अशोक कुमार पाण्डेय की किताब ‘कश्मीरनामा’ कश्मीर पर एक सुशोधित पुस्तक है. राजपाल एन संज प्रकाशन से प्रकाशित इस पुस्तक पर जब नॉर्वे प्रवासी डॉक्टर प्रवीण झा की यह टिप्पणी पुस्तक की समीक्षा नहीं है बल्कि इस पुस्तक के बहाने कश्मीर पर एक अच्छी टिप्पणी है- मॉडरेटर ========================== शायद डेढ़ वर्ष पहले …
Read More »हम जैसों को अमृतलाल वेगड़ जी कल्पनाओं में ही मिले, और कल्पना में ही दूर हो गए
नर्मदा नदी की यात्रा करके उस पर किताबें लिखने वाले अमृतलाल वेगड़ आज नहीं रहे. उनकी स्मृति में यह श्रद्धांजलि लिखी है नॉर्वे-प्रवासी डॉक्टर लेखक प्रवीण झा ने- मॉडरेटर ================================= हम जैसों को अमृतलाल जी कल्पनाओं में ही मिले, और कल्पना में ही दूर हो गए। जैसे कुमार गंधर्व, जैसे …
Read More »दुनिया की सबसे नीरस किताब कौन सी होगी?
नॉर्वे-प्रवासी डॉक्टर प्रवीण झा के लेखन से, लेखन की धार से हम सब अच्छी तरह परिचित हैं. न उनके पास लिखने के लिए विषयों की कमी पड़ती है, न कभी भाषा में झोल पड़ता है. बस एक बात और कि इस बार जानकी पुल पर उनकी चिट्ठी बहुत दिनों बाद …
Read More »चिनार के झड़ते पत्ते और कोरिया की रानी री
प्रवीण झा नौर्वे में रेडियोलोजिस्ट हैं. शायद ही कोई ऐसा विषय है जिसके ऊपर वे न लिखते हों. इस बार जानकी पुल पर बड़े दिनों बाद लौटे हैं. एक अनूठे गद्य के साथ- मॉडरेटर =============================================== राजा की गद्दी। अनुवाद यही ठीक रहेगा। एक बहुमंजिली इमारत की इक्कीसवीं मंजिल का वो …
Read More »जेमिथांग घाटी वाले नक्सल बाबा की चिट्ठी
इधर लेखिका अरुंधती राय को लेकर वाद-विवाद संवाद चल रहा है उधर नक्सली बाबा की चिट्ठी आ गई. अपने नॉर्वे-प्रवासी डॉक्टर प्रवीण कुमार झा को मिली है यह चिट्ठी. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर ============================================== कल जेमिथांग घाटी वाले नक्सल बाबा की चिट्ठी आई। नक्सल बाबा मेरे पुराने बंगाली मित्र हैं।अंग्रेजी …
Read More »धर्म जनता की अफीम है- कार्ल मार्क्स
अपने नॉर्वे प्रवासी डॉ प्रवीण झा का लेखन का रेंज इतना विस्तृत है कि कभी कभी आश्चर्य होता है. उनके अनुवाद में प्रस्तुत है आज कार्ल मार्क्स के उस प्रसिद्ध लेख का अनुवाद किया है जिसमें मार्क्स ने लिखा था कि धर्म जनता की अफीम है- मॉडरेटर ============= यह लेख …
Read More »लोग मरने के बाद स्वर्ग जाते हैं पर कुमार गंधर्व तो आए ही स्वर्ग से थे!
आज कुमार गन्धर्व की जयंती है. शास्त्रीय संगीत के इस अप्रतिम गायक को याद करते हुए नॉर्वे प्रवासी डॉ. प्रवीण कुमार झा ने यह बहुत अच्छा लेख लिखा है. एकदम आम आदमी के नजरिये से- मॉडरेटर ============================================ बिना फेफड़े के कोई महान गायक बन सकता है? वो भी हिंदुस्तानी संगीत …
Read More »किशोरी जी तो चली गई अब ढूँढते रहिए सुर!
कल किशोरी अमोनकर के निधन के बाद हमने बहुत कुछ पढ़ा. बहुत कुछ जाना. एक लेख यह भी पढ़ लीजिये. नॉर्वे प्रवासी डॉ. प्रवीण कुमार झा ने लिखा है. वे शास्त्रीय संगीत के गहरे ज्ञाता हैं और और मेरे जैसे शास्त्रीय ज्ञान से हीन लोगों को उनकी भाषा में समझाना-सिखाना …
Read More »भगवा जीता इस फगवा में, गावे गाम भदेस। जोगीरा सा रा रा रा।”
होली पर स्पेशल चिट्ठी नॉर्वे से डॉ. व्यंग्यकार प्रवीण कुमार झा की आई है. भगवा के फगवा की चर्चा वहां भी है. कवि कक्का पूरे रंग में हैं- मॉडरेटर ==================== कवि कक्का आज रंग में हैं। पिछले महिने ही अपना वामपंथी लाल जनेऊ बदल कर केसरिया जनेऊ किया, और होली …
Read More »रेणु जी के ‘मैला आँचल’ के अंश-पाठ का ऑडियो-वीडियो
आज फणीश्वरनाथ रेणु का जन्मदिन है. उनके उपन्यास ‘मैला आँचल’ के बारे में अनेक विद्वानों का यह मानना है कि यह हिंदी के सबसे अच्छे उपन्यासों में एक है. आज उसके एक अंश का बहुत सुन्दर पाठ प्रवीण झा ने किया है और उतना ही अच्छा वीडियो भी बनाया है. …
Read More »