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Tag Archives: divya vijay

डॉ. अम्बेडकर की आत्मकथात्मक पुस्तक के अंश

‘वेटिंग फ़ॉर वीसा’ (पहला प्रकाशन वर्ष सन् 1990) स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर के कुछ आत्मकथात्मक नोट्स हैं, जो उन्होंने अपने योरोप-अमेरिका प्रवास से लौटने के अट्ठारह वर्ष बाद सन् 1935-36 के दौरान लिखे थे। बड़ौदा लौटने पर रहने की जगह तलाशने को लेकर जो मुश्किलात उन्होंने झेलीं, …

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सोशल मीडिया फेक स्टारडम का माध्यम है?

सोशल मीडिया पर कई तरह के आरोप लगाये जाए हैं. वक़्त बर्बाद करने का और लोगों द्वारा भावनात्मक अथवा आर्थिक रूप से ठगे जाना उनमें मुख्य है. एक और ट्रेंड देखने में आया है. सोशल मीडिया द्वारा ‘फेक स्टारडम’ निर्मित किया जाना. यह मार्केटिंग का एक ज़बरदस्त साधन सिद्ध हो …

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ज्योति मोदी की कविताएँ

सजग पाठिका एवम सदैव साहित्य सृजन में उन्मुख ज्योति मोदी अंग्रेजी साहित्य में स्नातक हैं। इनकी कई कविताएं राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय संकलनों में प्रकाशित हो चुकी हैं।  प्रेम, प्रकृति, विरह के भाव की परिचायक हैं इनकी लेखनी। आइए पढ़ते हैं कुछ कविताएँ – दिव्या विजय ======================================================= एकालाप परिंदों से भरे छज्जे पर …

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अशोक कुमार, उत्पल दत्त से होते हुए रुस्तम के अक्षय कुमार तक आ पहुंचा है

अक्षय जब से उत्कृष्ट अभिनय के लिए राष्टीय पुरस्कार के विजेता घोषित हुए हैं तब से लोग ताज्जुब में हैं. तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं कि उन्हें यह पुरस्कार मिला तो आखिर क्यों मिला? उनके प्रशंसक उनका पक्ष लेते हुए कहते हैं कि अक्षय बहुत मेहनती हैं. इसमें …

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सालाना त्यौहार बन गया है आईपीएल!

कल रामनवमी का पावन पर्व था. लेकिन कल रात में एक ऐसा त्यौहार शुरू हुआ है जो दो महीने तक अपना रंग जमायेगा- आईपीएल. मेरा एक छोटा सा व्यंग्य इसी त्यौहार पर- दिव्या विजय  ================================ कल से भारत का एक नया पर्व शुरू हो गया, नाम है आई पी एल। …

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‘कौन दिसा में लेके चला रे…’

पिछले दिनों इंडियन आइडोल में एक सरदार प्रतिभागी को गाते देख मुझे हिन्दी फ़िल्मों के उस भुला दिए गये सरदार गायक की याद हो आई जिसके गीत दो मौक़ों पर हम स्वयमेव गा बैठते हैं। होली के पर्व पर ‘जोगी जी धीरे–धीरे // नदी के तीरे–तीरे‘ गीत और किसी सफ़र …

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एक हाउस वाइफ का विमेंस डे

सभी को विमेंस डे की शुभकामनाएँ- दिव्या विजय =========================== बे-दम हुए बीमार दवा क्यों नहीं देते तुम अच्छे मसीहा हो शफ़ा क्यों नहीं देते                                                      आज न विमेंस डे मनाया जा रहा है. मैंने भी कह दिया पतिदेव से कि आज मेरी छुट्टी है…काम से भी, तुमसे भी, बाकी सबसे भी. …

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मार्केज़ की बताई जाने वाली कविता ‘द पपेट’ हिंदी में

साहित्य के नजरिये को बदल कर रख देने वाले लेखक गैब्रिएल गार्सिया मार्केज़ का आज जन्मदिन है. उनके असाधारण गद्य लेखन से हम सब अच्छी तरह से परिचित हैं. लेकिन उन्होंने कविता भी लिखी थी यह कम लोगों को पता होगा. वैसे यह कविता उनकी है या नहीं इसको लेकर …

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क्या होता अगर वह स्त्री न होकर पुरुष होती?

एक तरफ स्त्री आजादी की बात की जाती है दूसरी तरफ यह है कि आज भी कोई औरत अगर बोलती है तो पुरुष समाज उसको उसकी जगह बताने में लग जाता है. दिव्या विजय का एक लेख इस विषय पर- मॉडरेटर =============================================== क्या होता अगर वह स्त्री न होकर पुरुष …

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क्या ‘रंगून’ कंगना की सबसे यादगार फिल्म होगी?

‘रंगून’ फिल्म या तो हंटरवाली नाडिया जैसे किरदार के कारण चर्चा में है या कंगना रानाउत के कारण. फिल्म के ट्रेलर, गानों से लेकर फिल्म को लेकर दिए गए अपने इंटरव्यू वगैरह में कंगना ने जिस तरह से बातें की हैं वह ‘रंगून’ को लेकर एक ख़ास तरह की दिलचस्पी …

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