Home / Prabhat Ranjan (page 174)

Prabhat Ranjan

हुमैरा राहत की ग़ज़लें

हुमैरा राहत के शेर पढता रहता था. अभी हाल में ही उनकी गजलों और नज्मों का संकलन हाथ में आया- पांचवीं हिजरत. किताब राजपाल एंड संज प्रकाशन से आई है. उसी से कुछ ग़ज़लें- मॉडरेटर  =============================================================== 1. बिछुड़ते वक्त भी रोया नहीं है ये दिल अब नासमझ बच्चा नहीं है …

Read More »

प्रवीण कुमार झा का व्यंग्य ‘मिक्स्ड डबल’

पिछले दिनों युवा लेखक प्रवीण कुमार झा की किताब आई ‘चमनलाल की डायरी’. इस पर लेखक का नाम वामा गांधी है. वे इसी नाम से शायद ब्लॉग लिखा करते थे. बहरहाल, यह किताब अपने आप में सेल्फ पब्लिशिंग का अच्छा उदाहरण है. बिना किसी प्रचार-प्रसार के महज पाठकों और दोस्तों …

Read More »

देव आनंद के ऊपर दिलीप कुमार

दिलीप कुमार और देव आनंद समकालीन अभिनेता ही नहीं थे अच्छे दोस्त भी थे. देव साहब के निधन पर दिलीप कुमार ने यह लिखा था. कल देव आनंद का जन्मदिन था तो सैयद एस. तौहीद ने इस लेख की याद दिलाई. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर  ====================== सिनेमा में दाखिल होने …

Read More »

हम केवल बातन के तेज़

वरिष्ठ पत्रकार और लेखक रंजन कुमार सिंह ने भारत-पाकिस्तान तनाव के सन्दर्भ में प्रधानमंत्री के हाल के भाषण के ऊपर बहुत विचारोत्तेजक लेख लिखा है- मॉडरेटर  ======================================== एक थे पहलवानजी। नई-नई शादी हुई थी। सुहागरात पर उन्होंने अपनी पत्नी से बड़े ही प्यार से पूछा- पंजा लड़ाएगी? पूरा देश जब …

Read More »

बांग्ला कवयित्री मंदाक्रांता सेन की कविताएँ

आज मंदाक्रांता सेन की कविताएँ. समकालीन बांगला साहित्य में मंदाक्रांता सेन का नाम जाना-माना है. उनको आनंद पुरस्कार भी मिल चुका है. उन्होंने साहित्य अकादेमी का युवा पुरस्कार लौटा दिया था. उनका एक उपन्यास ‘झपताल’ हिंदी अनुवाद में उपलब्ध भी है. हम आभारी हैं उत्पल बैनर्जी के कि उन्होंने उनकी …

Read More »

रविकांत की किताब और उनकी भाषा लीला

मीडिया की भाषा-लीला– यह इस साल की सबसे सुसज्जित पुस्तक है. प्रकाशक वाणी प्रकाशन है. रविकांत की यह हिंदी में पहली प्रकाशित पुस्तक है. महज इससे रविकांत का महत्व नहीं समझा जा सकता है. पिछले करीब तीन दशकों में इतिहासकार रविकांत ने दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी पढने वाले विद्यार्थियों को …

Read More »

इरशाद ख़ान सिकंदर की ग़ज़लें

असली नाम, छद्म नाम की बहसों से अलग कुछ अच्छी ग़ज़लें पढ़िए. इरशाद खान सिकंदर की गजलों की किताब आई है- आंसुओं का तर्जुमा. उसी anybook प्रकाशन से जिसने कुछ समय पहले जौन एलिया की किताब ‘गुमान’ छापी थी.  1. बन्द दरवाज़े खुले रूह में दाख़िल हुआ मैं चन्द सज्दों …

Read More »

मनोज कुमार पाण्डेय की कहानी ‘मदीना’

मनोज कुमार पाण्डेय समकालीन लेखकों में सबसे नियमित और निरंतर कुछ बेहतर लिखने के लिए जाने जाते हैं. उनकी यह नई कहानी भी इसी ताकीद करती है- मॉडरेटर  ========================================== गाँव में मेरा घर गाँव से थोड़ा परे हटकर था। पूरा गाँव जहाँ हरियाली और रास्ता था वहीं मेरे घर के आसपास …

Read More »

राकेश तिवारी के उपन्यास ‘तिराहे पर फसक’ का अंश

राकेश तिवारी का कहानी संग्रह कुछ समय पहले आया था- मुकुटधारी चूहा. अच्छी कहानियां थीं. उनके लेखन में एक अन्तर्निहित विट है जो पाठकों को बांधता है. यह उनके इस उपन्यास में भी दिखाई देता है. फसक कुमाऊंनी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ गप्प होता है. एक रोचक अंश …

Read More »

‘पिंक’ की आलोचना करना रिस्क उठाने जैसा है

‘पिंक’ फिल्म को लेकर एक अलग दृष्टिकोण से कुछ तार्किक सवाल उठाये हैं अभिनय झा ने- मॉडरेटर  ============================ मौज़ूदा धारा से थोड़ा हटकर “पिंक” सिनेमा की आलोचना करना मॉब लिंचिंग का शिकार होने का रिस्क लेने जैसा है, तब भी। वैसे आलोचना न कह कर दृष्टिकोण का अंतर कहना ठीक …

Read More »