Home / ब्लॉग (page 126)

ब्लॉग

जिंदगी अपनी जब इस रंग से गुजरी ‘ग़ालिब’

मौलाना अल्ताफ हुसैन ‘हाली’ की किताब ‘यादगारे ग़ालिब’ को ग़ालिब के जीवन और उनकी कविता पर लिखी गई आरंभिक किताब में शुमार किया जाता है. हाली ने १८५४ से १८६९ तक यानी उनके जीवन के आखिरी दौर तक को बहुत करीब से देखा था. इसी कारण ‘यादगारे ग़ालिब’ को महत्वपूर्ण किताबों …

Read More »

राजेंद्र राजन की कविता ‘मनुष्यता के मोर्चे पर’

रघुवीर सहाय कहते थे कि जब मैं कविता सुनाकर हटूं तो सन्नाटा छा जाए. वरिष्ठ कवि-पत्रकार राजेंद्र राजन की इस कविता का मेरे ऊपर कुछ ऐसा ही असर हुआ. इसलिए बिना किसी भूमिका के यह कविता- जानकी पुल. मैं जितने लोगों को जानता हूं उनमें से बहुत कम लोगों से …

Read More »

उदय प्रकाश की कहानी ‘खंडित स्त्रियां, नेहरूजी और अस्ताचल’

उदय प्रकाश की कहानियों का जितना प्रभाव समकालीन कथा-धारा पर पड़ा है उतना शायद किसी और लेखक का नहीं. उनकी कहानियों में निजी-सार्वजनिक का द्वंद्व, व्यवस्था विरोध का मुहावरा इतनी सहजता से आया है कि वे कहानियां अपने समय-समाज के प्रति कुछ कहती भी हैं और उनके अंधेरों में झांकने …

Read More »

उदय प्रकाश को साहित्य अकादमी पुरस्कार

खबर आई है कि हमारे दौर के सबसे चर्चित लेखक उदयप्रकाश को साहित्य अकादेमी का पुरस्कार मिल गया है. जानकी पुल की ओर से उनको बधाई. इस अवसर पर प्रस्तुत हैं उनकी कुछ कविताएँ. १. आंकड़े अब से तकरीबन पचास साल हो गए होंगे जब कहा जाता है कि गांधी …

Read More »

नवसाम्राज्यवाद पूरी दुनिया के लिए खतरा है

समाजवादी नेता-विचारक सुरेन्द्र मोहन से यह बातचीत युवा पत्रकार विनीत उत्पल ने की थी जो प्रभात खबर में ११ दिसंबर २००५ को प्रकाशित हुआ था. हमारे कहने पर विनीत ने तत्परतापूर्वक इसे उपलब्ध करवाया. सुरेन्द्र मोहन जी को श्रद्धांजलि स्वरुप यह बातचीत प्रस्तुत है- जानकी पुल.  जनता में इतनी शक्ति …

Read More »

प्रेम बचा रहता है थोड़ा सा पानी बनकर

प्रियदर्शन की कविताओं में किसी विराट का प्रपंच नहीं है, उनमें छोटे-छोटे जीवनानुभव हैं, उसकी जद्दोजहद है, बेचैनी है. इसीलिए वह अपने करीब महसूस होती है. उनका अपना काव्य-मुहावरा है जो चिंतन की ठोस ज़मीन पर खड़ा है. प्रस्तुत है उनकी कविताएँ- जानकी पुल.  1. तोड़ना और बनाना बनाने में …

Read More »

विकीलिक्स के खुलासों पर मारियो वर्गास ल्योसा का बयान

इस साल साहित्य के नोबेल पुरस्कार प्राप्त लेखक मारियो वर्गास ल्योसा अपने जीवन, लेखन, राजनीति सबमें किसी न किसी कारण से विवादों में रहते आये हैं. इस बार उन्होंने विकीलिक्स के खुलासों पर अपनी जुबान खोली है. इन दिनों वे स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में नोबेल पुरस्कार समारोह के लिए …

Read More »

जलते हुए मकान में कुछ लोग

हिंदी के विद्रोही रचनाकार राजकमल चौधरी का आज जन्मदिन है. महज ३७ साल की उम्र में गुजर जाने वाला यह लेखक हिंदी कहानी को उस वर्जित प्रदेश तक लेकर गया जिसकी कहानियां हिंदी में तब तक नहीं लिखी गई थीं. ऐसी ही एक कहानी प्रस्तुत है- जानकी पुल. इस बात …

Read More »

मैं अभी तक एक आधी लिखी हुई किताब हूँ

हिंदी सिनेमा के सर्वकालिक महान अभिनेताओं में से एक दिलीप कुमार का आज जन्मदिन है. उन्होंने बरसों पहले एक लेख अंग्रेजी में लिखा था “my two worlds”. उसी का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत है- जानकी पुल. “तुम दूसरों की तरह क्यों नहीं रहे, हवा से बातें करती गाड़ियों के आराम में डूब जाओ, …

Read More »

माँ मिथिले, यह अंतिम प्रणाम

यह बताने की आवश्यकता नहीं लगती है कि नागार्जुन वैद्यनाथ मिश्र के नाम से मैथिली में कविताएँ लिखते थे और उनको साहित्य अकादमी का पुरस्कार मैथिली के कवि के रूप में ही मिला था. उनकी जन्मशताब्दी के अवसर पर उनकी कुछ मैथिली कविताओं का अनुवाद युवा कवि त्रिपुरारि कुमार शर्मा …

Read More »