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Prabhat Ranjan

पाइन को अंधेरे या मौत का चित्रकार कहा जाता था

आज जनसत्ता में प्रभाकर मणि तिवारी ने हम जैसे कलाज्ञान हीन लोगों को ध्यान में रखते हुए  गणेश पाइन पर इतना अच्छा लिखा है कि पढ़ने के बाद से आप लोगों से साझा करने के बारे में सोच रहा था. अब सोचा कर ही दिया जाए. आम तौर पर इस …

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‘दारा शिकोह’ पर एक दिलचस्प किताब.

दारा शिकोह इतिहास का एक ऐसा अभिशप्त चरित्र रहा है जिसको लेकर हिंदी में काफी लिखा गया है. एक नई किताब आई है ‘दारा शुकोह’ नाम से, प्रकाशक है हार्पर कॉलिंस. लेखक हैं नवीन पन्त. उसी किताब का एक अंश आज आपके लिए- जानकी पुल. ====================================== प्रारम्भिक वर्षों के दौरान …

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मैं सोना चाहता हूँ थोड़ी देर सब भूलना चाहता हूँ

युवा कविता में तुषार धवल की आवाज बेहद अलग है और अकेली भी. कविता के शिल्प और भाषा को लेकर तो वे लगातार प्रयोग करते रहते हैं. हर बार अक नया मुहावरा बनाते हैं फिर उसको तोड़ देते हैं. कंटेंट तो ‘पावरफुल’ होता ही है. इन दिनों वे लंबी कविताएँ …

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महान नहीं लेकिन जरुरी लेखक हैं नरेन्द्र कोहली

नरेन्द्र कोहली को व्यास सम्मान मिलने पर मेरा यह लेख आज के ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित हुआ है. नरेन्द्र कोहली कोई महान लेखक नहीं हैं लेकिन एक जरुरी लेखक जरुर हैं. ऐसा मेरा मानना है- प्रभात रंजन ===============      नरेन्द्र कोहली को वर्ष 2012 का व्यास सम्मान दिया गया …

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बन के सब चिल्ला पड़े- धिक्-धिक् है यह कौन!

नामवर सिंह की हस्तलिपि में मैंने पहली बार कुछ पढ़ा. रोमांच हो आया. इसका शीर्षक भले ‘एक स्पष्टीकरण’ है, लेकिन ऐसा लगता नहीं है कई यह किसी के लिखे विशेष के सन्दर्भ में दिया गया स्पष्टीकरण है. आप सब पढ़िए और निर्णय कीजिये- प्रभात रंजन. (नोट- साथ में, मूल पत्र …

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समय चुप रहने का नहीं बल्कि चुप रहकर बोलते जाने का है

ऋतु कुमार ‘ऋतु’। आप लोगों में से बहुत कम इस नाम से वाकिफ होंगे,उससे भी कम उसकी रची कविताओं से। उसके जीवन से तो सबसे कम। उसका परिचय और इतिहास इतना ही है कि वह उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में 29 मार्च 1970को जन्मा और 15 अगस्त 2009 को जिस्म की बंदिश से आजाद …

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हिंदी के मगध में मौलिकता की कमी नहीं है

विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) के भारतीय भाषा कार्यक्रम की तरफ से हिंदी में समाज-विज्ञान के क्षेत्र में मौलिक लेखन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘प्रतिमान’ नामक पत्रिका की शुरुआत की है, जिसके विद्वान संपादक हैं अभय कुमार दुबे. उनकी इस पहल का स्वागत करते हुए हम ‘प्रतिमान’ का …

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बायरन के शहर में हिंदी का सायरन

ब्रिटेन के शहर नॉटिंघम की संस्था ‘काव्यरंग’ द्वारा आयोजित ‘शब्दों का त्यौहार’ कार्यक्रम की जीवंत रपट प्रस्तुत कर रहे हैं. रिपोर्ट कथाकार तेजेन्द्र शर्मा ने लिखी है- जानकी पुल. =================================================== ‘काव्यरंग’ ब्रिटेन के शहर नॉटिंघम की अग्रणी संस्था है। हाल ही में इस संस्था ने नॉटिंघम की एशियन ऑर्ट्स काउंसिल के साथ …

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खेती-बाड़ी, कलम-स्याही और रेणु

आज हमारी भाषा के विलक्षण गद्यकार फणीश्वरनाथ रेणु का जन्मदिन है. उनको याद करते हुए यह आत्मीय गद्य लिखा है युवा लेखक गिरीन्द्रनाथ झा ने. आप भी पढ़िए और उस महान लेखक को याद कीजिये- जानकी पुल. ========  फणीश्वर नाथ रेणु …मेरे लिए यह नाम ही कथा है। ऐसी कथा, …

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नीलेश मिश्रा का ‘याद शहर’ और ‘क़िस्सा-ए-फ़ेसबुक’

Yaad Sheher with Neelesh Misra … यह हिंदुस्‍तान के हिंदी भाषी युवा लोगों का पसंदीदा रेडियो शो है। यह शो हिन्दुस्तान के लाखों-करोड़ों विस्थापितों की यादों का शहर है, वह शहर जहां से एक दिन वे झोला उठाकर निकल पड़े थे. उसकी छोटी-छोटी बातें, छोटी-छोटी यादें बहुत खूबसूरती से सुनाते हैं …

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