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दुन्या मिखाइल की कविताएँ

  आज दुन्या मिखाइल की कुछ कविताएँ पढ़िए। दुन्या मिखाइल इराक़ में पैदा हुई कवयित्री हैं। वह लंबे समय से अमेरिका में रह रही हैं। वह अब अमेरिकी नागरिक भी हैं। उनके कविता-संकलन चर्चित रहे हैं और उन्हें कुछ प्रतिष्ठित पुरस्कार भी मिले हैं। हिंदी सहित संसार की कई भाषाओं …

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अनुराधा सिंह की कहानी ‘पानी से न लिखना पत्थर पे कोई नाम’

 आज पढ़िए अनुराधा सिंह की यह कहानी। वैसे यह कहानी पहले ‘हंस’ में प्रकाशित हो चुकी है लेकिन हमें लगा कि इसको साझा करना चाहिए। आप भी पढ़ सकते हैं- ================= बीवी जब पहली बार मुझसे मिली तो एक मंगोल राजकुमारी सी कमनीय तरुणी थी। दूध और पीतल से मिलकर …

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गरिमा जोश पंत की कहानी ‘मुन्नू की स्वदेश वापसी’

आज पढ़िए गरिमा जोशी पंत की कहानी। गरिमा जोशी ने लिखना देर से शुरू किया। कम लिखा है लेकिन कहानी पढ़कर आपको लगेगा कि कहानी पर पकड़ इनकी कितनी खूब है- ================== मुन्नू आज स्वदेश लौट आया।” यह कहने से पहले ही मैंने सिर पर हेलमेट पहन लिया है। क्यूं? …

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पुरुष कवियों की कविताओं में स्त्री की उपस्थिति और दृष्टि

युवा कवियों की कविताओं में स्त्रियाँ किस तरह से आई हैं इसको लेकर एक अच्छा लेख लिखा है काशी हिंदू विश्वविद्यालय के युवा शोधार्थी महेश कुमार ने। आप भी पढ़िए- ============================= प्रस्तुत लेख में कुछ युवा पुरुषों द्वारा रचित स्त्री केंद्रित कविताओं का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में …

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 प्राचीन कथानक में आधुनिक भावबोध

जब युवा क्लासिक कृतियों पर लिखते हैं तो अच्छा लगता है कि वे परंपरा को समझना चाहते हैं। युवा लेखिका अनु रंजनी ने मोहन राकेश के कालजयी नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ पर यह लेख लिखा है, जिसमें कई नई बातें मुझे दिखाई दीं। आप भी पढ़ सकते हैं- ============== …

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स बनाम लेखन का भविष्य

दो दिन पहले हंस द्वारा आयोजित साहित्योत्सव में रचनात्मकता और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की चुनौतियाँ विषय पर अच्छी चर्चा हुई। आज इसी विषय पर चंद्र कुमार का लेख पढ़िए। चंद्र कुमार ने कॉर्नेल विश्वविद्यालय, न्यूयार्क से पढ़ाई की। वे आजकल एक निजी साफ्टवेयर कंपनी में निदेशक है लेकिन उनका पहला प्यार …

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हाथी की देह पर खड़िया की धारियों सी रेवा!

हिन्दी की वरिष्ठ लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ का यह वृत्तांत पढ़िए। रेवा नदी को लेकर लिखा है और खूब सारे पाठ संदर्भों के साथ। बहुत रोचक और बहुत गहराई के साथ लिखा गया यह गद्यांश पढ़कर पानी राय दीजिये- ====================== ‘स्थित्वा तस्मिन् वनचरवधूभुक्तकुंजे मुहूर्तम तोयोत्सर्गाद्द्रुततरगतिस्तत्परं वर्त्म तीर्ण: । रेवां द्रक्ष्यस्युपलविषमे  विंध्यपादे …

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निर्मल वर्मा: प्रेमचंद की उपस्थिति के बहाने अनुपस्थिति ढूंढने की कवायद

युवा लेखक उमाशंकर चौधरी का यह विस्तृत लेख प्रेमचंद की परंपरा और उसको लेकर चली बहसों को समेटता हुआ एक गहन वैचारिक लेख है जो बहस की माँग करता है। आप भी पढ़ सकते हैं- ========================== प्रेमचंद की उपस्थिति (निर्मल वर्मा से शीर्षक उधार लेते हुए उनके साथ प्रत्युत्तर जैसा …

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     ज़िंदगी की व्यापकता से राब्ता: इन्तज़ार में ‘आ’ की मात्रा

युवा कवि नवीन रांगियाल के कविता संग्रह ‘इंतज़ार में ‘आ’ की मात्रा’ की विस्तृत समीक्षा की है युवा शोधार्थी अनु रंजनी  ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ===================         “इन्तज़ार में ‘आ’ की मात्रा” नवीन रांगियाल का पहला काव्य-संग्रह है। इनकी कविताएँ तीन श्रेणियों में विभाजित हैं – ‘प्रेम’ , …

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कंडोम और समलैंगिकता से आविष्‍ट आर्यपुत्र

वरिष्ठ कवि अष्टभुजा शुक्ल की कविताओं को पढकर यह लेख लिखा है युवा लेखक प्रमोद रंजन ने। प्रमोद रंजन की दिलचस्पी सबाल्टर्न अध्ययन और तकनीक के समाजशास्त्र में है। संप्रति, असम विश्वविद्यालय के रवीन्द्रनाथ टैगोर स्कूल ऑफ़ लैंग्वेज एंड कल्चरल स्टडीज़ में सहायक प्रोफ़ेसर हैं-  =========================   अष्टभुजा शुक्ल की …

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