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Tag Archives: rajeev kumar

राजीव कुमार की कहानी ‘दिल्ली की एक शाम’

आज पढ़िए राजीव कुमार की कहानी। राजीव कुमार की कहानियाँ, कविताएँ, साहित्यिक टिप्पणियाँ हम पढ़ते रहे हैं। यह उनकी नई कहानी है- =============================== दिल्ली की एक शाम —————- आज शाम हम फिर मिल ही गए।  हमारी बैठकें इन दिनों ज़्यादा होने लगी थीं। मैं, देव साहब और  किरण माकन तो …

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राजीव कुमार की कहानी ‘कहानी उलझी हुई’

राजीव कुमार साहित्यानुरागी हैं, कवि हैं, लेखक हैं। आज उनकी एक नई कहानी पढ़िए। एक दिलचस्प कहानी- ============================== फेसबुक पर उसकी इस नई कहानी का जिक्र था। एक बार फोन भी किया था उन्होंने। उसने यह आग्रह भी किया था कि उनकी यह कहानी मेरे द्वारा जरूर पढ़ी जाय, और …

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‘अमेठी संग्राम’ का अमेठी और संग्राम

अनंत विजय की किताब ‘अमेठी संग्राम’ जब से आई है लगातार चर्चा में है। अभी हाल में इसका अंग्रेज़ी अनुवाद भी प्रकाशित हुआ है। इस किताब की विस्तृत समीक्षा लिखी है राजीव कुमार ने- ======================== ऐसे में जब राजनीतिक परिदृश्य उसके उथल पुथल और महती परिणामों  पर गंभीर बातें करना …

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राजीव कुमार की कविताएँ

राजीव कुमार की लिखी कई समीक्षाएँ हम लोगों ने पिछले दिनों में पढ़ी हैं। वे कविता लिखते हैं और उपन्यास भी लिख रहे हैं। फ़िलहाल उनकी कविताएँ पढ़िए- ====================   मैं नींद में कभी नहीं था     सुकून का हिस्सा नहीं होती हैं रातें स्मृतियां विप्लव करती हैं कोई …

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राजीव कुमार की कहानी ‘वंचना’

राजीव कुमार समीक्षाएँ लिखते हैं, कविताएँ लिखते हैं। यह उनकी पहली कहानी है। एक अलग मिज़ाज, अलग तरह की भाषा में लिखी कहानी- ===================== जुले खान आप बहार की तरह आयी थी और पतझड़ में गुम हो गई। पतझड़ में  महज पत्ते नहीं झरते, वृक्ष के सपने भी। किताबों ने …

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बारिशगर स्त्री के ख्वाबों , खयालों, उम्मीदों और उपलब्धियों की दास्तां है!

प्रत्यक्षा के उपन्यास ‘बारिशगर’ में किसी पहाड़ी क़स्बे सी शांति है तो पहाड़ी जैसी बेचैनी भी। इस उपन्यास की विस्तृत समीक्षा की है राजीव कुमार ने- =================== प्रत्यक्षा का उपन्यास “बारिशगर” वैयक्तिक संबंधों के उलझे हुए अनुभव जगत का आख्यान है। विभिन्न कथा युक्तियों द्वारा उपन्यास की कहानी में ऐसे …

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नक्शे, सरहदें, शांति,  लघु जीवन और कला की एकरूपता से सजी है ‘बिसात पर जुगनू’

वंदना राग के उपन्यास ‘बिसात पर जुगनू’ पर यह टिप्पणी राजीव कुमार की ने लिखी है। उपन्यास राजकमल से प्रकाशित है- =============== “हम सब इत्तिहाद से बने हैं। हम सबमें एक दूसरे का कोई ना कोई हिस्सा है। इंसान इस सच से रू – ब – रू हो जाए तो …

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‘सरकार’ में हिमालयन ब्लन्डर कर गए रामगोपाल वर्मा

सरकार 3 आई लेकिन इस श्रृंखला की पिछली दोनों फिल्मों की तरह कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाई. इस फिल्म के ऊपर एक छोटी सी लेकिन अचूक और सारगर्भित टिप्पणी राजीव कुमार ने की है. राजीव कुमार जी फिल्मों के बहुत गहरे जानकार हैं लेकिन लिखते कम हैं. आप भी पढ़िए- …

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