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फौज़िया रेयाज़ की कहानी ‘ख़ुशी की तलाश’

सच बताऊँ तो समकालीन मध्यवर्गीय जीवन की जद्दोजहद हिंदी के लेखक कहाने वाले लेखकों में अब कम दिखाई देती है. सब एक तरह के फॉर्मुले में फँस जाते हैं, अपने ही बनाए दायरे में. फौज़िया रेयाज़ की यह कहानी पढ़ते हुए यह विचार आये. पेशे से रेडियो जौकी हैं, कॉपी राइटर …

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ईश्वर तक जाने वाली पहली राह है प्रार्थना और दूसरी आनंद!

गीताश्री का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. बस इतना और याद दिलाता चलूँ कि पत्रकारिता, संपादकी की तमाम जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए उन्होंने कहानियां भी लिखी हैं, जीवन और जमीन पर जुड़ी कहानियां. उनका एक कहानी संग्रह ‘प्रार्थना के बाहर और अन्य कहानियां’ वाणी प्रकाशन से प्रकाशित …

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बिसरे संगीतकार की भूली याद

भारतीय सिनेमा के सुनहरे संगीतमय दौर के “वो तेरे प्यार का गम, एक बहाना था सनम” और ”जिक्र होता है जब कयामत का तेरे जलवों की बात होती है” का कालजयी संगीत रचने वाले संगीतकार दान सिंह कभी गायकों और गीतकारों के चहेते रहे तो कभी गुमनामी में रहे, पर जिसने भी ऐसे गीतों को …

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मैं साहित्य की एक्स्ट्रा कैरीक्यूलर एक्टीविटीज़ में बहुत कमजोर रहा

13 सितम्बर को दिवंगत कवि भगवत रावत की जयंती थी. जीवन की आपाधापी में हम इतने उलझ गए हैं कि सही समय पर हम अपने वरिष्ठों को याद भी नहीं कर पाते. बहरहाल, आज उनकी स्मृति को प्रणाम करते हुए उनके एक पुराने साक्षात्कार का सम्पादित रूप दे रहे हैं …

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जो मेरी रचना का मित्र नहीं वह मेरा मित्र नहीं!

आज हिंदी दिवस है लेकिन बजाय रोने ढोने के या ‘जय हिंदी! जय हिंदी!’ का झंडा उठाने के बजाय आज पढ़ते हैं हिंदी की आलोचना को लेकर कवि-लेखक, ‘समालोचन’ जैसे सुपरिचित ब्लॉग के मॉडरेटर अरुण देव के विचार- मॉडरेटर. ==========================  १. हिंदी के आदि संपादक आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी जब रेलवे …

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पैशन, फ़न, रोमांस, लाइफ़ और लव की तलाश है ‘फाइडिंग फ़ैनी’

प्रसिद्ध लेखिका अनु सिंह चौधरी सिनेमा पर बहुत बारीकी से लिखती हैं, पढ़नेवालों को फिल्म फ्रेम दर फ्रेम समझ में आने लगती है. अब देखिए कल रिलीज हुई फिल्म ‘फाइंडिंग फैनी’ पर लिखते हुए उन्होंने फिल्म के अन्य पहलुओं के साथ-साथ फिल्म में इस्तेमाल किये गए प्रॉप तक की चर्चा …

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मुक्तिबोध अचानक क्यों लोकप्रिय हो उठे?

आज हिंदी के युगांतकारी कवि मुक्तिबोध की 50 वीं पुण्यतिथि है. आज उनको याद करते हुए प्रसिद्ध आलोचक, राजनीतिक विश्लेषक, ‘आलोचना‘ पत्रिका के संपादक प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद ने ‘जनसत्ता‘ और ‘इन्डियन एक्सप्रेस‘ में दो बहुत अच्छे लेख लिखे हैं, मुक्तिबोध की कविता, उनके विचारों और उनकी प्रासंगिकता को लेकर उन्होंने कुछ बहसतलब …

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नीलाभ की कुछ नई कविताएं

नीलाभ को हम हिंदी वाले कई रूपों में जानते हैं, लेकिन उनका स्थायी भाव कविता ही है. बहुत दिनों बाद मन भर कविताएं पढ़ी नीलाभ की, जिनमें से चुनिन्दा आपसे साझा कर रहा हूँ. आनंद लीजिये- प्रभात रंजन  ================ ण्त्थितिहुयणि जंच णहुदिट्ठु तुम्हेहिंवि जंन सुअविअडबन्धु सुच्छन्दुसरसउ णिसुणेविणुको रहइललियहीणु मुक्खाहफरसउ तोदिग्गिच्चिय …

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एक कस्बे के नोट्स: स्मृतियों का कोलाज

अभी दो दिन पहले लेखिका नीलेश रघुवंशी को शैलप्रिया स्मृति सम्मान दिए जाने की घोषणा हुई है. 2012 में उनका उपन्यास प्रकाशित हुआ था ‘एक कस्बे के नोट्स’. प्रसिद्ध आलोचक रोहिणी अग्रवाल ने उस उपन्यास पर बहुत अच्छा लेख लिखा है. आप भी पढ़िए और उनको बधाई दीजिए- मॉडरेटर. ========================================================== रोमान …

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नीलेश रघुवंशी को 2014 का शैलप्रिया स्मृति सम्मान

नीलेश रघुवंशी जानी-मानी कवयित्री हैं और 2012 में प्रकाशित उनके उपन्यास ‘एक कस्बे के नोट्स’ की काफी चर्चा हुई थी. उनको जानकी पुल की ओर से ‘शैलप्रिया स्मृति सम्मान’ की बधाई- मॉडरेटर.========================================================== शैलप्रिया स्मृति न्यास की ओर से द्वितीय शैलप्रिया स्मृति सम्मान सुख्यात लेखिका नीलेश रघुवंशी को देने की घोषणा …

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