‘मौजूद की निस्बत से’ महेंद्र कुमार सानी का पहला शे’री मज्मूआ है जो रेख़्ता से प्रकाशित हुआ है । इसकी भूमिका प्रसिद्ध शा’इर और सम्पादक आदिल रज़ा मंसूरी ने लिखी है। उन्होंने सानी के मुख़्तलिफ़ तख़्लीक़ी पहलुओं पर इस तरह रौशनी डाली है कि क़ारी की अपेक्षाएँ बढ़ जाती हैं …
Read More »‘स्व’ रहित स्वाभिमान और स्त्री-विमर्श के मूलभूत सिद्धांतो की जुगलबंदी की कहानी
वरिष्ठ लेखिका गीताश्री का उपन्यास ‘वाया मीडिया – एक रोमिंग रिपोर्टर की डायरी’ इस साल विश्व पुस्तक मेले में आया था। कुछ महिला पत्रकारों के कामकाज पर आधारीय यह उपन्यास बहुत अलग ज़मीन का उपन्यास है। आज इसकी समीक्षा लिखी है युवा लेखिका अणुशक्ति सिंह ने- मॉडरेटर =========================== लफ़्ज़ों की …
Read More »नक्शे, सरहदें, शांति, लघु जीवन और कला की एकरूपता से सजी है ‘बिसात पर जुगनू’
वंदना राग के उपन्यास ‘बिसात पर जुगनू’ पर यह टिप्पणी राजीव कुमार की ने लिखी है। उपन्यास राजकमल से प्रकाशित है- =============== “हम सब इत्तिहाद से बने हैं। हम सबमें एक दूसरे का कोई ना कोई हिस्सा है। इंसान इस सच से रू – ब – रू हो जाए तो …
Read More »वाह उस्ताद : फनकार और सुनकार का साझा घराना
प्रवीण कुमार झा की किताब ‘वाह उस्ताद’ की समीक्षा लिखी है डॉक्टर असित कुमार गोस्वामी ने। देश विदेश में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके सितार वादक और साहित्य प्रेमी डॉ असित गोस्वामी वर्तमान में बीकानेर के राजकीय कन्या महाविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. यह किताब राजपाल एंड संज से …
Read More »एक भू सुंघवा लेखक की यात्राएँ
राकेश तिवारी के यात्रा वृत्तांत ‘पहलू में आए ओर-छोर : दो देश चिली और टर्की’ पर प्रसिद्ध लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ की टिप्पणी। पुस्तक का प्रकाशन सार्थक, राजकमल ने किया है- ======== यात्रावृत्तातों की शैली में रोचक प्रयोग, मीठी व्यंजना, लोक भाषा के प्रयोग, पुरावेत्ता ( जिसे वे स्वयं भू सुंघवा कहते …
Read More »‘उत्तर पैग़म्बर’ जीवन, प्रेम और राग का अद्भुत समागम है
राजकमल से प्रकाशित अरूण देव के कविता संग्रह ‘उत्तर पैग़म्बर’ पर यह टिप्पणी राजीव कुमार की है। राजीव जी इतिहास, साहित्य, सिनेमा के गहरे अध्येता हैं। लिखते काम हैं लेकिन ठोस लिखते हैं- मॉडरेटर ============== अरुण देव के “उत्तर पैगम्बर” की खुली उद्घोषणा है, “वह कोई कातिब नहीं कि आखिरत …
Read More »‘पीली छतरी वाली लड़की’ की काव्य समीक्षा
यतीश कुमार की काव्यात्मक समीक्षा इस बार उदय प्रकाश के उपन्यास ‘पीली छतरी वाली लड़की’ की है। पढ़कर बताइए कैसा लगा- =================== (‘पीली छतरी वाली लड़की’ ) ——————————————- वह रोज आईने में पहले अपनी शक्ल देखता फिर समाज को अपनी शक्ल में खोजता समाज के आईने से प्रतिबिम्ब …
Read More »मनोहर श्याम जोशी के उपन्यास ‘कौन हूँ मैं’ पर एक टिप्पणी
आज हिंदी के हरफ़नमौला लेखक मनोहर श्याम जोशी की पुण्यतिथि है। 2006 में आज के दिन उनका निधन हो गया था। आज प्रस्तुत है उनके मरणोपरांत प्रकाशित उनके उपन्यास ‘कौन हूँ मैं‘ पर राहुल सिंह की टिप्पणी- ====================== मनोहर श्याम जोशी का उपन्यास ‘कौन हूँ मैं‘, सन 2006 में उनके …
Read More »प्यार वह फल है जिस पर मासूमियत का छिलका होता है
समकालीन कवियों में सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले कवियों में गीत चतुर्वेदी का नाम निर्विवाद रूप से आता है। रुख़ प्रकाशन से प्रकाशित उनके कविता संग्रह ‘ख़ुशियों के गुप्तचर’ को ख़ूब पसंद किया जा रहा है। कवि यतीश कुमार ने इस संग्रह की कविताओं की काव्यात्मक समीक्षा अपनी ख़ास …
Read More »किन्नर धर्मलोक: एक अंतर्यात्रा कृष्णनाथ के साथ
कवि यतीश कुमार ने पुस्तक समीक्षा की अपनी शैली विकसित की है- काव्यात्मक समीक्षा की। इस बार उन्होंने कृष्णनाथ जी की यात्रा पुस्तक ‘किन्नर धर्मलोक’ पढ़कर उसके ऊपर डूबकर लिखा है- मॉडरेटर =============== किन्नर धर्मलोक किन्नर धर्मलोक एक अंतर्यात्रा : कृष्णनाथ के साथ 1) अलंघ्य रास्ते तक जाना है रास्ता …
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