युवा शायर सीरीज में आज पेश है अज़ीज़ नबील की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ग़ज़ल-1 ख़ामुशी टूटेगी, आवाज़ का पत्थर भी तो हो जिस क़दर शोर है अन्दर, कभी बाहर भी तो हो मुस्कुराना किसे अच्छा नहीं लगता या-रब मुस्कुराने का कोई लम्हा मयस्सर भी तो हो बुझ चुके रास्ते, सन्नाटा …
Read More »कृष्णा सोबती के उपन्यास ‘गुजरात पाकिस्तना से गुजरात हिन्दुस्तान’ से एक अंश
हिंदी की वरिष्ठ लेखिका कृष्णा सोबती का आत्मकथात्मक उपन्यास आया है ‘गुजरात पाकिस्तान से गुजरात हिन्दुस्तान’. पुस्तक का प्रकाशन राजकमल प्रकाशन से हुआ है. उसका एक अंश- मॉडरेटर =========================================== नए कमरे में उसने कई करवटें बदलीं। नई जगह का उनींदा। सिरोही राज के गैस्टहाउस में न घर अपना और न …
Read More »क्या ब्रजेश्वर मदान को भुला दिया जाना चाहिए?
‘जानकी पुल’ पर शशिभूषण द्विवेदी के लिखे लेख ‘बर्बाद जीनियस थे ब्रजेश्वर मदान’ की टिप्पणी में ब्रजेश्वर मदान के भतीजे आदित्य मदान ने कमेन्ट में लिखा- ब्रजेश्वर मदान इज नो मोर. इस एक पंक्ति ने हमारे में में चल रहे होने न होने उस द्वंद्व को ख़त्म कर दिया जो …
Read More »ब्रजेश्वर मदान की अंतिम प्रकाशित कविताएँ
अद्वितीय गद्यकार ब्रजेश्वर मदान के मरने की खबर आज जानकी पुल पर उनके भतीजे आदित्य मदान के एक कमेन्ट के माध्यम से मिली. उसमें कुछ नहीं लिखा है कि उनका देहांत कब हुआ. बहरहाल, यह सच है कि उनका देहांत हो गया क्योंकि वही उनकी देखभाल कर रहा था. मुझे …
Read More »दीक्षांत के साथ जीवन की शिक्षा का आरम्भ होता है!
दीक्षांत समारोह आम तौर पर विश्वविद्यालय द्वारा उच्च शिक्षा के समापन के पश्चात आयोजित किया जाता है. आम तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय सहित तमाम विश्वविद्यालयों के डिग्री कॉलेजों में दीक्षांत समारोह के आयोजन की प्रथा व्यापक नहीं रही है. जबकि ग्रेजुएट होने वाले विद्यार्थियों के लिए दीक्षांत समारोह का आयोजन …
Read More »कहानी कहने वाला इक कहानी की कहानी है
कहानी सुनने वाले जो भी हैं वो ख़ुद कहानी हैं कहानी कहने वाला इक कहानी की कहानी है – जौन एलिया कहानी कहना-सुनना किसे पसंद नहीं होता. कहानियाँ लिखने के बहुत पहले से हम कहानियाँ कहते आये हैं. कहानी शब्द का अर्थ है कहना. कहानी का लिखित रूप अधूरा है …
Read More »वैराग्य-साधन के द्वारा मुक्ति मेरे लिए नहीं है
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में एमफिल के छात्र राजकुमार ने रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कविता में जागरण और मुक्ति की चेतना को लेकर एक अच्छा लेख लिखा है- मॉडरेटर ============================ बांग्ला साहित्य के मूर्धन्य हस्ताक्षर रवीन्द्रनाथ ठाकुर बीसवीं शताब्दी के शुरुआती चार दशकों तक भारतीय साहित्याकाश में ध्रुवतारे की तरह चमकते रहे …
Read More »रमा भारती की कविताएँ
हिंदी में किसी भी विषय पर कविता-सीरीज लिखने की परम्परा रही है। ‘चिनार’ रमा भारती के कविता संग्रह का नाम है। आइए आज इसी सीरीज की कुछ कविताएँ पढ़ते हैं। चिनार बहाने ज़िंदगी के कई पहलुओं पर बात करती हैं ये कविताएँ अपने में एक विशेष अर्थ रखती हैं …
Read More »मुक्ति-भवन – मोक्ष का वेटिंग रूम
कुछ फ़िल्में ऐसी होती है जो लीक से हटकर होती हैं। जिसे कुछ ख़ास तरह के लोग पसंद करते हैं। ऐसी ही फ़िल्म है मुक्ति भवन। फ़िल्म के बारे में युवा लेखक नागेश्वर पांचाल ने लिखा है। आप भी पढ़िए – सम्पादक ======================================================== गुस्ताव फ्लौबेर्ट कहते है “देयर इज नो …
Read More »भारतीय रेल में आपका स्वागत है
आज रेल दिवस है और संयोग से मैं रेल में हूँ। मैंने रेल यात्राएँ बहुत कम की हैं। उस पर भी अकेले तो बहुत ही कम मगर फिर भी रेल यात्राएँ सबसे अधिक लुभाती हैं। सबसे अधिक आरामदायक भी वही होती हैं। पिछले साल दिल्ली गयी थी। तब लम्बे अरसे …
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