Home / Featured (page 159)

Featured

Featured posts

उस्ताद जाकिर हुसैन पर नसरीन मुन्नी कबीर की किताब

नसरीन मुन्नी कबीर किताबों की दुनिया की ‘कॉफ़ी विद करण’ हैं. फ़िल्मी-संगीत की दुनिया की हस्तियों से बातचीत के आधार पर किताब तैयार करती हैं. जावेद अख्तर, लता मंगेशकर पर उनकी किताबें खासी मकबूल हुई हैं. इस बार तबलानवाज़ जाकिर हुसैन के साथ उनकी किताब हार्पर कॉलिन्स प्रकाशन से आ …

Read More »

युवा शायर #1 सालिम सलीम की ग़ज़लें

जानकीपुल की नई पेशकश-युवा शायर। इस सीरीज के तहत उर्दू में लिखने वाले युवा शायर/शायरा की रचनाएँ प्रकाशित की जाएँगी। आप लुत्फ़ अंदोज़ हों। हौसला अफ़ज़ाई करें। आज पढ़ें पहला पोस्ट, सालिम सलीम की ग़ज़लें – त्रिपुरारि 1. कनार-ए-आब तिरे पैरहन बदलने का मिरी निगाह में मंज़र है शाम ढलने …

Read More »

मीना कुमारी के ‘आखिरी अढाई दिन’ की दास्तान

आज मीना कुमारी की बरसी है. मुझे याद आई मधुप शर्मा की किताब ‘आखिरी अढाई दिन’ की. मीना कुमारी के आखिरी दिनों को लेकर लिखे गए इस उपन्यास में आत्मकथा की शैली में मीना कुमारी अपनी कथा कहती हैं. कुछ कुछ रामकुमार वर्मा के एकांकी ‘औरंगजेब की आखिरी रात’ की …

Read More »

क्या ‘शतरंज के खिलाड़ी’ ने लखनऊ को बदनाम कर दिया?

प्रसिद्ध कवि-विचारक उदयन वाजपेयी के संपादन में निकलने वाली पत्रिका ‘समास’ में उर्दू के मशहूर लेखक शम्सुर्ररहमान फारुकी का इंटरव्यू आया है, जी उदयन जी ने खुद लिया है. उस इंटरव्यू से यह पता चलता है कि आजकल फारुकी साहब लखनऊ पर उपन्यास लिख रहे हैं. उस उपन्यास का एक …

Read More »

‘कसप’ सिर्फ प्रेम कहानी भर नहीं है

आज हिंदी के मूर्धन्य लेखक मनोहर श्याम जोशी के गुजरे 11 साल हो गए. उनके प्रेम-उपन्यास ‘कसप’ की रचना-प्रक्रिया पर उनका यह लेख प्रस्तुत है, जो उन्होंने मेरे कहने पर लिखा था और जो जनसत्ता में सबसे पहले प्रकाशित हुआ था. उनकी अमर स्मृति के नाम- जानकी पुल. ========================= हिंदी …

Read More »

मनोहर श्याम जोशी मनमोहन देसाई और दस लाख का एडवांस!

मशहूर लेखक मनोहर श्याम जोशी की आज पुण्यतिथि है. 2006 में आज के ही दिन उनका देहांत हो गया था. जीते जी किम्वदंती बन चुके उस लेखक के लेखन से जुड़ा एक किस्सा आज याद आ गया. बहुत कम लोग जानते हैं इस किस्से को. एक महान किस्सागो की स्मृति …

Read More »

‘बतिया सकता हूँ हौले-हल्के बिल्कुल ही पास बैठकर’

आज कवि भवानी प्रसाद मिश्र की जयंती है. मुझे कवि सिद्धेश्वर सिंह के इस लेख की याद आ गई- मॉडरेटर =================================================== न रात-भर नौका विहार न खुलकर बात-भर हँसना बतिया सकता हूँ हौले-हल्के बिल्कुल ही पास बैठकर ये पंक्तियाँ भवानी प्रसाद मिश्र की कविता ‘आराम से भाई ज़िन्दगी’ से ली …

Read More »

मुगले आज़म की अनारकली से अनारकली डिस्को चली तक

दिल्ली विश्वविद्यालय में एसोसियेट प्रोफ़ेसर लाल जी का यह लेख फ़िल्मी गीतों के बहाने एक दिलचस्प आकलन करता है- मॉडरेटर ========== सार्थक कृतियां अपने भीतर अपने समय का इतिहास समेटे रहती हैं। चाहे वह गीत हो या संगीत,  चित्रकला हो या स्थापत्य कला या फिर साहित्‍य। ऐतिहासिक अन्‍तर्वस्‍तु उसमें विद्यमान …

Read More »

‘दिल्ली की शायरी में लड़कों के लिए इश्क बहुत है, लखनऊ में लड़कियों के लिए’

उदयन वाजपेयी के संपादन में निकलने वाली पत्रिका ‘समास’ के 15 वें अंक में उर्दू के महान लेखक शम्सुर्ररहमान फारुकी का एक बहुत जबरदस्त इंटरव्यू आया है, जो कि उदयन वाजपेयी जी ने ही लिया है. उस इंटरव्यू में बहुत सारी बातों के अलावा लखनऊ-बनाम दिल्ली की बहस के ऊपर …

Read More »

केदारनाथ सिंह की कविता ‘दुपहरिया’

आज सुबह चढ़ते चैत के महीने पर वरिष्ठ लेखक राकेश कुमार सिंह की पोस्ट लगाईं थी. लेकिन चैत के महीने में केदारनाथ सिंह के इस कविता के बिना कैसी बात बनेगी- मॉडरेटर ========================= झरने लगे नीम के पत्ते बढ़ने लगी उदासी मन की, उड़ने लगी बुझे खेतों से झुर-झुर सरसों …

Read More »