पंजाबी भाषा के प्रसिद्ध लेखक गुरदयाल सिंह का हाल में ही निधन हुआ. उनकी कहानी का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत है. अनुवाद किया है युवा कवयित्री रश्मि भारद्वाज ने- मॉडरेटर ===================================================== वह औरत अभी-अभी गाड़ी से उतरी थी और अनिश्चय की स्थिति में स्टेशन के चारों ओर देख रही थी। बंटू …
Read More »लव यू जिंदगी.. ‘डियर जिंदगी’
शाहरुख़ खान-आलिया भट्ट अभिनीत गौरी शिंदे निर्देशित फिल्म ‘डियर ज़िन्दगी’ लोगों को प्रभावित कर रही है. उनको अपने जीवन के करीब महसूस हो रही है. आज सैयद एस. तौहीद ने इस फिल्म पर लिखा है- मॉडरेटर =============== जिंदगियां बोलती हैं । लेकिन कभी कभी बहुत कुछ जाहिर नहीं हो पाता …
Read More »कई जरूरी सवाल उठाने वाली फिल्म ‘डियर जिंदगी’
शाहरुख़ खान-आलिया भट्ट की फिल्म ‘डियर जिंदगी’ कल रिलीज हुई. फिल्म की एक संवेदनशील रिव्यू दिव्या विजय ने लिखी है- मॉडरेटर ============================ महिला निर्देशकों के साथ बॉलीवुड के स्त्री-किरदार फेमिनिज़म का यथार्थवादी स्वाद चख रहे हैं. वे क्रान्ति का परचम लहराने की बजाय, रोज़मर्रा के जीवन में घटित बदलावों को …
Read More »हरमिंदर सिंह हमराज़ और हिंदी फिल्म गीत कोश
एक आदमी ने लगभग पूरी जिंदगी लगाकर हिंदी फिल्म के गीतों का संकलन तैयार कर दिया. हरमन्दिर सिंह हमराज़ के हिंदी फिल्म गीत कोश उसी धुन का नतीजा है. उसके बारे में लिखा है सैयद एस. तौहीद ने- मॉडरेटर ===================== अकेले आदमी ने वह कर दिखाया, जिसे संस्थाएं, बाज़ार एवं …
Read More »उमेश पन्त का ‘इनरलाइन पास’
मुझे यात्राएं बहुत पसंद है और उनके बारे में पढना. अक्सर सोचता हूँ यात्रा वृत्तान्त लिखूं लेकिन टाल जाता हूँ. अच्छे अच्छे ट्रेवेलौग पढता हूँ और खुश होता रहता हूँ. आजकल उमेश पन्त के यात्रा-वृत्तान्त ‘इनरलाइन पास’ की सुगबुगाहट है. उसका एक अंश पढ़िए. अच्छा लगे तो प्रीबुकिंग भी कीजियेगा. …
Read More »नोट पर महात्मा गाँधी की तस्वीर: सही या गलत?
लोग किस तरह से शोध करते हैं? किन विषयों पर शोध करते हैं? देखने के लिए सदानंद पॉल के इस लेख को पढ़िए. नोट पर महात्मा गाँधी की तस्वीर को लेकर उन्होंने कितनी मशक्कत की. दिलचस्प है- मॉडरेटर =================================================================== “पुराने नोटों पर ‘गाँधी जी‘ के गलत-तस्वीर लगे हैं, वित्त मंत्रालय …
Read More »माँ, मैंने आज काला धन पहचान लिया
‘दर्रा दर्रा हिमालय’ वाले डॉक्टर-लेखक अजय सोडानी ने नोटबंदी के दौर में यह स्मरण कथा लिखी है- मॉडरेटर =========================================== माँ तू झूठी थी जैसे-जैसे सर पर चाँदी बढ़ती है और खुपड़िया पर पूर्णिमा का चाँद उभरने लगता है, बरसों से शान्त भीतर का बच्चा अपने अनुत्तरित …
Read More »नॉर्वे में हूँ, निर्मल वर्मा की ‘परिंदे’ याद आ रही है!
नॉर्वे प्रवासी डॉक्टर-लेखक प्रवीण कुमार झा के व्यंग्य हम पढ़ते रहे हैं लेकिन यह व्यंग्य नहीं है. 25 अक्टूबर को निर्मल वर्मा की पुण्यतिथि है, उसी अवसर पर उन्होंने एक निर्मल-कथा लिखी है. पढ़ा जाए- मॉडरेटर =========== हिंदी कथाकारों में जो पहाड़ों में जीए, यूरोप वगैरा घूमे, उनमें और जो …
Read More »हमारा प्रेम सिलवटों में कहीं निढाल पड़ा है
इला जोशी की कविताएँ पढ़ते हुए यूँ महसूस होता है, जैसे किसी परिंदे को इस शर्त पर रिहाई मिले कि उसके पंख काट दिए जाएँगे। इन कविताओं में एक अजीब क़िस्म की बेचैनी दफ़्न है, जिसे किसी पवित्र स्पर्श की प्रतीक्षा भी है और उस स्पर्श से छिल जाने का …
Read More »बांग्ला कवयित्री मंदाक्रांता सेन की कविताएँ
आज मंदाक्रांता सेन की कविताएँ. समकालीन बांगला साहित्य में मंदाक्रांता सेन का नाम जाना-माना है. उनको आनंद पुरस्कार भी मिल चुका है. उन्होंने साहित्य अकादेमी का युवा पुरस्कार लौटा दिया था. उनका एक उपन्यास ‘झपताल’ हिंदी अनुवाद में उपलब्ध भी है. हम आभारी हैं उत्पल बैनर्जी के कि उन्होंने उनकी …
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