम.एससी. करते ही दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में नौकरी लग …
Read More »राजेश प्रधान की चार कविताएँ
आज राजेश प्रधान की कविताएँ. किस तरह शब्दों के थोड़े से हेरफेर से शब्दों में सौन्दर्य पैदा हो जाता है, जीवन का सहज दर्शन उभर आता है उनकी कविताओं को पढ़ते हुए इसका अहसास हो जाता है. राजेश जी अमेरिका के बोस्टन में रहते हैं, वास्तुकार हैं, राजनीति शास्त्र के …
Read More »मंगलेश डबराल का जन्मदिन मंगलेश डबराल की कविताएँ
आज सुबह से याद था कि आज मेरे प्रिय कवियों में एक मंगलेश डबराल का जन्मदिन है लेकिन उनकी कविताओं के माध्यम से उनको याद करने का मौका अब मिला. यही सच है कि जो लोग हमारे काम के नहीं होते उनको हम देर से याद करते हैं. फिर भी …
Read More »‘दिल्लीवाली बस से ही जाना, बिहार वाली बस तुम जैसों के लिए नहीं है…’
सुशील कुमार भारद्वाज बिहार के युवा लेखक हैं. इस बार उन्होंने एक बस यात्रा का संस्मरण लिखा है. बरसों पहले भी बस ट्रेन यात्राओं पर ऐसे ही लिखा जाता था. आज भी वैसे ही. समय के साथ आम आदमी की मुश्किलों का कोई अंत नहीं हुआ है. बहुत रोचक है- …
Read More »आर डी बर्मन के विदा गीत का जादू
फिल्म 1942 ए लव स्टोरी का संगीत सच में बहुत सुरीला था. आर डी बर्मन की आखिरी फिल्म थी. इसी फिल्म के गीत ‘कुछ न कहो’ पर नवल किशोर व्यास का लेख- मॉडरेटर ============================= कुछ ना कहो- पंचम का विदा गीत ————————— विधु विनोद चौपडा की 1942- ए लव स्टोरी …
Read More »‘दे फोंफ दे फोंफ दे फोंफ’ और ‘दे गप्प दे गप्प दे गप्प’ वाली गर्मी का किस्सा
रंजन ऋतुराज ‘दालान’ पर पुराने दिनों के किस्से लिखते हैं. अब उन्होंने गर्मी का यह किस्सा लगा कि अपनी गर्मियों के दिन याद आ गए. वह एक दौर था जो बीत चुका है. उस बीते दौर की बड़ी अच्छी बानगी इस छोटे से लेख में मिलती है- मॉडरेटर ======== इस …
Read More »जीवन और कला के अंतर्संबंधों की बेहतरीन किताब ‘सिमिट सिमिट जल’
कुछ किताबें ज्ञान बढाने के लिए होती हैं, कुछ मन को गुदगुदाने के लिए, कुछ गर्मी की छुट्टियों में पहाड़ों पर पेड़ के नीचे लेटकर पढने के लिए. गर्मी की छुट्टियाँ शुरू हो चुकी हैं. अगर आप इन छुट्टियों में कहीं जाने की योजना बना रहे हैं तो मेरा आग्रह …
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