गौतम राजऋषि सेना में कर्नल हैं. ‘पाल ले इक रोग नादां’ जैसे चर्चित ग़ज़ल संग्रह के शायर हैं. यह कहानी कश्मीर की पृष्ठभूमि में सेना के मानवीय चेहरे को दिखाती है. बहुत मार्मिक कहानी- मॉडरेटर ======================================= वो आज फिर से वहीं खड़ी थी। झेलम की बाँध के साथ-साथ चलती ये …
Read More »चैप्लिन इस दुनिया के पिछवाड़े पर पड़ी हुई एक लात हैं
आज चार्ली चैपलिन की जयंती है. चैपलिन अपनी फिल्मों में तानाशाहों का मजाक उड़ाते रहे, उनके विद्रूप को दिखाते रहे. संयोग से आह दुनिया भर में तानाशाह बढ़ रहे हैं. चैपलिन की प्रासंगिकता, उनके फिल्मों की प्रासंगिकता बढ़ गई है. आज विमलेंदु का यह लेख उनको याद करते हुए- मॉडरेटर …
Read More »अनुराग अन्वेषी की लघु-लघु कविताएँ
आज कुछ छोटी छोटी कविताएँ अनुराग अन्वेषी की. पेशे से पत्रकार अनुराग जी जनसत्ता अखबार में काम करते हैं. स्वान्तः सुखाय कविताएँ लिखते हैं. प्रकाशन को लेकर कभी बहुत प्रयास करते नहीं देखा. लेकिन उनकी इन छोटी छोटी कविताओं का अपना आस्वाद है. आज वीकेंड कविता में पढ़िए- मॉडरेटर ============================================ …
Read More »उपासना झा की कहानी ‘अब जब भी आओगे’
पिछले कुछ समय में उपासना झा की कविताओं, कहानियों ने हिंदी के पाठकों, लेखकों, आलोचकों सभी को समान रूप से आकर्षित किया है. आज उनकी एक छोटी सी कहानी- मॉडरेटर =================================== लड़की चुपचाप डूबते सूरज की ओर मुंह किये बैठी थी। उसकी नाक की नोक लाल हो गयी थी। ठंड …
Read More »युवा शायर #6 विपुल कुमार की ग़ज़लें
युवा शायर सीरीज में आज पेश है विपुल कुमार की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ================================================== ग़ज़ल–1 जल्द आएँ जिन्हें सीने से लगाना है मुझे फिर बदन और कहीं काम में लाना है मुझे इश्क़ पाँव से लिपटता है तो रुक जाता हूँ वर्ना तुम हो तो तुम्हें छोड़ के जाना है …
Read More »महापंडित राहुल और वोल्गा की रात
आज महापंडित राहुल सांकृत्यायन की 54 वीं पुण्यतिथि है. हिंदी में उनके जितना विविध और विपुल लेखन शायद ही किसी और लेखक ने किया. वे महायात्री थे. उनके यात्राओं के वर्णन सम्मोहक होते थे. यह वोल्गा का वर्णन है- दिव्या विजय ================== निशा 1 देश – वोल्गा तट (ऊपरी) जाति …
Read More »डॉ. अम्बेडकर की आत्मकथात्मक पुस्तक के अंश
‘वेटिंग फ़ॉर वीसा’ (पहला प्रकाशन वर्ष सन् 1990) स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर के कुछ आत्मकथात्मक नोट्स हैं, जो उन्होंने अपने योरोप-अमेरिका प्रवास से लौटने के अट्ठारह वर्ष बाद सन् 1935-36 के दौरान लिखे थे। बड़ौदा लौटने पर रहने की जगह तलाशने को लेकर जो मुश्किलात उन्होंने झेलीं, …
Read More »सोशल मीडिया फेक स्टारडम का माध्यम है?
सोशल मीडिया पर कई तरह के आरोप लगाये जाए हैं. वक़्त बर्बाद करने का और लोगों द्वारा भावनात्मक अथवा आर्थिक रूप से ठगे जाना उनमें मुख्य है. एक और ट्रेंड देखने में आया है. सोशल मीडिया द्वारा ‘फेक स्टारडम’ निर्मित किया जाना. यह मार्केटिंग का एक ज़बरदस्त साधन सिद्ध हो …
Read More »रस्किन बांड और मसूरी के सेवॉय होटल के भूत
कल मैंने फेसबुक पर भूतों से अपने डर की बात लिखी थी. उसमें मैंने रस्किन बांड का जिक्र किया था. मसूरी में रहने वाले इस लेखक ने भूतों के अपनी मुलाकातों के बारे में खूब लिखा है. अभी हाल में ही उनकी एक किताब मिली हिंदी अनुवाद में ‘अजब गजब …
Read More »प्रकाश के रे की कविताएँ
कविता को हृदय का उद्घोष माना गया है। लेकिन कवि आज के दौर में घोषित रूप से निकृष्ट व्यक्ति है और कविता साहित्य के निचले पायदान पर सिसकियाँ भरती है। कविताओं का मूल्य संसार की तुच्छतम वस्तुओं से भी हीन है। कविताएँ अब क्रांति कर पाने में सक्षम नहीं हैं। …
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