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हिंदी सिनेमा का शुरूआती ज़माना और बाइयों का फ़साना

आज यतीन्द्र मिश्र का जन्मदिन है. मुझे 15-16 साल पहले का वह दौर याद आ रहा है जब यतीन्द्र की किताब ‘गिरिजा’ आई थी. गायिका गिरिजा देवी पर लिखी वह किताब हिंदी में अपने ढंग की पली ही किताब थी. बड़ी धूम मची थी. तब मैं लेखक नहीं वेखक था. …

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गोपेश्वर सिंह का लेख ‘भोजपुरी के पहिलका सोप आपेरा लोहा सिंह

आज अन्तरराष्ट्रीय रंगमंच दिवस पर रामेश्वर सिंह काश्यप के नाटक ‘लोहा सिंह’ की याद आई. लोहा सिंह के लहजे की नक़ल प्रकाश झा निर्देशित धारावाहिक ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने’ में भी दिखाई दी थी. मनोहर श्याम जोशी के नेताजी कहिन में भी लोहा सिंह का लहजा दिखाई देता था. लोहा …

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मोहन राकेश का निबंध ‘नाटककार और रंगमंच’

आज अंतरराष्ट्रीय रंगमंच दिवस है. इस अवसर पर आज मोहन राकेश का यह प्रसिद्ध लेख जिसमें उन्होंने नाटककार के नजरिये से रंगमंच को देखने की कोशिश की है. उनके उठाये सवाल आज भी प्रासंगिक लगते हैं- मॉडरेटर =================================================== और लोगों की बात मैं नहीं जानता, केवल अपने लिए कह सकता …

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हैव अ हैल्दी डाइट एन्ड हैप्पी लाइफ़!

बारहवीं कक्षा में पढने वाली जूही ने भारत में खानपान के बदलते अंदाज पर यह लेख लिखा है. अच्छा है. पढियेगा- मॉडरेटर ======= खान-पान भारतीयों के लिए सिर्फ़ ज़रूरत नहीं, जुनून भी है, जो वक्त के साथ बढ़ता और बदलता जा रहा है। हिंदुस्तानी खाना स्वाद और सुगंध का रसीला …

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‘कौन दिसा में लेके चला रे…’

पिछले दिनों इंडियन आइडोल में एक सरदार प्रतिभागी को गाते देख मुझे हिन्दी फ़िल्मों के उस भुला दिए गये सरदार गायक की याद हो आई जिसके गीत दो मौक़ों पर हम स्वयमेव गा बैठते हैं। होली के पर्व पर ‘जोगी जी धीरे–धीरे // नदी के तीरे–तीरे‘ गीत और किसी सफ़र …

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क्या हिंदी अदालतों के कामकाज की भाषा बनने जा रही है?

अनन्त विजय विचारोत्तेजक लेख लिखते हैं, हिंदी की भावना, संवेदनाओं को जगा देते हैं. यह लेख बहुत अच्छी तरह से इस बात को सामने रखता है कि अदालतों का कामकाज देशी भाषाओं में हो इसके लिए क्या प्रयास हुए हैं और हाल में किस कारण से ऐसा लग रहा है …

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दरियागंज की 21 नम्बर गली ब्रजेश्वर मदान और सुरेन्द्र मोहन पाठक!

दरियागंज की 21 नंबर गली के सामने से जब भी गुजरता हूँ मुझे 90 के दशक के आरंभिक वर्षों के वे दिन याद आ जाते हैं जब इस गली का आकर्षण मेरे लिए बहुत अधिउक होता था. वहां दीवान पब्लिकेशन्स का दफ्तर था, जहाँ से फ़िल्मी कलियाँ नामक पत्रिका का …

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अंतरराष्ट्रीय गोरैया दिवस और ‘दाना-पानी’

आज अंतरराष्ट्रीय गोरैया दिवस है. शहरों में गोरैया गायब होती जा रही हैं. हमारा जीवन प्रकृति से दूर होता जा रहा है. अन्तरराष्ट्रीय गोरैया दिवस के माध्यम से इसी तरफ हमारा ध्यान दिलाने की कोशिश की जाती है. दिल्ली में ‘दाना-पानी’ नामक एक संस्था है जो चिड़ियों के साथ इंसान …

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योगी आदित्यनाथ पर शशिशेखर की टिप्पणी

कल जब योगी आदित्यनाथ को यूपी का मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा हुई तो उसके बाद से उनको लेकर काफी कुछ लिखा गया. बहुत सारा मैंने पढ़ा भी. लेकिन ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ के संपादक शशिशेखर ने आज अखबार में पहले पन्ने पर जो ‘त्वरित टिप्पणी’ की वह सबसे संतुलित लगा और …

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ऐसा नॉवेल, जिसे पढ़ने के लिए उर्दू सीखी जा सकती है

पिछले साल उर्दू में एक किताब छपी थी। नाम है- रोहज़िन, जो रहमान अब्बास का लेटेस्ट नॉवेल है। ग़ौर करने लायक बात ये है कि छपने से लेकर आज तक इस किताब ने उर्दू की गलियों में धूम मचा रखी है। किताब से गुज़रते हुए कई बातें ख़याल में आती …

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