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Prabhat Ranjan

रस्किन बांड और मसूरी के सेवॉय होटल के भूत

कल मैंने फेसबुक पर भूतों से अपने डर की बात लिखी थी. उसमें मैंने रस्किन बांड का जिक्र किया था. मसूरी में रहने वाले इस लेखक ने भूतों के अपनी मुलाकातों के बारे में खूब लिखा है. अभी हाल में ही उनकी एक किताब मिली हिंदी अनुवाद में ‘अजब गजब …

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जब अंग्रेजी के लेखक विक्रम सेठ ने ‘हनुमान चालीसा’ का अंग्रेजी अनुवाद किया

सुधीश पचौरी का यह लेख बहुत पुराना है लेकिन आज भी प्रासंगिक है. सन्दर्भ है अंग्रेजी के जाने माने लेखक द्वारा हनुमान चालीसा का अनुवाद- मॉडरेटर ===================== “एक अपनी हिंदी है, जो इतनी सेकुलर हो चली है कि अगर आज कोई हिंदी वाला ‘हनुमान’ का नाम लेता, तो कम्युनल कहलाता। …

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मन्नू भंडारी का रचना पाठ सुनने का एक दुर्लभ मौका मत चूकिए

‘मुक्तांगन’ का यह तीसरा आयोजन है. दिल्ली के केन्द्रों में आयोजित होने वाले एक से आयोजनों की ऊब को दूर करने के उद्देश्य से बिजवासन के उषा फार्म्स में शुरू किया गया यह आयोजन अपनी स्थायी जगह बनाता जा रहा है. हर महीने इसका इन्तजार रहता है… कि इस बार …

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मनोज पाण्डे की कविता ‘गांधी जी कैसे गए थे चंपारण

चंपारण सत्याग्रह की शतवार्षिकी पर मनोज पाण्डेय की कविता- मॉडरेटर =================================== गांधी कैसे गए थे चंपारण   (बिहार जाने वाली ट्रेनों के जनरल बोगी में यात्रा करने वालों के प्रति)   पहली बार चम्पारण किस ट्रेन से गए थे गाँधी? ‘सत्याग्रह’ पकड़ी थी, तो गोरखपुर उतरे या छपरा आम्रपाली थी …

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सत्ता ‘दुम’ लगाकर गढ़ती है – ‘हनुमान’

आज हनुमान जयंती है. हनुमान जी को भगवान भक्त के रूप में देखा जाता है. आज यह विशेष लेख युवा लेखक सुनील मानव ने लिखा है- मॉडरेटर ———————————————-  मेरी उम्र उस वक्त दस-बारह वर्ष रही होगी शायद। नाना जी  का पक्का घर बन रहा था। मिस्त्री भी पारिवारिक सदस्य जैसे …

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गांधी जी की पोती की किताब में गाँधी जी का चंपारण सत्याग्रह

आज महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के सौ साल पूरे हो रहे हैं. देश भर में इसको याद किया जा रहा है, इसके बारे में लिखा जा रहा है. गांधी जी की पोती सुमित्रा गांधी कुलकर्णी ने अपनी किताब ‘महात्मा गांधी मेरे पितामह’ में भी इस घटना पर विस्तार से …

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70 साल का हुआ बाबा नागार्जुन का उपन्यास ‘रतिनाथ की चाची’

इधर इस बात पर ध्यान गया कि बाबा नागार्जुन के उपन्यास ‘रतिनाथ की चाची’ के लेखन का यह 70 वां साल है. इस उपन्यास के तीसरे संस्करण की भूमिका में नागार्जुन ने स्वयं यह लिखा है कि इसका रचनाकाल 1947 था. मुझे आज भी यह बात समझ में नहीं आई …

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वाइन पीना दिमाग की सेहत के लिए सबसे अच्छा होता है!

हमारे देश में शराबंदी के पीछे राजनीतिक कारण अधिक होते हैं. कोई सोची समझ रणनीति नहीं होती है. आज ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में बहुत अच्छा सम्पादकीय पढ़ा. इसमें लिखा गया है अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी के एक वैज्ञानिक ने शोध में यह पाया है कि वाइन पीने से दिमाग दुरुस्त रहता …

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अब पुस्तक समीक्षा लिखते हुए डर लगने लगा है

मैंने अपने लेखन की शुरुआत पुस्तक समीक्षा से की थी. विद्यार्थी जीवन में लिखने से पत्र-पत्रिकाओं से कुछ मानदेय मिल जाता था. ‘जनसत्ता’, ‘समकालीन भारतीय साहित्य’ के संपादक, साहित्य संपादक बहुत उदारता से किताबें दिया करते थे. एक तो पढने के लिए किताबें मिल जाती थीं, दूसरे, कम शब्दों में …

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अजय नावरिया की कहानी ‘विखंडन’

अजय नावरिया समकालीन हिंदी के उन लेखकों में हैं जिन्होंने हिंदी लेखन को अंतरराष्ट्रीय पहचान दी. मुझे एक संस्मरण याद आ रहा है. एक बार नॉर्वे की एक युवा लेखिका भारत आई. वह ‘जानकी पुल’ की पाठिका थी. उसके साथ ईमेल से बातचीत भी होती थी. दिल्ली आने के बाद …

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