Home / लेख (page 44)

लेख

अंतरराष्ट्रीय गोरैया दिवस और ‘दाना-पानी’

आज अंतरराष्ट्रीय गोरैया दिवस है. शहरों में गोरैया गायब होती जा रही हैं. हमारा जीवन प्रकृति से दूर होता जा रहा है. अन्तरराष्ट्रीय गोरैया दिवस के माध्यम से इसी तरफ हमारा ध्यान दिलाने की कोशिश की जाती है. दिल्ली में ‘दाना-पानी’ नामक एक संस्था है जो चिड़ियों के साथ इंसान …

Read More »

योगी आदित्यनाथ पर शशिशेखर की टिप्पणी

कल जब योगी आदित्यनाथ को यूपी का मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा हुई तो उसके बाद से उनको लेकर काफी कुछ लिखा गया. बहुत सारा मैंने पढ़ा भी. लेकिन ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ के संपादक शशिशेखर ने आज अखबार में पहले पन्ने पर जो ‘त्वरित टिप्पणी’ की वह सबसे संतुलित लगा और …

Read More »

ऐसा नॉवेल, जिसे पढ़ने के लिए उर्दू सीखी जा सकती है

पिछले साल उर्दू में एक किताब छपी थी। नाम है- रोहज़िन, जो रहमान अब्बास का लेटेस्ट नॉवेल है। ग़ौर करने लायक बात ये है कि छपने से लेकर आज तक इस किताब ने उर्दू की गलियों में धूम मचा रखी है। किताब से गुज़रते हुए कई बातें ख़याल में आती …

Read More »

अज्ञेय का दुर्लभ और अप्राप्य निबंध ‘पानी का स्वर’

रज़ा फाउंडेशन, दिल्ली की एक लघु परियोजना के अन्तर्गत कवि-सम्पादक मित्र पीयूष दईया हिन्दी और अंग्रेजी भाषा की अप्राप्त रचना-सामग्री एकत्र कर रहे हैं—-विभिन्न विद्यानुशासनों और विधाओं की रचनाएँ। इसी सिलसिले में उन्हें अज्ञेय जी के कुछ आलेख मिले हैं। उन्हीं में से एक अप्राप्त निबन्ध जो (आजकल’ में प्रकाशित …

Read More »

‘उर्दू की आखिरी किताब’ और उर्दू व्यंग्य की परम्परा

संजय गौतम कम लिखते हैं लेकिन मानीखेज लिखते हैं. उदाहरण के लिए यही लेख जिसमें इब्ने इंशा की किताब ‘उर्दू की आखिरी किताब’ के बहाने उर्दू व्यंग्य की परम्परा का दिलचस्प जायजा लिया गया है- जानकी पुल. ================== व्यंग्य विधा में समकालीनता एवं उपयोगिता का प्रश्न (‘उर्दू की आख़िरी किताब’ …

Read More »

पुरबिया उस्ताद ‘महेंदर मिसिर’ पर निराला बिदेसिया का लेख

आज भोजपुरी गीतों में पुरा-नायक का दर्जा रखने वाले महेंदर मिसिर की जयंती है. निराला बिदेसिया का यह लेख उनको बहुत अच्छी तरह से याद करता है. उनके महत्व को रेखांकित करता है- मॉडरेटर ======================================= भ्रम और भंवरजाल में फंसे भोजपुरी के एक बड़े पुरोधा महेंदर मिसिर का आज जन्मदिन …

Read More »

भगवा जीता इस फगवा में, गावे गाम भदेस। जोगीरा सा रा रा रा।”

होली पर स्पेशल चिट्ठी नॉर्वे से डॉ. व्यंग्यकार प्रवीण कुमार झा की आई है. भगवा के फगवा की चर्चा वहां भी है. कवि कक्का पूरे रंग में हैं- मॉडरेटर ==================== कवि कक्का आज रंग में हैं। पिछले महिने ही अपना वामपंथी लाल जनेऊ बदल कर केसरिया जनेऊ किया, और होली …

Read More »

होली सिर्फ हिन्दुओं का नहीं हिन्दुस्तान का पर्व है- अब्दुल बिस्मिल्लाह

होली का पर्व अलग अलग रंगों के एक हो जाने का पर्व है. इसे पहले धर्म से जोर कर नहीं देखा जाता था. प्रसिद्ध लेखक अब्दुल बिस्मिल्लाह के इस लेख से यही पता चलता है- मॉडरेटर =========================== बनारस की होली का हाल सुनिए, यहाँ, यानी दिल्ली में तो रंग खेलने …

Read More »

देशभक्ति सबसे बड़ी भक्ति होती जा रही है!

बंद कमरों की सुविधा से बाहर निकलने पर बार-बार इस बात का अनुभव होता है कि हवाओं में देशभक्ति का रंग घुलता जा रहा है. खासकर जो युवा आबादी है वह देशप्रेम को सबसे बड़ा प्रेम मानने लगी है. मुझे उन उपन्यासों की याद आती है जो स्वतंत्रता संघर्ष की …

Read More »

स्त्री और पुरुष सामाजिक ग़ैर बराबरी को ख़त्म कर अपने हक़ों के साथ रह पाएंगे?

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विभावरी का यह लेख कुछ महत्वपूर्ण सवालों को उठाने वाला है- मॉडरेटर ===================================================== ऐसे समय में जब दुनिया में लोकतंत्र की रहनुमाई करने वाली सबसे बड़ी संस्था के बतौर ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ इस वर्ष के ‘महिला दिवस’ को ‘प्लैनेट 50-50 बाय 2030’ कैम्पेन के तहत ‘वूमेन …

Read More »