हृषीकेश सुलभ हिंदी की वरिष्ठ पीढ़ी के सबसे प्रासंगिक लेखकों में है. मेरी नजर में बड़ा लेखक वह नहीं होता जो अपने समय में दो-चार अच्छी कहानियां लिखकर खुद को कालजयी समझने लगता है. बड़ा लेखक वह होता है जो हर दौर में समकालीन बना रहता है. बदलते समय के अनुसार …
Read More »सुशील कुमार भारद्वाज की कहानी ‘उस रात’
सुशील कुमार भारद्वाज ने हाल कई अच्छी कहानियां लिखी हैं. अभी किन्डल ईबुक से उनकी कहानियों का संकलन जनेऊ आया है. यह उनकी एक नई कहानी है- मॉडरेटर =============================== उस रात दिल और दिमाग दोनों में ही भयंकर हलचल मचा हुआ था.नैतिकता और जिम्मेवारी के सवाल अंदर तक धंसे हुए …
Read More »नबीना दास की गद्य कविताएँ
हिंदी में गद्य कविता एक ऐसी विधा है, जिसे अभी एक्सप्लोर किया जाना बाक़ी है। कुछ लोग कभी-कभार हाथ आज़माते रहते हैं। लेकिन दूसरी भाषाओं में ये काम निरंतर हो रहा है। कभी कभी ख़याल आता है कि अगर अनुवाद की सुविधा न होती, तो हम अपनी ज़िंदगी में कितनी …
Read More »इरशाद ख़ान सिकन्दर की कहानी ‘मंडी हाउस’
इरशाद खान सिकंदर नई नस्ल के कुछ अच्छे शायरों में एक हैं. नहीं पता था कि वे कहानियां भी लिखते हैं. उनकी एक कहानी उनकी पुरखुलूस शायराना जुबान में- मॉडरेटर ============== हवा– मैं मंडी हाउस की हवा हूँ और राही मासूम रज़ा के “समय” की छोटी बहन हूँ, मंडी हाउस …
Read More »जगजीत की आवाज़ एक ज़गह थी जहाँ छुपा जा सकता था
आज जेपी और अमिताभ बच्चन का जन्मदिन है लेकिन जगजीत सिंह पर विमलेन्दु के लिखे इस लेख को पढवाने का लोभ अधिक है. जगजीत सिंह की पुण्यतिथि कल थी – मॉडरेटर ======================================================== मंगलेश डबराल की कविता ‘ छुपम-छुपाई ‘ की एक पंक्ति है—“ आवाज़ भी एक ज़गह है, जहां छुपा …
Read More »संवाद युग में रेणु के संवदिया की याद
कल विश्व डाक दिवस था. मुकुल कुमारी अमलास ने उसी बहाने संवदिया पर यह लेख लिखा है- मॉडरेटर ====================================================== कल फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी संवदिया पढ़ रही थी। पढ़ कर आँखों में आँसू आ गये और मैं उनके सामने नतमस्तक हो गई। रेणु जी के बारे में …
Read More »सीता की विद्रोह कथा और ‘मैं जनक नंदिनी’
आशा प्रभात जी के उपन्यास ‘मैं जनकनंदिनी’ पर मेरी यह समीक्षा ‘कादम्बिनी’ में आई है- प्रभात रंजन ==================================================== मिथक सतत कथाओं को तरह होती हैं। हर युग उन कथाओं को अपने युग सन्दर्भों के अनुकूल बनाकर अपना लेती है। इसीलिए देवी-देवताओं की कथाओं की अनंत कथाएं लिखी जाती रही …
Read More »युवा शायर #23 वर्षा गोरछिया की नज़्में
युवा शायर सीरीज में आज पेश है वर्षा गोरछिया की नज़्में – त्रिपुरारि ====================================================== नज़्म-1 तुम आओ एक रात कि पहन लूँ तुम्हें अपने तन पर लिबास की मानिंद तुम को सीने पे रख के सो जाऊँ आसमानी किताब की मानिंद और तिरे हर्फ़ जान-ए-जाँ ऐसे फिर मिरी रूह में …
Read More »‘न्यूटन’ फिल्म नही एक पूरी की पूरी विचार प्रक्रिया है
‘न्यूटन’ फिल्म जब से आई है लगातार चर्चा में बनी हुई है. आज युवा लेखक नवल किशोर व्यास का लेख पढ़िए- मॉडरेटर ============= अमित मसूरकर की फिल्म न्यूटन का विचार अदभुत और पावन है। यह लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव कहे जाने वाले चुनाव और देश के दूरदराज, मुख्य धारा …
Read More »गांधी कभी न खत्म होने वाले द्वंद्व का नाम है
आज दिन भर हम महात्मा गांधी को याद करते रहे. अब शाम में पढ़िए युवा लेखक विमलेन्दु का यह लेख. ================================================= गांधीजी की सांस्कृतिक उपस्थिति इतनी ज़बरदस्त है हमारे बीच कि एक आम भारतीय भी, जिसने गांधी को व्यवस्थित ढंग से नही भी पढ़ा है, उन पर बोलने का हक …
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