Home / ब्लॉग (page 45)

ब्लॉग

पामेला एंडरसन की कविता हिंदी अनुवाद में

किसे ख़बर थी कनेडियाई अदाकारा—पामेला एंडरसन—ज़िंदगी के कई रंगों में नहाने के बाद, हाल में ही दूसरी बार तलाक के बाद कविता की ओट में आ खड़ी होगी। हाल में पामेला ने एक लम्बी कविता लिखी है, जिसमें जीवन का भोगा हुआ यथार्थ और सच का नंगा सियाह रूप दिखाई …

Read More »

अकथ का आश्चर्यलोक : ‘अँधेरे में’

मुक्तिबोध आधुनिक हिंदी कविता के गुरु हैं. आज उनकी कविता ‘अँधेरे में’ पर लिखा यह आत्मीय लेख पढ़ते हैं. लिखा है विदुषी कवयित्री सविता सिंह ने- मॉडरेटर. ==================================== जब मैं कविता लिखने लगी अँधेरा मेरे लिए रहस्य नहीं रह गया। अकसर रात में ही लिखती। रात अपने कई रूपों का …

Read More »

दिल का एक सितारा चला गया है

अभी कुछ दिन पहले ही 30 अगस्त को हिंदी सिनेमा के अमर गीतकार शैलेन्द्र की जयंती थी. उनका और राज कपूर का रिश्ता अटूट माना जाता था. फिल्म समीक्षक सैयद एस. तौहीद ने इसी बात की याद दिलाने के लिए यह सौगात भेजी है हम पाठकों के लिए कि राज …

Read More »

समेकित भारतीय साहित्य की अवधारणा – के. सच्चिदानंदन

उमेश कुमार सिंह चौहान हिंदी के समर्थ कवि ही नहीं हैं, वे हिंदी के उन दुर्लभ लोगों में हैं जिन्होंने अन्य भारतीय भाषाओं और हिंदी के बीच पुल बनाया है. मलयालम साहित्य की समृद्ध परंपरा का ज्ञान हम हिंदी वालों को अगर थोड़ा बहुत है तो उसमें बहुत बड़ा योगदान …

Read More »

लड़कियां तरह-तरह से बचाए रखती हैं अपना प्रेम

‘लव जेहाद’ के बहाने ये कविताएं लिखी जरूर गई हैं मगर ये प्रेम की कवितायेँ हैं, उस प्रेम की जिसके लिए भक्त कवि ‘शीश उतार कर भूईं धरि’ की बात कह गए हैं. ये कवितायेँ प्रासंगिक भी हैं और शाश्वत भी. प्रियदर्शन की कविताई की यह खासियत है कि वे …

Read More »

इतिहास की सही समझ के सिद्धांतकार

आज प्रसिद्ध इतिहासकार बिपिन चन्द्रा को श्रद्धांजलि देते हुए प्रोफ़ेसर राजीव लोचन ने ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में बहुत अच्छा लेख लिखा है. जिन्होंने न पढ़ा हो उनके लिए- मॉडरेटर  ============================================= पिछले 50 साल में शायद ही इतिहास का कोई ऐसा छात्र होगा, जिसने बिपिन चंद्रा द्वारा लिखी हुई किताबें न पढ़ी …

Read More »

विस्मय और चमत्कार : विश्व सिनेमा में अद्भुत रस की फिल्में

आइआइटी पलट युवा लेखक प्रचण्ड प्रवीर को कुछ लोग ‘अल्पाहारी गृहत्यागी'(हार्पर कॉलिन्स) उपन्यास के कारण जानते हैं, आजकल मैं उनको विश्व सिनेमा पर लिखी इस लेखमाला के कारण जान रहा हूँ, जिसमें उन्होंने रसों के आधार पर विश्व सिनेमा की विशेषताओं को रेखांकित करने का काम किया है. आज अद्भुत …

Read More »

अविनाश मिश्र की कविताएं

हरेप्रकाश उपाध्याय के संपादन में निकली पत्रिका ‘मंतव्य’ की वाह-वाह हो रही है लेकिन यह लिखने वाले कम लोग हैं कि इस पत्रिका में छपी रचनाओं में अच्छा क्या है. सोशल मीडिया की वाह-वाह ऐसी ही होती है. बहरहाल, इस पत्रिका पर मैं विस्तार से बाद में लिखूंगा. पहले युवा …

Read More »

आत्मालोचन के खाद-पानी से मनुष्य-धर्म समृद्ध होता है

यु. आर. अनंतमूर्ति के उपन्यास ‘संस्कार’ को कन्नड़ भाषा के युगांतकारी उपन्यास के रूप में देखा जाता है, वह सच्चे अर्थों में एक भारतीय उपन्यास माना जाता है, जिसने भारतीय समाज के मूल आधारों पर सवाल उठाया. उनको श्रद्धांजलिस्वरूप उस उपन्यास पर प्रसिद्ध आलोचक रोहिणी अग्रवाल का यह लेख- मॉडरेटर  ================================================================ …

Read More »

मल को कमल बनानेवाले पुराणकार आचार्य रामपदारथ शास्त्री की जय हो!

आलोचक संजीव कुमार इन दिनों किसी ‘सबलोग’ नामक पत्रिका में व्यंग्य का एक शानदार स्तम्भ लिखते हैं ‘खतावार’ नाम से. अब चूँकि वह पत्रिका कहीं दिखाई नहीं देती है इसलिए हमारा कर्त्तव्य बनता है कि अनूठी शैली में लिखे गए इन व्यंग्य लेखों को आप तक पहुंचाएं. यह नया है …

Read More »