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Prabhat Ranjan

पाठ और पुनर्पाठ के बीच दो उपन्यास

आजकल सबसे अधिक हिंदी में समीक्षा विधा का ह्रास हुआ है. प्रशंसात्मक हों या आलोचनात्मक आजकल अच्छी किताबें अच्छे पाठ के लिए तरस जाती हैं. लेकिन आशुतोष भारद्वाज जैसे लेखक भी हैं जो किताबों को पढ़कर उनकी सीमाओं संभावनाओं की रीडिंग करते हैं. इस बार ‘हंस’ में उन्होंने प्रियदर्शन के …

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तंजानियाई लेखक मोल्लेल की कहानी ‘एक शब आवारगी’

  तंजानिया के लेखक टोलोलवा मारटी मोल्लेल की कहानी। तंज़ानियाई लेखक मोल्लेल का जन्म 1952 में अरुशा शहर में हुआ। उन्होंने 1972 में यूनिवर्सिटी ऑफ दारुस्सलाम, तंज़ानिया से लिटरेचर एंड ड्रामा में बी.ए., 1979 में कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा से ड्रामा में एम.ए. और 2001 में पी.एचडी की डिग्री …

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सुधीर चन्द्र की पुस्तक रख्माबाईः स्त्री अधिकार और कानून पर एक टिप्पणी

सुधीर चन्द्र की इतिहासपरक पुस्तक पर एक टिप्पणी युवा लेखक सुरेश कुमार की- मॉडरेटर ===========================================  प्रथम अध्याय में सुधीर चन्द्र ने  रख्माबाई के मुकदमे पर विचार  किया है। वे बहुत गहराई में जाकर इस मुकदमे जानकारी देते हैं । इस मुददमे पर आने से पहले  रख्माबाई के संबंध में जाना जाए। रख्माबाई जयन्तीबाई और …

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‘सृजन संवाद’ गोष्ठी में अजय मेहताब की कहानी एवं कहानी कहने पर फ़िल्म प्रदर्शन

जमशेदपुर में एक संस्था है ‘सृजन संवाद‘, जो नियमित रूप से साहित्यिक गोष्ठी करती है और हर बार कुछ विविध करती है. वरिष्ठ लेखिका विजय शर्मा की रपट- मॉडरेटर ===================== बरसात के बावजूद ‘सृजन संवाद’ की गोष्ठी में लोग पहुँचे। ‘सृजन संवाद’ के छठवें वर्ष की दूसरी गोष्ठी में आज …

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आर्मेनियाई फिल्म ‘वोदका लेमन’ पर श्री का लेख

2003 की आर्मेनियाई फिल्म ‘वोडका लेमन’ पर श्री(पूनम अरोड़ा) का यह लेख उनकी कविताओं की तरह ही बेहद सघन है. पढियेगा- मॉडरेटर ====== जहाँ जीवन और उसके विकल्प उदास चेहरों की परिणीति में किसी उल्लास की कामना करते मिलते हैं. जहाँ यह चाहा जाता है कि गरीबी में किसी एक, …

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जब सौ जासूस मरते होंगे तब एक कवि पैदा होता है : चन्द्रकान्त देवताले 

चंद्रकांत देवताले की कविताओं पर विमलेन्दु का लिखा एक आत्मीय लेख- मॉडरेटर ======================================== साल 1993 का यह जून का महीना था जब चन्द्रकान्त देवताले से पहली बार मुलाकात हुई थी. भोपाल में कवि भगवत रावत ने, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से एक कविता कार्यशाला का आयोजन किया था. …

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विजया सिंह की कुछ नई कविताएँ

विजया सिंह चंडीगढ़ के एक कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाती हैं. सिनेमा में गहरी रूचि रखती हैं. कविताएँ कम लिखती हैं लेकिन ऐसे जैसे भाषा में ध्यान लगा रही हों. उनकी कविताओं की संरचना भी देखने लायक होती है. उनकी कुछ कवितायेँ क्रोएशियन भाषा में हाल ही में अनूदित हुई हैं. …

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मन के मंजीरे: कुछ लव नोट्स

रचना भोला यामिनी जानी-मानी अनुवादिका हैं. वह बहुत अच्छा गद्य भी लिखती हैं. बानगी के रूप में पढ़िए उनके कुछ लव नोट्स- मॉडरेटर ============ मन के मंजीरे — तुम हो तो बजते हैं मन के मंजीरे— मन गुनगुनाता है] सुनाता है हरदम अपना ही राग। मन की उसी रागिनी से …

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   हँसना मना है: हास्य दर्शन और इतिहास

इधर के कुछ दिनों में जिस युवा के लेखन ने प्रभावित किया है वह प्रत्युष पुष्कर हैं. कुछ समय पहले इनकी संगीत कविताएँ लगाईं थीं. आज एक अछूते विषय पर उनका लेख हास्य के दर्शन और उसके इतिहास पर. बहुत दिलचस्प- मॉडरेटर ======== ‘क्या आपके टूथपेस्ट में नमक है? जी, …

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कुँवर नारायण और उनकी किताब ‘लेखक का सिनेमा’

80-90 के दशक में कुंवर नारायण विश्व सिनेमा पर दिनमान, सारिका और बाद में नवभारत टाइम्स में लिखा करते थे. अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में दिखाई गई फिल्मों पर. उन्होंने उस गूगलविहीन दौर में एक पीढ़ी को विश्व सिनेमा से परिचित करवाया. हाल में ही राजकमल प्रकाशन से उनकी किताब आई …

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