हृषिकेश मुखर्जी की सिनेमाई के अनेक अनछुए पहलुओं को लेकर दिलनवाज ने बहुत अच्छा लेख लिखा है- जानकी पुल. ======= मध्यवर्गीय मनोदशाओं के संवेदनशील प्रवक्ता हृषिकेश मुखर्जी हिंदी सिनेमा में विशेष महत्व रखते हैं। सामान्य मुख्यधारा से एक स्तर ऊंचा मुकाम रखती हैं हृषिदा की फ़िल्में। उनका सिनेमा एक रचनात्मक …
Read More »मुझे वेरिफाई करके लिखना चाहिए था- विष्णु खरे
विष्णु खरे जी के लेख पर अशोक वाजपेयी जी ने एक कमेन्ट किया था. आज विष्णु खरे का एक पत्र उस कमेन्ट के सन्दर्भ में प्राप्त हुआ, जिसे हम अविकल यहां प्रस्तुत कर रहे हैं- जानकी पुल. ========================================================== भाई, तथ्यों की ग़लतियों को मैं भी नज़रंदाज़ नहीं करता। मैं अभी …
Read More »जनरल ये जो तुम्हारा टैंक है पूरे जंगल को रौंद सकता है
कथाकार ओमा शर्मा को हाल में ही रमाकांत स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उस अवसर पर उन्होंने जो वक्तव्य दिया था आज आपके लिए प्रस्तुत है- जानकी पुल. ========================================= मैं रमाकांत स्मृति पुरस्कार की संयोजन समिति और इस वर्ष के निर्णायक श्री दिनेश खन्ना का अभारी हूं जिन्होंने इस …
Read More »जब इंडिया गेट के माथे पर मोमबत्तियाँ जलती हैं
युवा कवि त्रिपुरारि कुमार शर्मा की ये कविताएँ हमें कुछ सोचने के लिए विवश कर देती हैं, हमारी मनुष्यता पर सवाल उठती हैं- जानकी पुल. ============================ 1. वाल ऑफ़ डेमोक्रेसी जब इंडिया गेट के माथे पर मोमबत्तियाँ जलती हैं तो उसकी सुगंध में सनक उठता है ‘जंतर-मंतर’ …
Read More »जो न फरेब खाते हैं न फरेब देते हैं
वरिष्ठ कवि-आलोचक विष्णु खरे ने चंद्रकांत देवताले के साहित्य अकादेमी सम्मान पर एक अच्छी टिप्पणी की है, हालांकि अपनी खास कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना शैली में- जानकी पुल. =============================================== अब जबकि मेरे दोनों प्रिय वरिष्ठ कवियों विनोदकुमार शुक्ल और चंद्रकांत देवताले को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुका है, …
Read More »देश के साथ मेरे बेटे ने भी प्रश्न पूछना शुरू कर दिया है
युवा कवि रविभूषण पाठक ने नए साल की बधाई कुछ इस तरह से दी है- जानकी पुल. ========================================================= नया साल भी बेमौका ही आता है जबकि पछता फसल भी पहुंच जाती है घर खलिहान में चूहों तक के लिए दाने नहीं और देश गोबर में से भी दाना निकाल चुका …
Read More »दोस्ती के रंग – यादवी के ढंग
प्रसिद्ध लेखिका अर्चना वर्मा का यह लेख राजेंद्र यादव की पुस्तक ‘स्वस्थ आदमी के बीमार विचार’ के सन्दर्भ में लिखा गया है- जानकी पुल. ======================== सुना है, राजेन्द्र जी से ही, कि महाभारत को मराठी में ‘यादवी’ कहते हैं और कुछ नंगई कुछ गुण्डई के अर्थ में ‘यादवी‘ मचा के रखना …
Read More »उम्मीदों के चराग गलियों में रोशन हो रहे हैं
बीते साल की दस प्रमुख नाट्य प्रस्तुतियों पर लिखा है युवा आलोचक-शोधार्थी अमितेश कुमार ने- जानकी पुल. ======= ======= साल का अंत एक दुखद नोट के साथ हुआ लेकिन उम्मीदों के चराग गलियों में रोशन हो रहे है. दिल्ली के जंतर मंतर और दुर्भेध बना दिया गए इंडिया गेट के अलावा …
Read More »संवादहीनता एक बड़ी समस्या न बन जाए
दिल्ली में सामूहिक बलात्कार के बाद शुरु हुए आंदोलन को लेकर वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र धोड़पकर ने बहुत बहसतलब लेख लिखा है- जानकी पुल. ========================= राजनीति और समाज के बारे में भविष्यवाणी करना खतरनाक होता है। जब देश में टेलीविजन और संचार साधनों की आमद हुई, तो समाजशास्त्रियों व कुछ राजनीतिज्ञों …
Read More »यह इरादतन हत्या जैसा है
दिल्ली की सामूहिक बलात्कार की घटना पर आज वरिष्ठ लेखिका मृदुला गर्ग का यह लेख- जानकी पुल. ========================================================== हमारे समाज में महिलाओं के साथ इस तरह के जघन्य अपराधों की एक परंपरा रही है. ये अलग बात है कि पहले पीड़ित और उनके परिजन शिकायत दर्ज कराने से डरते थे. …
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